Budget 2022: बजट से करदाताओं के लिए और राहत की आस
देश में आम बजट की तैयारियों के साथ ही करदाताओं के मन में टैक्स घटने की उम्मीद भी बढ़ जाती हैं। ऐसे में विशेषज्ञों को लगता है कि सरकार कोरोना महामारी के दौर में आम लोगों को तमाम तरह की राहत देने के...
देश में आम बजट की तैयारियों के साथ ही करदाताओं के मन में टैक्स घटने की उम्मीद भी बढ़ जाती हैं। ऐसे में विशेषज्ञों को लगता है कि सरकार कोरोना महामारी के दौर में आम लोगों को तमाम तरह की राहत देने के मूड में है। दलील दी जा रही है कि अगर सरकार आम लोगों के हाथ में टैक्स छूट के तौर पर रकम देगी तो वो खर्च बढ़ाएंगे, जिससे अर्थव्यवस्था में रफ्तार देखने को मिल सकती है।
टैक्स मामलों के विशेषज्ञ देवेंद्र कुमार मिश्रा ने हिंदुस्तान से बातचीत में कहा है कि कोरोना महामारी के बाद इंश्योरेंस प्रीमियम में बढ़त देखी गई है। ऐसे में इस दायरे में मिलने वाली आयकर छूट की सीमा दोगुनी किए जाने की उम्मीद है। वरिष्ठ नागरिकों के लिए ये बढ़ाकर 1 लाख और बाकी लोगों के लिए 50 हजार रुपए तक हो सकती है। वहीं, होम लोग पर लगने वाले ब्याज पर मिलने वाली छूट का दायरा 2 लाख से बढ़ाकर 3 लाख रुपए तक किया जा सकता है।
80सी के विकल्प के तौर पर नेशनल पेंशन स्कीम में 50 हजार रुपए के निवेश के दायरे में लंबे समय से बढ़त नहीं हुई है। ऐसे में सरकार से उम्मीद है कि इसमें 1 लाख रुपए तक के निवेश की इजाजत दी जा सकती है। ताकि टैक्स छूट के साथ-साथ लोगों को रिटायरमेंट का अच्छा खासा फंड इकट्ठा हो सकेगा।
एफडी पर राहत
इसके अलावा कारोबारी साल में फिक्स्ड डिपॉजिट में अब तक 5 साल के निवेश पर ही टैक्स छूट मिलती है लेकिन इस बजट में सरकार से उम्मीद लगाई जा रही है कि अब 3 साल की एफडी से भी टैक्स छूट का फायदा दिया जाएगा। इसकी वजह से लोगों को टैक्स का फायदा लेने के लिए लंबे समय तक अपना पैसा ब्लॉक नहीं करना पड़ेगा। कुछ विशेषज्ञ ये भी अनुमान जता रहे हैं कि क्रिप्टोकरंसी पर टैक्स लगाने से जुड़े नए नियम भी सरकार बजट में पेश कर सकती है। अभी तक इसमें मौजूदा टैक्स स्लैब में कमाई के आधार पर टैक्स वसूला जाता है। लेकिन यहां हो रहे बड़े निवेश को देखते हुए सरकार इस मद से कमाई का मौका ढूढ़ सकती है।
नई टैक्स व्यवस्था में बदलाव संभव
इसके अलावा केंद्र सरकार इस बजट में कम टैक्स दरों वाली नई टैक्स व्यवस्था को और आकर्षक बनाने के लिए बदलाव कर सकती है। इसमें कुछ शर्तों के साथ होमलोन के ब्याज पर छूट, इंश्योरेंस और स्टैडर्ड डिडक्शन जैसे चुनिंदा फायदे दे सकती है। साथ ही कारोबारी आमदनी वाले लोगों को सरकार की तरफ से हर साल टैक्स व्यवस्था चुनने की छूट भी दी जा सकती है। नई टैक्स व्यवस्था को मिल रहे बेहद ठंडे रिस्पॉन्स को देखते हुए सरकार ये कदम उठा सकती है। आंकड़ों के मुताबिक, नई व्यवस्था के तहत रिटर्न दाखिल करने वालों की सख्या 5 फीसदी से भी कम है।
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