Hindi Newsबिज़नेस न्यूज़Budget 2020 Taxpayers may get tax deduction and benefit in this section

बजट 2020: Taxpayers को मिलेगी बड़ी छूट, यहां कम हो सकता है टैक्स

कंपनी कर में कटौती के बाद सरकार आम करदाताओं को राहत देने की तैयारी में है। सूत्रों के मुताबिक सरकार बजट में आम करदाताओं को आयकर में बड़ी छूट दे सकती है। इसके लिए सरकार मौजूदा श्रेणी में भारी बदलाव कर...

Sheetal Tanwar एजेंसी, नई दिल्ली Thu, 23 Jan 2020 12:50 PM
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कंपनी कर में कटौती के बाद सरकार आम करदाताओं को राहत देने की तैयारी में है। सूत्रों के मुताबिक सरकार बजट में आम करदाताओं को आयकर में बड़ी छूट दे सकती है। इसके लिए सरकार मौजूदा श्रेणी में भारी बदलाव कर सकती है। सूत्रों के मुताबिक छोटे करदाताओं को राहत देने के लिए सालाना सात लाख रुपये तक की आय पर पांच फीसदी टैक्स का प्रस्ताव है। उल्लेखनीय है कि मौजूदा समय में सालाना पांच लाख रुपये तक की कमाई पर पांच फीसदी टैक्स लगता है।

स्वास्थ्य बजट में 25 फीसदी वृद्धि की मांग 
स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़ी हस्तियों ने बजट में लोगों की सेहत का खास ख्याल रखे जाने की उम्मीद जताते हुए कहा है कि इतना धन तो उपलब्ध कराया ही जाना चाहिए जिससे उपचार कराना आम आदमी की पहुंच में हो सके। 

डिजिटल हेल्थ केयर के क्षेत्र में अग्रणी शिफा केयर के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एवं संस्थापक मनीष छाबड़ा ने कहा कि पिछले वर्ष के स्वास्थ्य क्षेत्र के 62398 करोड़ रुपये के बजट में कम से कम 25 फीसदी की वृद्धि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को करनी चाहिए। इससे स्वास्थ्य क्षेत्र में आधुनिक सुविधाएं मुहैया कराए जाने के साथ ही गरीबों का भी उपचार कराए जाने में सक्षम हुआ जा सकेगा। छाबड़ा ने कहा कि इस क्षेत्र में लागू वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) हटा दिया जाना चाहिए। इससे स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में नवाचार को बढ़ावा मिलेगा। 

उन्होंने कहा कि सरकार को ऐसी नीति लागू करनी चाहिए जिससे गंभीर बीमारियां जैसे हृदय रोग, मधुमेह, कैंसर, रक्तचाप दर्द, जलन और सूजन आदि में बायोसिमिलर का उपयोग करके पीड़तिों का उपचार किया जा सके। बायोसिमिलर से जुड़ी नीति लागू करने पर 50 करोड़ डॉलर के निवेश की जरूरत होगी। आस्ट्रेलिया में इस नीति के लागू करने से उपचार में खर्च होने वाले सरकारी धन में 50 से 70 प्रतिशत तक कमी आई है।
 
रोजगार और आय बढ़ाने वाला हो बजट 
रेटिंग्स एंड रिसर्च ने कहा है कि भारतीय अर्थव्यवस्था की सुस्ती के कारक निकट भविष्य में दूर होते नहीं दिख रहे और सरकार को बजट में इस प्रकार निवेश करना चाहिए जिससे रोजगार सृजन हो तथा लोगों की व्यय योग्य आय बढ़े। चालू वित्त में विकास दर के 5.5 पांच प्रतिशत से नीचे रहने का जोखिम बना रहेगा। एजेंसी के अनुसार, अर्थव्यवस्था में सुस्ती के कई कारक हैं। इनमें बैंकों के ऋण उठाव में सुस्ती और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के ऋण उठान में अचानक तेज गिरावट, आम लोगों की आमदनी और उनकी बचत में कमी आना तथा फंसी हुई पूंजी से जुड़े विवादों के जल्द निपटारे में समाधान और न्याय प्रणाली की विफलता प्रमुख हैं। एजेंसी ने कहा हालांकि वित्त वर्ष 2020-21 में कुछ सुधार की उम्मीद है, लेकिन ये सभी नकारात्मक कारक बने रहेंगे। इसके परिणामस्वरूप भारतीय अर्थव्यवस्था कम उपभोग तथा कम निवेश के दौर में उलझी रहेगी। एजेंसी का मानना है कि इस स्थिति से निपटने के लिए नीतिगत स्तर पर बड़े कदम उठाने की जरूरत है ताकि घरेलू मांग बढ़े और अर्थव्यवस्था ऊंची विकास दर के रास्ते पर दुबारा लौट सके। उसने कहा कि सरकार ने आर्थिक सुस्ती से निपटने के लिए पिछले कुछ समय में कई उपायों की घोषणा की है, लेकिन उनके फायदे मध्यम अवधि में ही सामने आयेंगे। इसलिए 1 फरवरी को संसद में पेश होने वाले बजट से काफी उम्मीदें हैं। उसने कर राजस्व तथा गैर-कर राजस्व में गिरावट की आशंका जताते हुए कहा कि इससे वित्तीय घाटा बढ़ सकता है। रिजर्व बैंक से प्राप्त अधिशेष राशि को जोड़ने के बावजूद चालू वित्त वर्ष में वित्तीय घाटा 3.6 प्रतिशत पर पहुंच सकता है। बजट में इसके 3.3 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया गया था। 

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