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बजट 2019: जाने क्या होता है अंतरिम बजट, 1 फरवरी को वित्त मंत्री करेंगे पेश 

वित्त वर्ष 2019-20 के लिए बजट पेश करने में करीब 8 दिन का समय बचा है। वित्त मंत्री अरुण जेटली  की जगह अब 1 फरवरी को रेल मंत्री पीयूष गोयल अंतरिम बजट पेश करेंगे। अरुण जेटली अस्वस्थ हैं...

बजट 2019: जाने क्या होता है अंतरिम बजट, 1 फरवरी को वित्त मंत्री करेंगे पेश 
लाइव हिन्दुस्तान टीम,नई दिल्लीThu, 24 Jan 2019 02:20 PM
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वित्त वर्ष 2019-20 के लिए बजट पेश करने में करीब 8 दिन का समय बचा है। वित्त मंत्री अरुण जेटली  की जगह अब 1 फरवरी को रेल मंत्री पीयूष गोयल अंतरिम बजट पेश करेंगे। अरुण जेटली अस्वस्थ हैं और इलाज के लिए विदेश में हैं, इस वजह से गोयल को वित्त और कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है।  इस बार आम बजट की जगह अंतरिम बजट पेश होगा। परंपरा के अनुसार जिस साल लोकसभा चुनाव होने होते हैं, केंद्र सरकार पूरे वित्त वर्ष की बजाय कुछ महीनों तक के लिए ही बजट पेश करती है और चुनाव होने के बाद नई गठित सरकार पूर्ण बजट पेश करती है। आइए जानते हैं कि अंतरिम बजट क्या है और यह कैसे पूर्ण बजट से अलग है।

क्या है अंतरिम बजट

जब केंद्र सरकार के पास पूर्ण बजट पेश करने के लिए समय नहीं होता है तो वह अंतरिम बजट पेश करती है। लोकसभा चुनाव के समय सरकार के पास वक्त तो होता है लेकिन परंपरा के मुताबिक चुनाव पूरा होने तक के समय के लिए बजट पेश करती है। यह पूरे साल की बजाय कुछ महीनों तक के लिए ही होता है। हालांकि, अंतरिम बजट ही पेश करने की बाध्यता नहीं होती है लेकिन परंपरा के मुताबिक इसे अगली सरकार पर छोड़ दिया जाता है। नई सरकार बनने के बाद वह आम बजट पेश करती है।

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अंतरिम बजट और आम बजट में अंतर

दोनों ही बजट में सरकारी खर्चों के लिए संसद से मंजूरी ली जाती है लेकिन अंतरिम बजट आम बजट से अलग हो जाता है। अंतरिम बजट में सामान्यतः सरकार कोई नीतिगत फैसला नहीं करती। हालांकि, इसकी कोई संवैधानिक बाध्यता नहीं होती है। चुनाव के बाद गठित सरकार ही अपनी नीतियों के मुताबिक फैसले लेती है और योजनाओं की घोषणा करती है। हालांकि, कुछ वित्त मंत्री पूर्व टैक्स की दरों में कटौती जैसे नीतिगत फैसले ले चुके हैं। इस बार वित्त मंत्री अरुण जेटली के अंतरिम बजट से भी ऐसी ही उम्मीदें की जा रही हैं कि इनकम क्लास को टैक्स में कुछ छूट मिल सकती है।

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अंतरिम बजट और लेखानुदान (वोट ऑन अकाउंट) में अंतर
जब केंद्र सरकार पूरे साल की बजाय कुछ ही महीनों के लिए संसद से जरूरी खर्च के लिए अनुमति मांगती है तो वह अंतरिम बजट की बजाय वोट ऑन अकाउंट पेश कर सकती है। अंतरिम बजट और वोट ऑन अकाउंट दोनों ही कुछ ही महीनों के लिए होते हैं लेकिन दोनों के पेश करने के तरीके में अंतर होता है। अंतरिम बजट में केंद्र सरकार खर्च के अलावा राजस्व का भी ब्यौरा देती है जबकि लेखानुदान में सिर्फ खर्च के लिए संसद से मंजूरी मांगती है।

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