केंद्र को रिजर्व बैंक से 5 साल में पूंजी देने की सिफारिश
जालान समिति ने रिजर्व बैंक की आरक्षित पूंजी के उपयुक्त स्तर के बारे में रिपोर्ट को अंतिम रूप दे दिया। सरकार को अधिशेष पूंजी का हस्तांतरण तीन से पांच साल में किया जा सकता है। ऐसा माना जा रहा...
जालान समिति ने रिजर्व बैंक की आरक्षित पूंजी के उपयुक्त स्तर के बारे में रिपोर्ट को अंतिम रूप दे दिया। सरकार को अधिशेष पूंजी का हस्तांतरण तीन से पांच साल में किया जा सकता है।
ऐसा माना जा रहा है कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के पूर्व गवर्नर बिमल जालान की अध्यक्षता वाली समिति केंद्रीय बैंक की आकस्मिक निधि से 50,000 करोड़ रुपये केंद्र सरकार को हस्तांतरित करने की सिफारिश कर सकती है। यह समिति आरबीआई के आरक्षित पूंजी निधि के आकार की जांच-पड़ताल कर रही है। समिति अपनी रिपोर्ट इस सप्ताह आरबीआई को सौंपेगी। सूत्रों ने बताया कि ईसीएफ (आर्थिक पूंजी फ्रेमवर्क) समिति के सदस्यों द्वारा प्राप्त फामूर्ले के अनुसार 50,000 करोड़ रुपये हस्तांतरण का सुझाव दिया जा सकता है।
आरबीआई की सालाना रिपोर्ट 2017-18 के अनुसार, विभिन्न प्रकार की आरक्षित निधियों में आकस्मिक निधि 2.32 लाख करोड़ रुपये, परिसंपत्ति विकास निधि 22,811 करोड़ रुपये, मुद्रा व स्वर्ण पुनमूर्ल्यांकन खाता 6.91 लाख रुपये और निवेश पुनमूर्ल्यांकन खाता रि-सिक्योरिटीज 13,285 करोड़ रुपये है। कुल निधि 9.59 करोड़ रुपये है।
केंद्र सरकार पूरी आकस्मिक निधि 2.32 लाख करोड़ रुपये चाहती है लेकिन जालान समिति मुद्रा में उतार-चढ़ाव को लेकर पूरी निधि सरकार को हस्तांतरित किए जाने के पक्ष में नहीं है। सरकार मानती है कि आकस्मिक निधियों व अन्य निधियों के हस्तांतरण के माध्यम से आरबीआई के पास पयार्प्त पूंजी से अधिक रकम है।
अटकलें यह लगाई जा रही थीं कि केंद्र सरकार कुल आरक्षित निधि 9.6 लाख करोड़ रुपये की एक तिहाई रकम का हस्तांरतण चाहती है। पिछले साल सरकार ने कहा था कि आरबीआई को 3.6 लाख करोड़ रुपये या एक लाख करोड़ रुपये हस्तांतरित करने के लिए कहने का कोई प्रस्ताव नहीं है।
केंद्र को रिजर्व बैंक से 50 हजार करोड़ देने की सिफारिश