Hindi Newsबिज़नेस न्यूज़Beware Do not be tricked by cheap offer from builders while buying house

सावधान: घर घरीदते समय बिल्डर की सस्ती पेशकश के झांसे में न आएं

त्योहारों में कई लोग अपने घर का सपना पूरा करना चाहते हैं। उपभोक्ताओं को लुभाने के लिए ऐसे मौकों पर बिल्डर कई तरह की आकर्षक पेशकश करती हैं जिसमें सिर्फ पांच फीसदी के शुरुआती भुगतान पर घर की बुकिंग भी...

Deepak हिन्दुस्तान।, नई दिल्ली।Sun, 6 Oct 2019 06:13 AM
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त्योहारों में कई लोग अपने घर का सपना पूरा करना चाहते हैं। उपभोक्ताओं को लुभाने के लिए ऐसे मौकों पर बिल्डर कई तरह की आकर्षक पेशकश करती हैं जिसमें सिर्फ पांच फीसदी के शुरुआती भुगतान पर घर की बुकिंग भी शामिल है। आप इस त्योहार घर की बुकिंग की योजना बना रहे हैं तो ऐसी पेशकश से सावधान हो जाइए। ऐसी पेशकश में बिल्डर का फायदा छिपा होता है और उसकी एक गलती पर आपकी जीवनभर की कमाई डूब सकती है। पेश है एक रिपोर्ट।

क्या है यह सस्ती पेशकश
बेहद मामूली राशि से घर की बुकिंग की पेशकश को मददगार योजना (सबवेंशन प्लान) कहते हैं। इसमें बिल्डर सिर्फ पांच फीसदी या 20 फीसदी राशि चुकाकर उपभोक्ताओं को घर या फ्लैट की बुकिंग की पेशकश करता है। बाकी राशि आपके होम लोन के जरिये सीधे बिल्डर को मिल जाती है। बिल्डर फ्लैट पर कब्जा होने तक होम लोन का ब्याज खुद चुकाने का वादा करता है। ऐसे में इस तरह की पेशकश बेहद सस्ती और आकर्षक लगती है।

महंगा पड़ता है सौदा
इस तरह की पेशकश में बिल्डर उपभोक्ता को यह समझाने की कोशिश करते हैं कि फ्लैट पर कब्जा होने तक उसे कोई ईएमआई नहीं चुकानी है। ऐसे में कई बार सस्ती और आसान दिखने वाली इस पेशकश के झांसे में उपभोक्ता आ जाते हैं। लेकिन वित्तीय और रियल एस्टेट विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसी पेशकश उपभोक्ता के लिए घाटे का सौदा होती है। उनका कहना है कि बिल्डर सामान्यत: एक ही बिल्डिंग में एक तरह के फ्लैट की अलग-अलग कीमत रखते हैं। इसमें वह बेहद कम राशि से बुकिंग और ब्याज अपनी ओर से चुकाने के पेशकश वाले फ्लैट की कीमत ज्यादा रखते हैं जिसमें से ब्याज की राशि वसूल की जा सके। 

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उपभोक्ता के डिफॉल्टर होने का खतरा
बिल्डर जब इस तरह की पेशकश करते हैं तो सामान्यत: किसी बैंक या गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के साथ करार करके रखते हैं। बैंक उपभोक्ता के नाम कर्ज देते हैं और उसकी राशि बिल्डर के खाते में डालते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि यह बिल्डर,उपभोक्ता और बैंक में त्रिपक्षीय समझौता होता है। इसके तहत बिल्डर होम लोन का ब्याज चुकाने का वादा करता है। 

लेकिन इसमें यह स्पष्ट होता है कि ब्याज चुकाने में असफल रहने पर राशि का भुगतान करने की जिम्मेदारी उपभोक्ता की होगी। ऐसी स्थिति में यदि बिल्डर डिफॉल्ट करता है तो उपभोक्ता का क्रेडिट स्कोर खराब होता है। ऐसी स्थिति में उपभोक्ता को आगे बैंक किसी भी तरह का कर्ज देने से मना कर सकते हैं। देश में कई बिल्डरों के डिफॉल्टर होने के बाद बैंकों ने उनके उपभोक्ताओं को डिफॉल्टर करार दिया है। 

बिल्डर के लिए फायदेमंद
बेहद कम राशि से फ्लैट की बुकिंग की पेशकश वाली योजनाएं बिल्डर के लिए आसानी से रकम जुटाने की एक जरिया होती हैं। वित्तीय सलाहकारों का कहना है कि होम लोन की दर आठ फीसदी के करीब हो गई है। वहीं बिल्डर को 12 फीसदी या उससे भी ऊंचे ब्याज पर कर्ज मिलता है। ऐसे में उपभोक्ता के होम लोन के जरिये परियोजना के लिए राशि जुटाना बिल्डरों के लिए एक सस्ता और आसान विकल्प होता है। 

रियल एस्टेट क्षेत्र की सलाहकार कंपनी जेएलएल इंडिया के मुख्य अर्थशास्त्री और मुख्य शोध अधिकारी सामंतक दास का कहना है कि ऐसी पेशकश बिल्डर के लिए हमेशा फायदेमंद होती है क्योंकि उसे बेहद आसानी से सस्ते ब्याज पर राशि मिल जाती है और उसकी बिक्री बढ़ाने में मददगार होती है। वहीं उपभोक्ता के लिए यह उस समय परेशानी का सबब बन जाती है जब बिल्डर ब्याज चुकाने में देरी करता है या उसमें असफल रहता है।

घर का सामान मुफ्त देने का ऑफर
त्योहारों के अवसर पर बिल्डर इस तरह की पेशकश में फ्लैट की बुकिंग कराने पर फर्निचर, मॉड्यूलर किचन, सभी कमरों में एसी और अन्य उत्पाद देने की पेशकश भी करते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह की पेशकश को आंखमूंदकर नहीं स्वीकार करना चाहिए। ऐसी पेशकश में संबंधित वस्तुओं की गुणवत्ता बहुत अच्छी नहीं होती है। साथ ही इनमें कई उत्पाद ऐसे होते हैं जो आपके पास पहले से मौजूद होते हैं।

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टैक्स छूट का फायदा नहीं
बिल्डर जब आपके होम लोन का ब्याज चुकाने की पेशकश करता है तो यह टैक्स के लिहाज से भी घाटे का सौदा होता है। होम लोन के ब्याज भुगतान पर दो लाख रुपये और मूलधन के भुगतान पर 1.5 लाख रुपये की टैक्स छूट मिलती है। लेकिन यह छूट तभी मिलती है जब ब्याज या ईएमआई आप चुकाते हैं। साथ ही फ्लैट पर कब्जा मिलने के बाद ही यह टैक्स छूट मिलती है। ब्याज भुगतान के बदले उपभोक्ता फ्लैट पर कब्जा मिलने के बाद पांच साल तक बराबर किस्तों में टैक्स छूट का दावा कर सकते हैं। लेकिन नांगिया एडवाइजर की कार्यकारी निदेशक नेहा मल्होत्रा का कहना है कि बिल्डर द्वारा ब्याज चुकाने की स्थिति में उपभोक्ता के लिए टैक्स छूट का दावा बेहद मुश्किल होता है।

ऐसे करें पेशकश की पड़ताल करें
कोई बिल्डर बेहद आकर्षक पेशकश कर रह है तो उसकी गंभीरता से पड़ताल करें। सबसे पहले यह पता करें कि उसकी वित्तीय स्थिति कैसी है। साथ ही यह भी जानकारी हासिल करें कि इसके पहले फ्लैट समय पर देने का उसका रिकॉर्ड कैसा है। उसका पहले या मौजूदा समय में कोर्ट में खरीदारों से कोई विवाद तो नहीं चल रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि बिल्डर जिस जमीन पर फ्लैट बना रहा है वह सभी नियमों और शर्तों की पूरी करती है या नहीं। यह भी देखें कि बिल्डर ने जमीन पर बैंक से कर्ज लिया या उसने परियोजना के फ्लैट गिरवी रखे हैं। 

सामान्यत: बिल्डर जमीन के बदले बैंकों से कर्ज लेते हैं और डिफ्लाटर होने की स्थिति में बैंक उस जमीन पर कब्जा कर सकते हैं। दिल्ली-एनसीआर में नोएडा स्थित एक बिल्डर ने परियोजना के फ्लैट गिरवी रख कर कर्ज लिया था और उसी फ्लैट को उपभोक्ताओं को बेच दिया था। बिल्डर के डिफॉल्टर होने पर बैंक ने खरीदारों के फ्लैट पर कब्जा करने का नोटिस दिया था। इस मामले में खरीदारों द्वारा आंदोलन चलाने के बाद बैंक को पीछे हटना पड़ा। विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसी स्थिति में खरीदार को बेदखल नहीं किया जा सकता है। लेकिन इसके लिए कोर्ट में काफी समय तक चक्कर लगाना पड़ सकता है। ऐसे में बिल्डर के दस्तावेज की पड़ताल के बाद ही फ्लैट बुकिंग का फैसला करें।

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