ग्राहकों से बिना जानकारी शुल्क वसूल रहे बैंक, एक साल में चार लाख शिकायतें
भारतीय रिजर्व बैंक के पास ग्राहकों ने बैंकों के खिलाफ पिछले एक साल में करीब 4 लाख शिकायतें दर्ज कराई हैं। ये शिकायतें डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड से लेकर बिना जानकारी शुल्क लगाने समेत खराब बैंकिंग...
भारतीय रिजर्व बैंक के पास ग्राहकों ने बैंकों के खिलाफ पिछले एक साल में करीब 4 लाख शिकायतें दर्ज कराई हैं। ये शिकायतें डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड से लेकर बिना जानकारी शुल्क लगाने समेत खराब बैंकिंग सेवाओं से जुड़ी 20 से ज्यादा श्रेणी में की गई हैं। आरटीआई में यह भी बताया गया है कि मार्च से जून के दौरान रिजर्व बैंक के निर्देशों के उल्लंघन के भी हजारों मामले देखे गए हैं। साथ ही गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों ने बैंकों की तुलना में ग्राहकों को ज्यादा ठगा है।
हिन्दुस्तान की तरफ से सूचना के अधिकार के तहत मांगी जानकारी में बताया गया है कि एक जुलाई 2019 से 30 जून 2020 के दौरान रिजर्व बैंक के कार्यालयों में बैंकों के खिलाफ 3,80,025 शिकायतें दर्ज कराई गई हैं। आरबीआई की तरफ से शिकायतों का महीनेवार ब्योरा भी दिया गया है, जिसमें पिछले साल सितंबर में एक महीने में सबसे ज्यादा 39738 शिकायतें मिलीं।
लॉकडाउन में 1.20 लाख शिकायतें
देशभर में मार्च से जून 2020 के बीच अप्रैल को छोड़ दें तो हर महीने 30 हजार से ज्यादा शिकायतें मिलीं। अप्रैल में ये आंकड़ा साढ़े अट्ठाइस हजार शिकायतों का था। इस दौरान कुल 120542 शिकायतें दर्ज कराई गई हैं। आरटीआई में आरबीआई ने ये भी बताया है कि शिकायतों में सरकारी और निजी क्षेत्र दोनों के बैंक शामिल हैं। इसमें 92,231 शिकायतों के साथ भारतीय स्टेट बैंक सबसे ऊपर हैं। दूसरे नंबर पर निजी क्षेत्र का बैंक एचडीएफसी है। इसके खिलाफ ग्राहकों ने 29,276 शिकायतें की हैं। आईसीआईसीआई के खिलाफ 23,245; एक्सिस बैंक के खिलाफ 18,532 और पंजाब नेशनल बैंक के खिलाफ ग्राहकों ने 18,120 शिकायतें की हैं।
मोरेटोरियम उल्लंघन के मामले
आरबीआई की तरफ से कर्ज की ईएमआई पर छूट दिए जाने संबंधी मामलों पर पूछे गए सवाल के जवाब में बताया गया है कि बैंकों की तुलना में गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों यानी एनबीएफसी ने ग्राहकों को ज्यादा परेशान किया है। हालांकि आरटीआई के जवाब में बताया गया है कि शिकायतों के लिए मोरेटोरियम जैसे अलग से कोई धारा नहीं है लेकिन बैंकों और एनबीएफसी की तरफ से रिजर्व बैंक के निर्देशों का उल्लंघन जरूर हुआ है। बताया गया है कि कम्पलेंट मैनेजमेंट सिस्टम में 1 मार्च से 30 जून के बीच रिजर्व बैंक के 22 बैंकिंग लोकपाल कार्यालयों में 770 शिकायतें दर्ज हुई हैं। वहीं इस दौरान एनबीएफसी की 2097 शिकायतें मिली हैं। साथ ही बैंकों और एनबीएफसी की तरफ से बिना बताए चार्जेज लगाने की 6466 शिकायतें मिली हैं।
शिकायतों का महीनेवार ब्योरा
- जुलाई 2019 - 30856
- अगस्त 2019 - 36409
- सितंबर 2019 – 39738
- अक्टूबर 2019 - 34855
- नवंबर 2019 - 32287
- दिसंबर 2019 - 29154
- जनवरी 2020 - 28427
- फरवरी 2020 - 27757
- मार्च 2020 - 30522
- अप्रैल 2020 - 28499
- मई 2020 - 31488
- जून 2020 – 30033
बैकों के लिए ऑडिट नियमों में संशोधन
भारतीय रिजर्व बैंक ने शनिवार को संशोधित विस्तृत ऑडिट रिपोर्ट (एलएफएआर) नियम जारी किए। इसका मकसद आंतरिक ऑडिट और जोखिम प्रबंधन प्रणाली में सुधार करना है। रिजर्व बैंक ने कहा कि एलएफएआर में संशोधन बैंकिंग परिचालन के आकार, जटिलताओं, कारोबारी मॉडल में हुए व्यापक बदलावों की वजह से किया गया है। एलएफएआर सांविधिक केंद्रीय ऑडिटरों तथा बैंक के शाखा ऑडिटरों पर लागू होता है।
केंद्रीय बैंक ने कि संशोधित एलएफएआर को 2020-21 तथा उससे आगे की अवधि के लिए परिचालन में रखा जाएगा। आरबीआई ने बैंकों को यह भी निर्देश दिया है कि वे अपने आडिटरों से एलएफएआर समय से प्राप्त करें।नए नियमों के तहत बैंक को अपने आडिटर से प्राप्त एलएफएआर को उस पर अपने निदेशक मंडल की टिप्पणी और दिशानिर्देश संबंधित एजेंडा नोट के साथ रिजर्व बैंक के पास भेजना जरूरी होगा। एलएफएआर में कर्ज जोखिम, बाजार जोखिम के क्षेत्रों, वीमा/गारंटी संबंधी कार्य और परिचालन जोखिम , पूंजी पर्याप्तता, कारोबार की दर्शा और नकद धन के जोखिम के आकलन जैसे बिंदुओं को भी शामिल करना होगा।
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