Hindi Newsबिज़नेस न्यूज़Banks are charging a processing fee of up to rs 10000 double the terms and fees on the distressed borrowers

संकटग्रस्त कर्जदारों पर शर्तों और शुल्क की दोहरी मार, बैंक वसूल रहे हैं 10000 रुपये तक प्रोसेसिंग फीस

कोरोना महामारी के कारण वित्तीय संकट में आए कर्जदारों को लोन पुनर्गठन (रिस्ट्रक्चरिंग) कराने में शर्तों और शुल्क की दोहरी मार पड़ रही है। बैंक लोन पुनर्गठन करने के लिए 1000 से 10 हजार रुपये तक...

Sheetal Tanwar एजेंसी, नई दिल्लीThu, 24 Sep 2020 08:49 AM
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कोरोना महामारी के कारण वित्तीय संकट में आए कर्जदारों को लोन पुनर्गठन (रिस्ट्रक्चरिंग) कराने में शर्तों और शुल्क की दोहरी मार पड़ रही है। बैंक लोन पुनर्गठन करने के लिए 1000 से 10 हजार रुपये तक प्रोसेसिंग शुल्क वसूल रहे हैं। साथ ही ब्याज दरों में भी बढ़ोतरी कर रहे हैं। वहीं, कई बैंकों ने लोन पुनर्गठन के शर्तों को काफी पेचीदा बना दिया है जिनको पूरा करना कर्जदारों के लिए मुश्किल हो रहा है।

इस संकट के समय मे ग्राहकों से लोन पुनर्गठन पर शुल्क और अधिक ब्याज वसूलने पर बैंक के अधिकारियों का कहना है कि इस पूरे प्रोसेस में एक लागत आ रही है। बैंक इसकी भरपाई अपनी जेब से नहीं कर सकता है। इसके लिए वह यह बढ़ा शुल्क ग्राहकों से ले रहे हैं। बैंकों का कहना है कि वह लोन पुनर्गठन से पहले ग्राहक पर कोरोना के करण पड़े वित्तीय प्रभाव, क्रेडिट स्कोर, भविष्य में आय के साधान जैसे प्रमुख चीजों पर गौर कर रहा है। इसके बाद ही वह लोन पुनर्गठन करेगा। सेंट्रल बैंक की वेबसाइट के अनुसार, वह अपने ग्राहकों से लोन पुनर्गठन के लिए एक हजार से 10 हजार रुपये चार्ज करेगा। निजी क्षेत्र के सबसे बड़े बैंक एचडीएफसी ने भी कहा कि वह भी लोन पुनर्गठन कराने वाले ग्राहकों से शुल्क वसूलेगा। इसके साथ है बैंक ने कहा कि वह 25000 से नीचे के लोन का पुनर्गठन नहीं करेगा। वहीं, देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने लोन पुनर्गठन पर 0.35 फीसदी अधिक ब्याज वूसलेगा। यानी, कुल मिलाकर व्यक्तिगत कर्जदारों पर इस कोरोना संकट में दोहरी मार पड़नी तय है।

कागजी औपचारिकताएं पूरी करना मुश्किल
बैंकिंग विशेषज्ञों का कहना है कि लोन पुणर्गठन कराने के लिए बैंकों ने सैलरी स्लिप, इनकम का डिक्लेरेशन, नौकरी जाने के मामले में डिस्चार्ज लेटर, अकाउंट का स्टेटमेंट आदि समेत कई दस्तावेज मांगे हैं। हर नौकरीपेशा या छोटे बिजनेसमैन के लिए इसको पूरा करना काफी मुश्किल होगा। ऐसी स्थिति में वह चाहकर भी अपना लोन को पुनर्गठन नहीं करा पाएंगा। ऐसे स्थिति में बैंकों पर फंसे कर्ज (एनपीए) का बोझ बढ़ना तय है। इस पूरी प्रक्रिया को सरल बनाकर आम लोगों को राहत देने की जरूरत है।

खुद नियमबना रहे हैं बैंक
लोन मोरेटोरियम सुविधा 31 अगस्त खत्म होने के बाद आरबीआई के नए दिशानिर्देशों के अनुसार बैंक खुद नियम और शर्तें बनाकर कर्जदारों को लोन पुनर्गठन के लिए पेशकश कर रहे हैं। हर बैंक अपने अनुसार नियम बना रहे हैं। इससे कर्जदारों को दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। वहीं, आरबीआई के गाइड होने के कारण छह महीने के लोन मोरेटोरियम में इस तरह की कोई समस्या आम लोगों को नहीं उठानी पड़ी थी।

लोन की अवधि भी होगी प्रभावित

लोन पुनर्गठन कराने में अतिरिक्त ब्याज लागत के साथ-साथ लोन अवधि के संभावित विस्तार पर भी ध्यान दें। अगर आप नौकरीपेशा हैं और रिटायरमेंट के करीब हैं तो लोन पुनर्गठन विकल्प से लोन चुकाने की अवधि में संभावित विस्तार बेहद जोखिमभरा हो सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि पुनर्गठन लोन की अवधि आपके रिटायरमेंट के बाद के सालों तक जाएगी, जहां आपकी आय के माध्यम कम होंगे। इसलिए फैसला लेने से पहले लोन की बढ़ी हुई अवधि में रिपेमेंट की संभावना का आकलन जरूर कर लें।

ब्याज पर ब्याज की तलवार पर फैसला आना बाकी
सुप्रीम कोर्ट में बैंकों द्वारा छह महीने की मोरेटोरियम अवधि के दौरान ब्याज पर ब्याज वसूलने के फैसले पर सुनवाई हो रही है। बैंकों ने कर्जदारों से ब्याज पर ब्याज नहीं वसूलने के लिए केंद्र सरकार से विचार करने को कहा है। अभी इस पर फैसला आना बाकी है।

आरबीआई को तत्काल दखल देने की जरूरत
बैंकिंग विशेषज्ञ अश्विनी राणा ने हिन्दुस्तान को बताया कि कोरोना संकट के बीच बैंकों द्वारा पहले से दिए गए लोन को पुनर्गठन करने के लिए प्रोसेसिंग शुल्क और अधिक ब्याज वूसलना बिल्कुल गलत है। इस आफदा में बैंक कमाई के अवसर तलाश रहे हैं। इससे आम लोगों पर वित्तीय बोझ बढ़ेगा जिससे उनकी माली हालात और खराब होगी। सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को इस मामले में तत्काल दखल देकर आम लोगों को राहत देने की व्यवस्था करनी चाहिए। ऐसा नहीं करने से स्थिति और खराब होगी।

पीएफ, एफडी या गोल्ड लोन का सहारा लें
सेबी पंजीकृत निवेश सलाहकार जितेंद्र सोलंकी ने हिन्दुस्तान को बताया कि लोन पुनर्गठन कराना से आम लोगों पर वित्तीय बोझ बढ़ेगा। अगर संभव हो लोन पुनर्गठन नहीं कराकर ईएमआई का भुगतान भविष्य निधि फंड (पीएफ), सावधि जमा (एफडी) या गोल्ड लोन लेकर कर सकते हैं। आप पीएफ से कर्ज लेकर कम ब्याज पर लोन की ईएमआई चुका सकते हैं। बाद में आप पीएफ में वह पैसा जमा कर सकते हैं। या वीपीएफ खोलकर पीएफ में अधिक राशि मासिक जमा कर सकते हैं। इसी तरह आपके पास अगर एफडी है तो उसे तोड़कर लोन की ईमएआई दे सकते हैं। ऐसा कर आप अपने वित्तीय बोझ को कम कर सकते हैं। बाद में पैसा आने पर फिर से आप एफडी करा सकते हैं।

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