अटक सकता है मोबाइल-यूटिलिटी बिल का ऑटो पेमेंट, 1 अप्रैल से बढ़ सकती है परेशानी
अगर आपने भी मोबाइल बिल, बिजली बिल या बाकी किसी यूटिलिटी बिल के भुगतान के लिए ऑटो डेबिट की सुविधा ले रखी है तो 1 अप्रैल से परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। आपका कई बिल का भुगतान अटक सकता...
अगर आपने भी मोबाइल बिल, बिजली बिल या बाकी किसी यूटिलिटी बिल के भुगतान के लिए ऑटो डेबिट की सुविधा ले रखी है तो 1 अप्रैल से परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। आपका कई बिल का भुगतान अटक सकता है।
दरअसल, 31 मार्च से रिजर्व बैंक की एडिशनल फैक्टर ऑथेंटिकेशन (एएफए) के लिए नई गाइडलाइंस को लागू करने की डेडलाइन है। ये गाइडलाइंस डेबिट या क्रेडिट कार्ड के जरिए रेकरिंग पेमेंट के लिए होंगी। हालांकि, अधिकांश बैंकों ने इस गाइडलाइंस को अभी तक पूरा नहीं किया है। इसके चलते भुगतान अटकने की आशंका है। केंद्रीय बैंक ने बैंकों से ग्राहकों को क्रेडिट और डेबिट कार्ड के लिए ई-मैंडेट सुविधा देने को कहा था। आरबीआई के नियमों के अनुसार डेबिट और क्रेडिट कार्ड धारकों को ऐसी ट्रांजेक्शन के लिए बैंकों की तरफ से ई-मेंडेट (मंजूरी) देनी जरूरी है। आरबीआई के निर्देश के अनुसार, बैंक को पांच दिन पहले ग्राहक को पेमेंट के बारे में जानकारी देना जरूरी है। वहीं, 5000 रुपये के पेमेंट के लिए वन टाइम पासवर्ड भी भेजना अनिवार्य है। आरबीआई ने पहले कहा था कि 1 अप्रैल, 2021 से यह नियम लागू होगा लेकिन अधिकांश बैंकों और वेंडर अभी तक इसको लागू करने के लिए तैयारी नहीं किए हैं। ऐसे में अगले महीने से संकट खड़ा हो सकता है।
गाइडलाइंस को बैंकों ने पालन नहीं किया
इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने चेतावनी दी है कि लाखों कस्टमर्स जिन्होंने ऑनलाइन मंजूरियां दे रखी हैं, 1 अप्रैल के बाद फेल हो सकती है। ऐसा इसलिए क्योंकि कई बैंकों ने ऑनलाइन मंजूरियों के लिए आरबीआई की गाइडलाइंस के मुताबिक रजिस्ट्रेशन, ट्रैकिंग, मॉडिफिकेशन और विद्ड्रॉल को एक्टीवेट करने के लिए कदम नहीं उठाए हैं। नतीजा ये होगा कि 1 अप्रैल से डेबिट या क्रेडिट कार्ड से होने वाला ऑटोमैटिक मासिक रेकरिंग पेमेंट फेल हो सकता है। इसके चलते अप्रैल में 2000 करोड़ रुपये तक के पेमेंट्स पर असर पड़ सकता है, जिसमें सभी सेक्टर्स जैसे कार्ड, यूटिलिटी बिल्स, ओटीटी और मीडिया सब्सक्रिप्शन के साथ साथ एमएसएमई, कॉर्पोरेट्स भी शामिल हैं।
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