Hindi Newsबिज़नेस न्यूज़America is facing the biggest budget deficit in history at an all time high of 864 billion dollar in June

इतिहास के सबसे बड़े बजट घाटे का सामाना कर रहा अमेरिका, जून में 864 अरब डॉलर की सर्वकालिक ऊंचाई पर

अमेरिका की संघीय सरकार को इस साल जून महीने में इतिहास के सबसे बड़े बजट घाटे का सामाना करना पड़ा है। ट्रंप सरकार को एक तरफ कोरोना वायरस महामारी से लड़ने के लिए ज्यादा खर्च करना पड़ा तो दूसरी तरफ...

इतिहास के सबसे बड़े बजट घाटे का सामाना कर रहा अमेरिका, जून में 864 अरब डॉलर की सर्वकालिक ऊंचाई पर
Drigraj Madheshia एजेंसी, वाशिंगटनTue, 14 July 2020 11:30 AM
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अमेरिका की संघीय सरकार को इस साल जून महीने में इतिहास के सबसे बड़े बजट घाटे का सामाना करना पड़ा है। ट्रंप सरकार को एक तरफ कोरोना वायरस महामारी से लड़ने के लिए ज्यादा खर्च करना पड़ा तो दूसरी तरफ लाखों नौकरियों के चले जाने से उसका कर राजस्व घट गया।  अमेरिका के राजकोषीय विभाग ने बताया कि पिछले महीने यानी जून में घाटा बढ़कर 864 अरब डॉलर पर पहुंच गया। यह आंकड़ा अमेरिका के इतिहास के कई वार्षिक घाटे से भी अधिक है। इससे पहले अप्रैल माह में अमेरिका को 738 अरब डॉलर का मासिक घाटा हुआ। अमेरिकी कांग्रेस ने कोरोना वायरस के प्रभाव से निपटने के लिए पहले ही अरबों डॉलर की राशि उपलब्ध कराई है। 

अमेरिका का बजट घाटा चालू वित्त वर्ष के (एक अक्टूबर 2019 से) पहले नौ माह के दौरान कुल मिलाकर 2,740 अरब डॉलर तक पहुंच चुका है। नौ माह की इस अवधि के लिए यह घाटा एक रिकॉर्ड है। इस हिसाब से पूरे साल का घाटा 3,700 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है। अमेरिका की कांग्रेस यानी संसद ने वर्ष के दौरान बजट घाटा इस स्तर तक पहुंचने का अनुमान व्यक्त किया है। 

अमेरिका का यह बजट घाटा उसके वर्ष 2009 के पिछले सालाना रिकॉर्ड 1,400 अरब डॉलर के मुकाबले कहीं अधिक होगा। उस समय छाई मंदी के दौरान अमेरिकी सरकार ने अर्थव्यवस्था की स्थिति में सुधार लाने के लिए भारी खर्च किया था।  अमेरिकी सरकार ने कोरोना वायरस के कारण लॉकडाउन लागू किया जिससे कई लोग बेरोजगार हो गये। लोगों को राहत पहुंचाने के लिए कई कार्यक्रम शुरू किये गये। बेरोजगारों को 600 डॉलर प्रति सप्ताह का अतिरिक्त लाभ दिया गया और कंपनियों को उनके कर्मचारियों के लिए वेतन संरक्षण सुविधा दी गई ताकि उन्हें नौकरी में बरकरार रखा जाये। इसे पे-चेक सुरक्षा कार्यक्रम का नाम दिया गया जिसपर जून माह में 511 अरब डॉलर खर्च हुये। 

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