Hindi Newsबिज़नेस न्यूज़AGR case Supreme Court asks telecom companies to file their financial statements and balance sheet next hearing will be in July

एजीआर: पीएसयू से संबंधित बकाया आदेश वापस, सुनवाई स्थगित, निजी दूरसंचार कंपनियों को पिछले 10 साल के बही खाते जमा करने का निर्देश 

समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) मामले में सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) से पुराना बकाया मांगे जाने को लेकर उच्चतम न्यायालय की फटकार के बाद केंद्र सरकार ने करीब अपना आदेश वापस ले लिया है।...

Drigraj Madheshia एजेंसी, नई दिल्लीThu, 18 June 2020 03:01 PM
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समायोजित सकल राजस्व (एजीआर) मामले में सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसयू) से पुराना बकाया मांगे जाने को लेकर उच्चतम न्यायालय की फटकार के बाद केंद्र सरकार ने करीब अपना आदेश वापस ले लिया है। दूरसंचार कंपनियों के एजीआर बकाया की सुनवाई आज सुप्रीम कोर्ट में हुई। इस मामले में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि वह सार्वजनिक उपक्रमों से एजीआर से संबंधित बकाया राशि के रूप में की गई करीब 4 लाख करोड़ रुपए की मांग में से 96 फीसद वापस ले रहा है। वहीं, दूरसंचार विभाग ने कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर सार्वजनिक उपक्रमों से पहले एजीआर से संबंधित बकाए के रूप में चार लाख करोड़ रुपए की मांग करने की वजह बताई। साथ ही दूरसंचार विभाग ने एजीआर से संबंधित बकाया राशि के भुगतान के बारे में निजी संचार कंपनियों के जवाब पर प्रतिक्रिया देने के लिए न्यायालय से समय मांगा।

— ANI (@ANI) June 18, 2020

 

न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा, न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर और न्यायमूति एम आर शाह की पीठ को वीडियो कांफ्रेन्सिंग के माध्यम से सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सूचित किया कि दूरसंचार विभाग ने एक हलफनामा दाखिल किया है, जिसमे सार्वजनिक उपक्रमों से एजीआर संबंधित बकाया राशि की मांग की वजहें स्पष्ट की गई हैं।

हालांकि, भारती एयरटेल और वोडाफोन आइडिया लि, जैसी निजी संचार कंपनियों द्वारा एजीआर से संबंधित बकाया राशि के भुगतान को लेकर दाखिल हलफनामों का जवाब देने के लिए दूरसंचार विभाग ने पीठ से कुछ समय देने का अनुरोध किया है। इस मामले की सुनवाई के दौरान पीठ ने बैंक गारंटी और प्रतिभूति के बारे मे जानना चाहा जो एजीआर से संबंधित बकाया राशि का भुगतान सुनिश्चित करने के लिये इन निजी कंपनियों से लिया जा सकता है।

वहीं एयरटेल ने SC में हलफनामा दायर कर 20 साल का वक्त मांगा है। Airtel ने सरकार को 13,004 करोड़ रुपये की रकम चुकाई है। डाट के पास Bharti Airtel की 10,800 करोड़ रुपये की बैंक गारंटी मौजूद है। कंपनी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के सभी आदेशों का पालन करेगी।  

न्यायालय ने इस मामले में निजी दूरसंचार कंपनियों को पिछले 10 साल के बही खाते और अन्य वित्तीय दस्तावेज जमा कराने का निर्देश दिया। सुनवाई के दौरान भारतीय एयरटेल की ओर से पेश अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि कंपनी ने 21 हजार करोड़ रुपये के एजीआर बकाये में से 18 हजार करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया है। भारती एयरटेल ने डीओटी को बैंक गारंटी भी दी हुई है और यदि कंपनी शेष बकाये के भुगतान में आनाकानी करती है तो बैंक गारंटी को भुनाया जा सकता है।

वोडाफोन की दलील

वोडाफोन की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने दलील दी कि उनकी मुवक्किल कंपनी की स्थिति खस्ताहाल है और नये सिरे से कोई बैंक गारंटी देने की स्थिति में वह है भी नहीं। वोडाफोन को पिछली कई तिमाही से लाभ नहीं हुआ है। रोहतगी ने कहा, “मुझे (कंपनी को) एक लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। सरकार के पास बैंक गारंटी के तौर पर 15 हजार करोड़ रखे हैं। मैं इससे ज्यादा कोई और गारंटी नहीं दे सकता।”

सरकार को इस महामारी के समय पैसे की जरूरत है

न्यायमूर्ति मिश्रा ने कहा, “अपना दिमाग लगाने से पहले हम चाहते हैं कि सभी पक्ष बकाये के भुगतान के लिए कोई तार्किक उपाय सुझायें, तभी हम उस पर कोई निर्णय ले सकते हैं।” न्यायमूर्ति शाह ने निजी दूरसंचार कंपनियों से कहा कि सरकार को इस महामारी के समय पैसे की जरूरत है और कंपनियों को कुछ पैसे जमा कराने चाहिए। उन्होंने कहा, “आपका (दूरसंचार कंपनी) उद्योग एक मात्र उद्योग है, जहां महामारी में भी कमाई हो रही है।”

जुर्माना और ब्याज की तुलना में लाइसेंस फीस मामूली

टाटा की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता अरविंद दातार ने कहा कि कंपनी ने एजीआर बकाये के तौर पर 36 हजार 504 करोड़ रुपये का भुगतान किया है। उन्होंने कहा कि जुर्माना और ब्याज की तुलना में लाइसेंस फीस मामूली है। इसके बाद न्यायालय ने सभी कंपनियों को बीते 10 वर्ष के अपने बही-खाते एवं सभी वित्तीय दस्तावेज उसके समक्ष पेश करने का निदेर्श दिया। मामले की सुनवाई अब जुलाई में होगी।

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