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4 महीने में ही झूठा साबित हो रहा हिंडनबर्ग! अडानी पर लगे इन आरोपों की निकली हवा

हिंडनबर्ग की ओर से लगाए गए आरोपों और भारी बिकवाली के बावजूद इस 4 महीने में अडानी समूह खामोशी से काम करता रहा। इसी कड़ी में समूह ने संकट के इस दौर में भी निवेशकों का भरोसा जीतने की कोशिश में रहा।

4 महीने में ही झूठा साबित हो रहा हिंडनबर्ग! अडानी पर लगे इन आरोपों की निकली हवा
Deepak Kumar लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीFri, 19 May 2023 04:58 PM
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24 जनवरी 2023, वैसे तो यह एक सामान्य तारीख है लेकिन गौतम अडानी समूह के लिए यह सबसे बड़ी मुसीबत का दिन था। इस दिन अमेरिका की एक शॉर्ट सेलर फर्म हिंडनबर्ग ने 106 पेज की एक रिपोर्ट जारी कर अडानी समूह पर कई गंभीर आरोप लगाए। करीब 4 महीने बाद अब अडानी समूह पर हिंडनबर्ग द्वारा लगाए गए हर आरोप झूठे साबित होते नजर आ रहे हैं। हालांकि, अब भी शेयर बाजार को रेग्युलेट करने वाली संस्था सेबी की जांच रिपोर्ट का इंतजार है। बहरहाल, सिलसिलेवार समझते हैं कि हिंडनबर्ग द्वारा लगाए गए कौन-कौन से आरोप पर सवाल खड़े हुए हैं। 

मॉरीशस में शेल कंपनियां: हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में दावा किया गया था कि अडानी समूह ने भारत में अपनी लिस्टेड कंपनियों के शेयरों के भाव में हेराफेरी करने के लिए मॉरीशस में बनाई गई फर्जी कंपनियों का इस्तेमाल किया है। इस दावे को मॉरीशस की सरकार ने सिरे से खारिज कर दिया। बीते दिनों मॉरीशस के वित्तीय सेवा मंत्री ने संसद में बताया कि देश में अडानी समूह की फर्जी कंपनियों के मौजूद होने का आरोप लगाने वाली हिंडनबर्ग रिपोर्ट झूठ और आधारहीन है। उन्होंने अडानी समूह के मामले को लेकर स्पष्ट तौर पर कहा कि अब तक ऐसा कोई भी उल्लंघन नहीं पाया गया है। 

अब समिति की रिपोर्ट: अब सुप्रीम कोर्ट की विशेषज्ञ समिति ने कहा है कि अडानी समूह के शेयरों में हुई तेजी किसी तरह की चूक नहीं है। समिति ने यह भी कहा है कि शेयर बाजार को रेग्युलेट करने वाली संस्था सेबी विदेशी संस्थाओं से कैश फ्लो के कथित उल्लंघन की अपनी जांच में कोई सबूत नहीं जुटा सकी है। 

समिति ने यह भी कहा है कि मार्केट रेगुलेटर सेबी 13 ओवरसीज इकाइयों की ओनरशिप तय नहीं कर पाया है, जो कि 2020 से ही जांच के दायरे में हैं। पैनल ने कहा है कि अडानी स्टॉक्स को लेकर सिस्टम्स की तरफ से 849 ऑटोमेटेड 'सस्पिशस' अलर्ट्स जेनरेट किए गए। रिपोर्ट में कहा गया है कि स्टॉक एक्सचेजों ने इन 849 अलर्ट्स पर विचार किया और सेबी के सामने 4 रिपोर्ट्स फाइल की गईं। इनमें से 2 रिपोर्ट हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने के पहले फाइल की गईं, जबकि 2 रिपोर्ट्स को इसके बाद फाइल किया गया। 

हिंडनबर्ग पर संदेह: हालांकि, छह सदस्यीय समिति ने अडानी समूह के शेयरों में 'शॉर्ट पोजीशन' (भाव गिरने पर मुनाफा कमाना) बनाने का एक सबूत था और हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद भाव गिरने पर इन सौदों में मुनाफा दर्ज किया गया। आपको बता दें कि हिंडनबर्ग को भी शॉर्ट सेलिंग के जरिए कमाई करने वाली फर्म के तौर पर जाना जाता है।

अडानी समूह पर समिति की रिपोर्ट पर वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने कहा- रिपोर्ट में पाया गया है कि अडानी समूह द्वारा कोई स्टॉक मूल्य हेरफेर नहीं किया गया है और संबंधित पार्टी लेनदेन का भी कोई उल्लंघन नहीं है।

अडानी ग्रुप ने कई बार दी सफाई: बता दें कि हिंडनर्ब रिपोर्ट के बाद अडानी समूह ने इन आरोपों पर सिलसिलेवार सफाई दी और अलग-अलग तरह से निवेशकों का भरोसा जीतने की कोशिश की। तमाम कोशिशों के बावजूद अडानी समूह की कंपनियों के सभी शेयरों में गिरावट जारी रही और इससे जुड़े बैंक या बड़े निवेशकों को भी सामने आकर सफाई देनी पड़ी। वहीं, दुनियाभर की रेटिंग एजेंसियों को भी समूह की स्थिति पर मंथन करने की नौबत आ गई। इसके अलावा जनवरी में दुनिया के टॉप 5 रईस में रहने वाले गौतम अडानी टॉप 20 से भी बाहर हो गए। 

खामोशी से काम कर रहा था समूह: हिंडनबर्ग की ओर से लगाए गए आरोपों और भारी बिकवाली के बावजूद इस 4 महीने में अडानी समूह खामोशी से काम करता रहा। इसी कड़ी में समूह ने संकट के इस दौर में भी निवेशकों का भरोसा जीतने की कोशिश में रहा। दुनिया के कई हिस्सों में रोड शो आयोजित किए गए तो शेयरों को बेचकर कर्ज चुकाने के लिए भी समूह ने कई जरूरी कदम उठाए।

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