Hindi Newsबिज़नेस न्यूज़95 thousand crore cases have been settled so far under the trust scheme from the dispute-CBDT

विवाद से विश्वास योजना के तहत अब तक सुलटाये गए 95 हजार करोड़ रुपये के मामले: सीबीडीटी 

विवाद से विश्वास योजना के तहत अब तक करीब 1.20 लाख इकाइयों ने आयकर विभाग के साथ अपने मामलों को सुलटाया है। ये मामले 95 हजार करोड़ रुपये की राशि के हैं। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के प्रमुख...

Tarun Singh न्यूज़ एजेंसी, नई दिल्लीTue, 2 Feb 2021 05:39 PM
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विवाद से विश्वास योजना के तहत अब तक करीब 1.20 लाख इकाइयों ने आयकर विभाग के साथ अपने मामलों को सुलटाया है। ये मामले 95 हजार करोड़ रुपये की राशि के हैं। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के प्रमुख पीसी मोदी ने यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के द्वारा पेश बजट आयकर दाताओं के लिये कुशल और प्रभावी कर प्रणाली सुनिश्चित करने पर केंद्रित है। इसमें कोई नया कर भी नहीं लगाया गया है।

वित्त मंत्री ने पिछले बजट भाषण में विवाद से विश्वास योजना लाने की घोषणा की थी। सीबीडीटी प्रमुख ने बजट के बाद एक साक्षात्कार में कहा, ''अब तक इस योजना को एक शानदार सफलता मिली है। 31 जनवरी तक लगभग 1.20 लाख फॉर्म दाखिल किए गए हैं। इसका मतलब है कि इस योजना के तहत 22-23 प्रतिशत कर विवादों का निपटारा हो गया। ये मामले 95 हजार करोड़ रुपये की राशि के हैं।"

उन्होंने कहा कि इस योजना ने कॉरपोरेट, गैर कॉरपोरेट, राज्य सरकारों, सार्वजनिक उपक्रमों समेत विभिन्न प्रकार के करदाताओं को विवाद सुलटाने का मंच प्रदान किया। उन्होंने कहा कि समय सीमा बढ़ाने के लिये विभिन्न संस्थाओं से अनुरोध प्राप्त होने के बाद इस योजना के तहत घोषणाएं दाखिल करने की अंतिम तिथि को भी एक महीने बढ़ाकर 31 जनवरी से 28 फरवरी कर दिया गया है।

पीसी मोदी ने कहा, ''सरकार की नीति अपील करने की मौद्रिक सीमा को बढ़ाने के अलावा कर संबंधी मुकदमेबाजी को कम करने की रही है। इससे मुकदमेबाजी में बड़ी कमी आई है।" उन्होंने बजट के बारे में कहा कि लोकप्रिय उम्मीद के विपरीत आयकर स्लैब अपरिवर्तित रहे। यह बजट नागरिकों को निष्पक्ष और पारदर्शी कर सेवाएं प्रदान करने पर केंद्रित है।

उन्होंने कहा, ''इसमें कोई संदेह नहीं है कि लोगों की बजट से उम्मीद हमेशा किसी तरह की छूट या कटौती या कुछ दरों में कमी की रहती ही है, लेकिन आपको यह भी याद होगा कि पिछले साल कर की दरों को कम करने के संदर्भ में एक बड़ी कवायद की गयी थी। उसके बाद हम महामारी की चपेट में आ गये और फिर कर की दरों में कटौती पर विचार करने का अवसर शायद ही मिल पाया। अत: इस बार सोचा गया कि हम करदाताओं को एक अधिक कुशल और प्रभावी कर प्रणाली प्रदान करें।"

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