Hindi Newsबिज़नेस न्यूज़71 percent Job worker have no money to spend the next six months Burdened by salary cuts spending cuts

71 फीसद नौकरी करने वालों के पास अगले छह महीने के खर्च के लिए पैसे नहीं 

कोरोना महामारी के चलते नौकरी गंवाने और वेतन कटौती से आय में कमी का सामना कर रहे नौकरीपेशा वर्ग को खर्च में कमी करना पड़ रहा है। वेल्थ प्रबंधन कंपनी अर्थयंत्र ने यह जानकारी दी है। अर्थयंत्र की ओर...

Drigraj Madheshia नई दिल्ली। दिशा सांघवी रेणु यादव, Fri, 4 Sep 2020 06:09 PM
हमें फॉलो करें

कोरोना महामारी के चलते नौकरी गंवाने और वेतन कटौती से आय में कमी का सामना कर रहे नौकरीपेशा वर्ग को खर्च में कमी करना पड़ रहा है। वेल्थ प्रबंधन कंपनी अर्थयंत्र ने यह जानकारी दी है। अर्थयंत्र की ओर से किए गए सर्वे के अनुसार, कोरोना महामारी रोकने के लिए किए गए लॉकडाउन के अब छह महीने के बाद भारतीय परिवारों की वित्तीय स्थिति और नाजुक हो गई है।

ऐसा भारतीय अर्थव्यवस्था की रफ्तार धीमी होने के बाद वेतन कटौती, छंटनी और वेतन का बड़ा भाग वेरिएबल पे में डालने से हुआ है। इसके चलते लोगों को अपने लंबी और छोटी अवधि के वित्तीय लक्ष्यों में बदलाव करने पर मजबूर होना पड़ रहा है। कोरोना महामारी की रफ्तार दिन प्रति दिन तेज होने से भारतीय परिवारों के बीच चिंता और बढ़ी है। इससे वे छोटी और मध्यम अवधि में नकदी संकट का सामना कर रहे हैं। महामारी की रफ्तार धीमी नहीं होने से उपभोक्ताओं का विश्वास भी कमजोर हो रहा है। 

वित्तीय स्थिति नाजुक हुई 

job tension

अर्थयंत्र के फाउंडर और सीईओ नितिन व्याकरणम ने बताया कि कोरोना काल से पूर्व भारतीय काम कर रहे पेशेवरों की औसत फाइनेंशियल हेल्थ स्कोर (वित्तीय स्थिति) 1000 में 354 था। वित्तीय स्कोर 300 से नीचे जाने का मतलब होता है कि व्यक्ति की वित्तीय स्थिति ठीक नहीं है। वहीं, 300-450 औसत से नीचे है, 450-600 औसत, 600 से ऊपर अच्छा है और 800 से अधिक बहुत अच्छा माना जाता है। कोरोना महामारी आने से लोगों की वित्तीय स्थिति बहुत ही खराब हो गई है। कोरोना के बाद भारतीय की वित्तीय हेल्थ स्कोर 354 से गिरकर 284 हो गई है। 

कोरोना संकट लंबा खींचने का असर 

  • 71% नौकरी करने वालों के पास अगले छह महीने के खर्च के लिए पैसे नहीं 
  • 15 लाख सालाना कमाने वालों के पास नकदी में 60 से 70 फीसदी की गिरावट 
  • 60 फीसदी लोगों ने वित्तीय संकट के कारण यात्रा नहीं करने का फैसला किया 
  • 50 से 55 फीसदी लोगों ने 24 से 36 महीने तक कार खरीदने का फैसला टाला 
  • 45 फीसदी लोगों ने 36 से 60 महीने तक घर नहीं खरीदने का फैसला किया

नकदी संकट से जूझ रहे हैं लोग 

atm machine dispensing cash   shankar mourya ht photo

कोरोना संकट खत्म नहीं होने और बेरोजगारी बढ़ने से लोगों में तेजी से नकदी संकट बढ़ता जा रहा है। इसके साथ ही महामारी की रफ्तार बढ़ने से भी उपभोक्ताओं का विश्वास कमजोर पड़ता जा रहा है। केयर रेटिंग्स के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा कि यह पूरा साल इसी तरह से निकल जाएगा। इसक चलते लोगों को भारी नकदी संकट का सामना करना पड़ेगा।

छह महीने खर्च चलाना मुश्किल होगा 

lockdown kitchen hacks

अर्थयंत्र के अनुसार, देश के 71 फीसदी नौकरीपेशा वर्ग को अगले छह महीने के लिए अपना खर्च चलाना मुश्किल होने वाला है। ऐसा इसलिए कि अधिकांश लोगों के पास आपातकालीन फंड और नकदी जमा नहीं है। आने वाले दिनों में स्थिति और खराब होने की आशंका है। कोरोना संकट के बाद 15 लाख रुपये सालाना आय करने वाले के पास नकदी में 60 से 70 फीसदी की कमी आई है। इसके साथ ही कर्ज में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। 

बड़े सपने को लंबे समय के लिए टाला 

कोरोना के कारण वित्तीय संकट का सामना कर रहे लोगों ने अपने कार, घर जैसे बड़े सपने को 24 से 60 महीने तक टालने का फैसला किया है। ऐसा वित्तीय अनिश्चितता गहराने, नकदी संकट पैदा होने और आय में कमी आने के कारण किया है। कई लोगों ने यात्रा नहीं करने और बच्चों को विदेश पढ़ने के लिए भेजने का फैसला भी टाल दिया है। बहुत सारे लोग नौकरी गंवाने के बाद महानगरों को छोड़ अपने घर या छोटे शहरों की ओर रुख कर रहे हैं। 

 जानें Hindi News , Business News की लेटेस्ट खबरें, Share Market के लेटेस्ट अपडेट्स Investment Tips के बारे में सबकुछ।

ऐप पर पढ़ें