20 लाख करोड़ के पैकेज में मिडिल क्लास के लिए कहां राहत और कहां आफत, इन हैंड सैलरी बढ़ेगी पर फ्लैट के लिए इंतजार भी बढ़ेगा
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कोरोना संकट से निपटने के लिए 20 लाख करोड़ के आर्थिक पैकेज की पहली किस्त मुख्य तौर से मझोले एवं लघु उद्योगों (MSMEs) के लिए समर्पित रही। इस सेक्टर के लिए बिना गारंटी...

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कोरोना संकट से निपटने के लिए 20 लाख करोड़ के आर्थिक पैकेज की पहली किस्त मुख्य तौर से मझोले एवं लघु उद्योगों (MSMEs) के लिए समर्पित रही। इस सेक्टर के लिए बिना गारंटी वाले 3 लाख करोड़ रुपये के कर्ज की सुविधा दिलाने का ऐलान हुआ। हालांकि, वित्त मंत्री के बुधवार के भाषण में कई घोषणाएं ऐसी रहीं, जिसका सीधा सरोकार मिडिल क्लास से है।
तीन महीने के लिए 4 प्रतिशत इन हैंड सैलरी बढ़ाने, गैर-वेतन पेमेंट पर टीडीएस कटौती की दर 25% कम करने, इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने के लिए 4 महीने की अधिक मोहलत जैसी घोषणाओं से मध्य वर्ग को राहत मिली, वहीं रियल एस्टेट सेक्ट के लिए की गई एक घोषणा ने इस वर्ग की परेशानी बढ़ा भी दी है। जिन बिल्डरों का रजिस्ट्रेशन अथवा प्रॉजेक्ट पूरा होने की तारीख कोरोना संकट के आसपास थी उन्हें बिना किसी आवेदन के छह महीने की मोहलत मिल गई है।
अगस्त तक बढ़कर आएगी सैलरी
सरकार ने 15 हजार से कम वेतन वाले कर्मचारियों और उसके नियोक्ता, दोनों के हिस्से का 12-12% फीसदी रकम ईपीएफ खाते में जमा कराने की स्कीम को तीन महीने के लिए और बढ़ा दिया है। इस प्रकार जिन कंपनियों में 100 से कम कर्मचारी हैं, उनके 15 हजार से कम सैलरी वाले कर्मचारियों को अगस्त तक 24% सैलरी ज्यादा मिल सकेगी। साथ ही सभी कंपनियों के लिए ईपीएफ में कर्मचारियों के मूल वेतन के 12 प्रतिशत कटवाने की जगह इसे 10 प्रतिशत करने की छूट दी गई है। अब अगले तीन महीने तक 12 फीसदी की जगह 10 फीसदी रकम ही कर्मचारी और नियोक्ता की ओर से EPF खाते में जमा होंगे। इससे इनको भी इन हैंड सैलरी 4% अधिक मिलेगी।
हालांकि, इन हैंड सैलरी बढ़ने से कर्मचारियों की टैक्स देनदारी मामूली रूप से बढ़ सकती है। पीएफ में कम पैसा जमा होने से इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 80c के तहत आयकर पर छूट का फायदा कम मिलेगा। हालांकि, ऐसे लोगों को चिंता करने की जरूरत नहीं जो अन्य स्रोतों से 80c के तहत डेढ़ लाख रुपये तक की छूट ले सकते हैं। इसके अलावा वित्त मंत्री ने गैर-वेतन भुगतान पर स्रोत पर कर (टीडीएस) और स्रोत पर संग्रह (टीसीएस) में कटौती की दर 31 मार्च 2021 तक के लिए 25% कम करने का भी ऐलान किया है। इससे ऐसे प्रोफेशनलों को फायदा होगा, जो फ्रीलांस या कंसलटेंसी करते हैं।
इनकम टैक्स रिटर्न भरने के लिए अधिक समय
वित्त वर्ष 2019-20 (असेसमेंट ईयर 2020-21) के लिए पर्सनल इनकम टैक्स रिटर्न और अन्य रिटर्न की डेडलाइन 31 जुलाई से बढ़ाकर 30 नवंबर 2020 कर दी गई है।
इसके साथ ही कर विवादों के निपटान के लिए लाई गई 'विवाद से विश्वास' योजना का लाभ भी बिना किसी अतिरिक्त शुल्क के 31 दिसंबर 2020 तक के लिए बढ़ा दिया गया है। वित्त मंत्री ने कहा कि इस योजना के तहत लंबित विवादों के निपटारे की चाह रखने वाले करदाता अब 31 दिसंबर 2020 तक आवेदन कर सकेंगे। इसके लिए उन्हें अलग से किसी तरह का कोई शुल्क नहीं देना होगा। वित्त मंत्री ने एक अन्य घोषणा में कहा कि सभी धर्मार्थ न्यासों, गैर-कॉरपोरेट कारोबारों, पेशेवरों, एलएलपी फर्मों, भागीदारी फर्मों सहित को उनका लंबित रिफंड जल्द लौटाया जाएगा। उन्होंने बताया कि इससे पहले सरकार पांच लाख रुपये तक के 18,000 करोड़ रुपये तक रिफंड करदाताओ को कर चुकी है। यह रिफंड 14 लाख करदाताओं को किया गया।
बिल्डरों को राहत, फ्लैट का इंतजार बढ़ेगा
जिन लोगों को निकट भविष्य में फ्लैट मिलने की उम्मीद थी या जिनके बिल्डर ने अभी प्रॉजेक्ट का रजिस्ट्रेशन करवाया ही था, उनके फ्लैट कंप्लीशन की अवधि आज की घोषणा के बाद अपने आप छह महीने के लिए बढ़ गई है और इसके खिलाफ आप कहीं शिकायत भी नहीं कर सकते। वित्त मंत्री ने कहा कि 25 मार्च से देश में लॉकडाउन लागू हुआ था। ऐसे में जिन प्रॉजेक्ट के रजिस्ट्रेश अथवा कंप्लीशन होने की समय इसके आसपास था उनकी तिथि बिना किसी आवेदन के छह माह आगे बढ़ा दी जाएगी। नए प्रावधान के तहत आवास एवं शहरी विकास मंत्रालय सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के रेरा को कोविड-19 को 'दैवीय आपदा' मानने का निर्देश दिया जाएगा ताकि रेरा कानून में इसे फोर्स मेज्योर बताते हुए बिल्डरों को प्रॉजेक्ट पूरा करने की मियाद में राहत दी जा सके।
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