
म्यूचुअल फंड में यूनिट ट्रांसफर करने की प्रक्रिया सेबी ने किया आसान, जानें क्या हैं शर्तें
संक्षेप: भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने म्यूचुअल फंड ट्रांसफर करने की प्रक्रिया को आसान कर दिया है। निवेशक अपनी म्यूचुअल फंड यूनिट को परिवार के सदस्यों को स्थानांतरित कर सकते हैं।
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने म्यूचुअल फंड ट्रांसफर करने की प्रक्रिया को आसान कर दिया है। निवेशक अपनी म्यूचुअल फंड यूनिट को परिवार के सदस्यों को स्थानांतरित कर सकते हैं। इसके अलावा नाबालिग के बड़े होने पर संयुक्त खाते में जोड़ सकते हैं। इसके लिए अब डीमैट खाते की जरूरत नहीं पड़ेगी।

अधिकांश म्यूचुअल फंड स्कीम में यह सुविधा मिलेगी, लेकिन सुविधा उनके लिए है, जिनके पास म्यूचुअल फंड यूनिट स्टेटमेंट ऑफ अकाउंट में हैं। नाबालिग के फोलियो में या नाबालिग को ट्रांसफर करना संभव नहीं है। ट्रांसफर के कारण पूंजीगत लाभ पर लगने वाले कर का ध्यान रखना महत्वपूर्ण है। इक्विटी फंडों पर अल्पकालिक लाभ पर 15 प्रतिशत और दीर्घकालिक लाभ पर 10 प्रतिशत कर लग सकता है।
नाबालिग के लिए नियम
नाबालिग केवल अपने नाम पर यूनिट रख सकता है। लेकिन जब वह 18 साल का हो जाता है और फोलियो ‘माइनर’ से ‘मेजर’ में बदल जाता है, तो वह अपने फोलियो में माता-पिता या भाई-बहन जैसे संयुक्त खाताधारक को जोड़ सकता है।
कैसे करें ट्रांसफर
ट्रांसफर केवल आरटीए की वेबसाइट पर जाकर किया जा सकता है। ट्रांसफर करने वाले को अपने पैन से लॉगिन करना होगा, स्कीम चुननी होगी और ट्रांसफर करने वाले अकाउंट की जानकारी भरनी होगी। इसके तहत सभी यूनिट धारकों की सहमति ओटीपी के जरिए ली जाती है।
ये होंगी शर्तें
- जिन यूनिट को ट्रांसफर किया जा रहा है, वे किसी भी तरह के बंधक फ्रीज या लॉक-इन में नहीं होनी चाहिए। उदाहरण के लिए, यदि आपकी म्यूचुअल फंड यूनिट किसी टैक्स-सेविंग स्कीम में हैं और तीन साल का लॉक-इन पीरियड पूरा नहीं हुआ है, तो आप उन्हें ट्रांसफर नहीं कर सकते।
2. ट्रांसफर करने वाले और ट्रांसफर पाने वाले, दोनों का एक ही म्यूचुअल फंड हाउस में एक वैध फोलियो होना जरूरी है। अगर ट्रांसफर पाने वाले व्यक्ति का उस फंड हाउस में पहले से कोई फोलियो नहीं है, तो उसे ट्रांसफर प्रक्रिया शुरू करने से पहले एक ‘जीरो बैलेंस फोलियो’ खुलवाना होगा। इसके अलावा, दोनों पक्षों का केवाईसी पूरी तरह से वैध और सत्यापित होना चाहिए।
3. ट्रांसफर होने के तुरंत बाद म्यूचुअल फंड यूनिट को बेचा नहीं जा सकेगा। ट्रांसफर की तारीख से 10 दिन तक इन यूनिट को रिडीम करने की अनुमति नहीं होगी। यह एक तरह का कूलिंग-ऑफ पीरियड है, जो किसी भी तरह की जल्दबाजी या दुरुपयोग को रोकने में मदद करेगा।





