रसातल में रुपया; डॉलर के मुकाबले ऑल टाइम लो पर भाव, इकोनॉमी पर कैसे पड़ेगा असर, समझें
- कारोबार के अंत में अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले रुपया अपने नए सर्वकालिक निचले स्तर 84.03 पर बंद हुआ। इस तरह रुपये में 31 पैसे की गिरावट हुई। रुपया शुक्रवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले एक पैसे बढ़कर 83.72 पर बंद हुआ था।
रुपया सोमवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 31 पैसे टूटकर 84.03 के सर्वकालिक निचले स्तर पर बंद हुआ। अंतरबैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया 83.78 पर खुला और कारोबार के दौरान डॉलर के मुकाबले 83.76 के ऊपरी और 84.03 के निचले स्तर पर पहुंचा। कारोबार के अंत में अमेरिकी मुद्रा के मुकाबले रुपया अपने नए सर्वकालिक निचले स्तर 84.03 पर बंद हुआ। इस तरह रुपये में 31 पैसे की गिरावट हुई। रुपया शुक्रवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले एक पैसे बढ़कर 83.72 पर बंद हुआ था।
क्या है गिरावट की वजह
पश्चिम एशिया में बढ़ते भू-राजनीतिक तनाव और अमेरिका में मंदी की चिंताओं के बीच व्यापक वैश्विक बाजारों में बिकवाली के चलते ऐसा हुआ। विदेशी मुद्रा कारोबारियों ने कहा कि भारतीय शेयर बाजारों में तेज गिरावट और विदेशी निवेशकों की जोरदार बिकवाली के बाद घरेलू मुद्रा में गिरावट आई।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट
शेयरखान बाय बीएनपी पारिबा के शोध विश्लेषक अनुज चौधरी ने कहा- हमें उम्मीद है कि वैश्विक बाजारों में जोखिम से बचाव की धारणा के कारण रुपया नकारात्मक रुख के साथ कारोबार करेगा। पश्चिम एशिया में भू-राजनीतिक तनाव बढ़ने और विदेशी निवेशकों की बिकवाली से घरेलू मुद्रा पर और दबाव पड़ सकता है।
हालांकि, कमजोर अमेरिकी डॉलर और कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट से रुपये को निचले स्तर पर समर्थन मिल सकता है। चौधरी ने कहा कि रिजर्व बैंक के किसी भी हस्तक्षेप से भी रुपये को लाभ हो सकता है। इस बीच, छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की स्थिति को दर्शाने वाला डॉलर सूचकांक 0.65 प्रतिशत गिरकर 102.54 पर आ गया।
सेंसेक्स का हाल
घरेलू शेयर बाजारों में 30 शेयरों वाला बीएसई सेंसेक्स 2,222 अंक या 2.74 प्रतिशत गिरकर 78,759 अंक पर बंद हुआ। निफ्टी 662.10 अंक या 2.68 प्रतिशत गिरकर 24,055 अंक पर बंद हुआ। वैश्विक तेल मानक ब्रेंट क्रूड वायदा 1.91 प्रतिशत गिरकर 75.34 डॉलर प्रति बैरल के भाव पर था। शेयर बाजार के आंकड़ों के मुताबिक, शुक्रवार को विदेशी संस्थागत निवेशकों ने 3310 करोड़ रुपये के शेयर बेचे।
कैसे पड़ेगा असर
कमजोर रुपये का असल पेट्रोलियम प्रोडक्ट के आयात पर पड़ेगा। कच्चे तेल के आयात पर इसका सबसे बड़ा असर दिख सकता है क्योंकि भारत को डॉलर में पेमेंट करना पड़ता है। डॉलर महंगा होगा तो कच्चा तेल भी महंगा होगा। कच्चे तेल के महंगे होने से पेट्रोल और डीजल जैसे पेट्रोलियम प्रोडक्ट महंगे हो जाएंगे। दुनिया के अलग-अलग देशों से आयात होने वाले ज्यादातर प्रोडक्ट इसके दायरे में आ सकते हैं। विदेश में पढ़ाई कर रहे भारतीय छात्रों को हॉस्टल, कॉलेज फीस, भोजन और परिवहन सबके लिए डॉलर में ज्यादा खर्च करना पड़ेगा।
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