ट्रंप टैरिफ से मचे हाहाकार के बीच RBI से राहत की उम्मीद, कल ये ऐलान संभव
- RBI likely to cut rates: टैरिफ बढ़ोतरी के कारण ग्लोबल ट्रेड वॉर को लेकर दुनियाभर में टेंशन है। इससे शेयर मार्केट में भारी उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है। इस बीच, अब पूरा फोकस भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की अगली मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी मीटिंग पर फोकस है।

RBI likely to cut rates: टैरिफ बढ़ोतरी के कारण ग्लोबल ट्रेड वॉर को लेकर दुनियाभर में टेंशन है। इससे शेयर मार्केट में भारी उतार-चढ़ाव देखने को मिल रहा है। इस बीच, अब पूरा फोकस भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की अगली मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी मीटिंग पर फोकस है। दरअसल, नए वित्त वर्ष में रिजर्व बैंक की पहली मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी बैठक सोमवार, 7 अप्रैल को शुरू हुई। आज मंगलवार को इस बैठक का दूसरा दिन है। गवर्नर संजय मल्होत्रा की अध्यक्षता वाली मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी की बैठक में लिए गए फैसलों की घोषणा कल बुधवार, 9 अप्रैल को की जाएगी। इस मीटिंग में रेपो रेट में 0.25% की कटौती का अनुमान लगाया गया है। यानी, आने वाले दिनों में लोन सस्ते हो सकते हैं, इससे इएमआई का बोझ भी कम होगा। बता दें कि RBI ने अपनी पिछली बैठक जो कि इसी साल फरवरी में हुई थी, उसमें प्रमुख ब्याज दर रेपो में 0.25 प्रतिशत की कटौती कर इसे 6.25 प्रतिशत कर दिया था। यह मई, 2020 के बाद रेपो दर में पहली कटौती और ढाई साल के बाद पहला संशोधन था।
क्या है डिटेल
अलग-अलग एनालिस्ट के मुताबिक, आरबीआई की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी बैठक में राहत भरे ऐलान हो सकते हैं। अधिकांश एनालिस्ट्स का मानना है कि ग्लोबल इश्यूज के बढ़ने से पहले अर्थव्यवस्था को सहारा देने के लिए आरबीआई अप्रैल और जून में ब्याज दरों में कटौती कर सकता है। इंडस्ट्रीज के एनालिस्ट का मानना है कि आगामी नीति बैठक में 25 आधार अंकों (बीपीएस) की दर कटौती होगी। मुद्रास्फीति में कमी, आर्थिक वृद्धि में कमी, कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट और अमेरिकी बॉन्ड यील्ड में गिरावट के साथ एनालिस्ट का मानना है कि आरबीआई के पास अब एक्शन करने की गुंजाइश है। हालांकि, आरबीआई किस तरह का रुख अपनाएगा, इस पर कुछ बहस चल रही है।
क्या कहती है एसबीआई की रिपोर्ट
एसबीआई की एक रिसर्च रिपोर्ट में कहा गया है कि कारोबार से संबंधित शुल्क बाधाओं, मुद्रा में तेज उतार-चढ़ाव और खंडित पूंजी प्रवाह के परस्पर संबद्ध प्रभावों के कारण वैश्विक वृद्धि को महत्वपूर्ण चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। रिपोर्ट के मुताबिक, अप्रैल, 2025 की नीतिगत समीक्षा बैठक में 0.25 प्रतिशत की दर कटौती की उम्मीद है। दर कटौती के समूचे चक्र में कुल एक प्रतिशत तक की कटौती हो सकती है। जून, 2025 की बैठक में अंतराल रहने के बाद अगस्त एवं अक्टूबर में दो और कटौती हो सकती हैं।
बजाज ब्रोकिंग रिसर्च ने कहा कि अमेरिका में भारतीय आयात पर 26 प्रतिशत शुल्क लगाए जाने से वित्त वर्ष 2025-26 के दौरान देश की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि में 0.20-0.40 प्रतिशत तक की गिरावट आ सकती है। इस आर्थिक तनाव का मुकाबला करने के लिए आरबीआई दरों में और कटौती के लिए प्रेरित हो सकता है। पीरामल समूह के मुख्य अर्थशास्त्री देबोपम चौधरी ने कहा कि घटती अमेरिकी ब्याज दरें, मजबूत रुपया और लक्षित स्तर से नीचे गिरती घरेलू मुद्रास्फीति के मेल का एक दुर्लभ अवसर इस समय दिख रहा है। चौधरी ने कहा, ‘‘केंद्रीय बैंक को इस मौके का पूरा फायदा उठाना चाहिए और दर में 0.50 प्रतिशत की कटौती करनी चाहिए।’’
(एजेंसी इनपुट के साथ)
बजट जानें Hindi News, Business News की लेटेस्ट खबरें, शेयर बाजार का लेखा-जोखा Share Market के लेटेस्ट अपडेट्स Investment Tips के बारे में सबकुछ।