टाटा संस में नियुक्ति पर छिड़ा विवाद, अमित शाह से मिले शीर्ष अधिकारी
संक्षेप: टाटा संस में करीब 66 प्रतिशत हिस्सेदारी रखने वाले टाटा ट्रस्ट्स के सदस्यों के बीच कुछ मुद्दों को लेकर मतभेद है। यह घटनाक्रम ऐसे समय सामने आया है जब टाटा संस के सूचीबद्ध होने के लिए रिजर्व बैंक द्वारा निर्धारित 30 सितंबर की समयसीमा खत्म हो चुकी है।

Tata clash news: टाटा संस में करीब 66 प्रतिशत हिस्सेदारी रखने वाले टाटा ट्रस्ट्स के सदस्यों के बीच कुछ मुद्दों को लेकर मतभेद है। ये मुद्दे निदेशक मंडल में नियुक्ति और कंपनी संचालन से संबंधित हैं। इस खबर के बीच टाटा ट्रस्ट के चेयरमैन नोएल टाटा समेत समूह के शीर्ष अधिकारियों ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मुलाकात की।
दो गुट में बंट गया टाटा ट्रस्ट्स?
न्यूज एजेंसी पीटीआई सूत्रों ने कहा कि टाटा ट्रस्ट्स के भीतर एक तरह से दो गुट बन गए हैं। एक गुट की कमान नोएल टाटा के पास है जो रतन टाटा के निधन के बाद चेयरमैन बने थे। वहीं, चार सदस्यों वाले दूसरे गुट की कमान मेहली मिस्त्री के पास है। मिस्त्री के संबंध शापूरजी पलोनजी परिवार से हैं जिसकी टाटा संस में करीब 18.37 प्रतिशत हिस्सेदारी है।
निदेशक मंडल में नियुक्ति है मुख्य कारण
सूत्रों के मुताबिक, इस विवाद का मुख्य कारण टाटा संस के निदेशक मंडल में नियुक्ति है। टाटा संस ही 156 वर्ष पुराने समूह का नियंत्रण करती है। समूह के भीतर 30 सूचीबद्ध कंपनियों सहित लगभग 400 कंपनियां हैं। सूत्रों ने बताया कि 11 सितंबर को हुई बैठक में इस विवाद की शुरुआत हुई थी जिसमें टाटा संस के निदेशक मंडल में पूर्व रक्षा सचिव विजय सिंह की पुनर्नियुक्ति पर विचार किया गया था।
सात में से छह ट्रस्टी की बैठक में चार ट्रस्टी-मेहली मिस्त्री, प्रमीत झावेरी, जहांगीर एचसी जहांगीर और डेरियस खंबाटा ने प्रस्ताव का विरोध किया था जिससे यह रद्द हो गया था। हालांकि नोएल टाटा और वेणु श्रीनिवासन ने इस पुनर्नियुक्ति का समर्थन किया था। बैठक के बाद चार ट्रस्टीज ने मेहली मिस्त्री को टाटा संस बोर्ड में नामित करने का प्रस्ताव रखा, लेकिन इस पर भी सहमति नहीं बन सकी। इसके बाद विजय सिंह ने स्वेच्छा से बोर्ड से इस्तीफा दे दिया।
10 अक्टूबर को अहम बैठक
टाटा ट्रस्ट्स की अगली बोर्ड बैठक 10 अक्टूबर को प्रस्तावित है, हालांकि उसका एजेंडा स्पष्ट नहीं है। इस बारे में संपर्क किए जाने पर टाटा ट्रस्ट्स, टाटा संस और वेणु श्रीनिवासन ने कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। वहीं मिस्त्री से कोई संपर्क नहीं किया जा सका। इस बीच, सूत्रों का कहना है कि ट्रस्ट्स के भीतर का यह टकराव देश के सबसे बड़े औद्योगिक समूह पर असर डाल सकता है और सरकार की दखल की जरूरत महसूस की जाने लगी है।
एक सूत्र ने कहा, "टाटा समूह के महत्व को देखते हुए यह प्रश्न उठ रहा है कि क्या समूह का नियंत्रण किसी एक व्यक्ति के हाथों में केंद्रित होने दिया जा सकता है।" टाटा समूह के भीतर के कुछ लोगों का मानना है कि मेहली मिस्त्री के नेतृत्व वाला गुट नोएल टाटा की नेतृत्व क्षमता को कमजोर करने की कोशिश कर रहा है।
अमित शाह और निर्मला सीतारमण से मुलाकात
इस बीच, टाटा ट्रस्ट के चेयरमैन नोएल टाटा और टाटा संस के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन सहित टाटा समूह के शीर्ष अधिकारियों ने मंगलवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मुलाकात की। नोएल टाटा और चंद्रशेखरन, टाटा ट्रस्ट के उपाध्यक्ष वेणु श्रीनिवासन और ट्रस्टी डेरियस खंबाटा के साथ शाम को शाह के आवास पर बैठक के लिए पहुंचे। सीतारमण भी गृह मंत्री के आवास पर बैठक में शामिल हुईं।





