Budget Review: किराए पर मकान देने वालों के लिए इस बजट में बड़ा ऐलान किया गया है। किराए से हुई आय पर कर चोरी रोकने के लिए नियमों को बदला गया है। इसके तहत मकान मालिक अब किराये से हुई आय को व्यवसाय से हुई आमदनी के रूप में नहीं दिखा सकेंगे। इसे अब गृह संपत्ति से हुई आय (रेंटल इनकम) के तौर पर ही दिखाना होगा। इस व्यवस्था को लागू करने के लिए आयकर अधिनियम में बदलाव किया जाएगा।
वर्तमान में कुछ करदाता अपनी किराए की आमदनी को गलत आय श्रेणी में दिखा देते हैं और उससे उनका काफी कर बच जाता है। मौजूदा आयकर कानून के मुताबिक, एक करदाता को एक वित्त वर्ष में जितनी कुल कमाई की है, उसे पांच आय श्रेणियों में बांटा जाता है। इसमें करदाता को यह बताना होता है कि उसे किस श्रेणी में कितनी आदमनी हुई है। इनमें श्रेणियों में - वेतन से हुई आय, आवास-संपत्ति से हुई आय, व्यवसाय या पेशे से हुई आय या लाभ, पूंजीगत लाभ से हुई आय और और अन्य स्रोतों से हुई आमदनी शामिल हैं।
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अब तक कुछ मकान मालिक के पास किराए से हुई आय को ‘व्यवसाय या पेश से हुई आय या लाभ’ श्रेणी में दिखाने का विकल्प था। इसका मतलब यह है कि किसी भी प्रकार के व्यवसाय या पेशे से जो मुनाफा कमाया जाता है, वह इस मद के तहत कर योग्य होता है। जिस रकम पर कर की गणना की जाती है, उसे निर्धारित करने के लिए करदाता कुल आय से अपने खर्चों को घटा सकता है। इसके तहत मकान मालिक यह दिखा सकते थे कि उनके इस व्यवसाय से घाटा हो रहा है। यानी जितना किराया आ रहा है, उससे ज्यादा खर्च हो जाता है। ऐसे में उनका पूरा कर बच जाता था।
अब मकान मालिकों को किराए से हुई कमाई को आवास-संपत्ति से हुई आय श्रेणी में ही दिखाना पड़ेगा। इसका मतलब यह है कि अब मकान मालिक को पूरी रेंटल इनकम पर कर चुकाना होगा। उनके लिए कुल आय में से घाटा दिखाने का विकल्प खत्म हो जाएगा। इसके लिए सरकार आयकर अधिनियम की धारा-28 में संशोधन करेगी। सरकार का कहना है कि किराए से हुई आय को गलत श्रेणी में दिखाकर कर देनदारी काफी कम हो गई है। नए बदलाव से इस प्रवृत्ति पर रोक लगेगी।
मकान मालिकों के लिए लाया गया नया नियम 1 अप्रैल 2025 से लागू होगा। यह नियम मूल्यांकन वर्ष 2025-26 और उसके बाद के मूल्यांकन वर्षों के संबंध में लागू होगा।
1. गृह संपत्ति से हुई आय श्रेणी के तहत भी मकान मालिकों को कुछ तरह की कर छूट मिलेगी। वे संपत्ति की शुद्ध निवल आय (नेट एसेट वैल्यू- नैव) की गणना कर 30 फीसदी तक कर बचा सकेंगे। यह आय मानक कटौती के तहत आती है।
2. इसके अलावा, मकान मालिक ऋण पर लगने वाला ब्याज के माध्यम से भी कर बचा पाएंगे। अगर उसने ऋण लेकर संपत्ति खरीदी है या घर बनवा रहे हैं, तो उसे चुकाने के लिए जो ब्याज देंगे, उसपर कर नहीं लगेगा।
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