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Monetary Policy: न लोन होगा सस्ता और न ही कम होगी EMI, रेपो रेट पर क्या बोला आरबीआई

  • Monetary Policy: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने गुरुवार को लगातार नौवीं बार बेंचमार्क ब्याज दर में कोई बदलाव नहीं करने का ऐलान किया। यानी सस्ते लोन और ईएमआई कम होने के लिए अभी और इंतजार करना होगा।

Monetary Policy: न लोन होगा सस्ता और न ही कम होगी EMI, रेपो रेट पर क्या बोला आरबीआई
Drigraj Madheshia नई दिल्ली। लाइव हिन्दुस्तान Thu, 8 Aug 2024 04:59 AM
पर्सनल लोन

Monetary Policy: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने गुरुवार को लगातार नौवीं बार बेंचमार्क ब्याज दर में कोई बदलाव नहीं करने का ऐलान किया। यानी सस्ते लोन और ईएमआई कम होने के लिए अभी और इंतजार करना होगा। रिजर्व बैंक गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि रेपो रेट 6.5% रहेगा। RBI की MPC ने नीतिगत दरों को अपरिवर्तित रखने के लिए 4-2 बहुमत से मतदान किया। यह ज्यादातर विशेषज्ञों की उम्मीदों के अनुरूप है। नौवीं बार (18 महीने के लिए) है कि केंद्रीय बैंक के छह सदस्यीय पैनल ने दरों को स्थिर रखा है। 

खाद्य मुद्रास्फीति में वृद्धि पर नजर रखेगी MPC

पिछले साल अप्रैल में रेट में बढ़ोतरी के चक्र को रोक दिया गया था, जिसके बाद लगातार 6 बार दरों में वृद्धि की गई। यह मई 2022 से 250 आधार अंकों तक पहुंच गई। चालू वित्त वर्ष के लिए तीसरी द्विमासिक मौद्रिक नीति की घोषणा करते हुए RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि MPC खाद्य मुद्रास्फीति में वृद्धि पर नजर रखेगी। RBI ने चालू वित्त वर्ष के लिए विकास अनुमान को 7.2 प्रतिशत पर अपरिवर्तित रखा है। 

मुद्रास्फीति पर मानसून का प्रभाव

आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने महंगाई पर कहा कि दक्षिण-पश्चिम मानसून में तेजी आने से खुदरा मुद्रास्फीति में कुछ हद तक राहत मिलने की उम्मीद है। उन्होंने सामान्य मानसून को देखते हुए वित्त वर्ष 2025 के दौरान खुदरा मुद्रास्फीति 4.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि खाद्य पदार्थों की लगातार बढ़ती कीमतों ने वित्त वर्ष 2025 की पहली तिमाही में मुद्रास्फीति की प्रक्रिया को धीमा कर दिया है।

मिंट के सर्वे में क्या कह रहे थे अर्थशास्त्री

इससे पहले मिंट द्वारा किए गए सर्वे में सभी 15 अर्थशास्त्रियों और ट्रेजरी प्रमुखों को उम्मीद है कि छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) रेपो रेट को 6.5% पर रखेगी, जबकि उनमें से 12 को लगता है कि समिति 'समायोजन की वापसी' पर नीतिगत रुख को अपरिवर्तित रखेगी। एमपीसी की बैठक 6 से 8 अगस्त तक होगी।

जून में पिछली एमपीसी बैठक में चार सदस्यों ने रेपो रेट अपरिवर्तित रखने के लिए मतदान किया था, जबकि दो सदस्यों- आशिमा गोयल और जयंत आर वर्मा ने रेपो दर को 25 बेसिस प्वांट तक कम करने और समायोजन की वापसी से न्यूट्रल करने के रुख को बदलने के लिए मतदान किया।

पिछली बैठक के बाद से उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति 5.1% तक बढ़ गई, जो मई की 4.8% की हेडलाइन से अधिक है, जिसका कारण हीटवेव के बाद खराब होने वाले खाद्य पदार्थों की कीमतों में तेज वृद्धि और मानसून की धीमी शुरुआत है।

आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने एमपीसी की पिछली बैठक में स्पष्ट रूप से कहा था कि समिति फेडरल रिजर्व की कार्रवाई से निर्देशित नहीं होगी, लेकिन अर्थशास्त्रियों का मानना है कि आरबीआई जैसे उभरते बाजार के केंद्रीय बैंक फेड की कार्रवाई को पूरी तरह से नजरअंदाज नहीं कर पाएंगे।

हालांकि, पिछले महीने सीएनबीसी-टीवी 18 के साथ एक साक्षात्कार में, दास ने चेतावनी दी थी कि खुदरा मुद्रास्फीति अभी भी 4% लक्ष्य से ऊपर है, ब्याज दरों में कटौती के बारे में कोई भी बातचीत बहुत जल्दबाजी होगी। ज्यादातर अर्थशास्त्रियों को उम्मीद है कि आरबीआई दिसंबर में ही दरों में कटौती का चक्र शुरू करेगा।

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