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वजूद में आएंगे 2 बड़े बैंक, मोदी सरकार की है बड़ी तैयारी

केंद्र सरकार दो बड़े बैंक को वजूद में लाने की योजना बना रही है। फिलहाल देश का सबसे बड़ा बैंक भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) वैश्विक स्तर पर परिसंपत्तियों के आधार पर 43वें स्थान पर है जबकि निजी क्षेत्र का एचडीएफसी बैंक 73वें स्थान पर है।

Deepak Kumar लाइव हिन्दुस्तानSat, 13 Sep 2025 07:06 AM
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वजूद में आएंगे 2 बड़े बैंक, मोदी सरकार की है बड़ी तैयारी

केंद्र सरकार दो बड़े बैंक को वजूद में लाने की योजना बना रही है। दरअसल, वित्तीय सेवाएं विभाग (डीएफएस) की तरफ से आयोजित 'पीएसबी मंथन 2025' के पहले दिन वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बैंकों के गठन पर चर्चा हुई। जानकारी के मुताबिक दो ऐसे विश्व-स्तरीय बैंकों की स्थापना का लक्ष्य रखा गया है जिनकी परिसंपत्तियां उन्हें विश्व के शीर्ष 20 बैंकों की सूची में शामिल करें। फिलहाल देश का सबसे बड़ा बैंक भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) वैश्विक स्तर पर परिसंपत्तियों के आधार पर 43वें स्थान पर है जबकि निजी क्षेत्र का एचडीएफसी बैंक 73वें स्थान पर है।

क्या बैंकों का होगा एकीकरण?

बैठक को लेकर एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि विचार-विमर्श का मुख्य मुद्दा यही था कि कम-से-कम दो भारतीय बैंक स्वाभाविक ढंग से वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनें और शीर्ष 20 बैंकों में शामिल हों। जब उनसे पूछा गया कि इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए क्या सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के एकीकरण को लेकर कोई चर्चा हुई तो उन्होंने इससे इनकार कर दिया।

कई बड़े दिग्गज शामिल थे बैठक में

बता दें कि डीएफएस सचिव एम नागराजू की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ एसबीआई चेयरमैन सी एस शेट्टी और पंजाब नेशनल बैंक के मुख्य कार्यपालक अधिकारी अशोक चंद्रा सहित सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के शीर्ष प्रबंधन ने हिस्सा लिया। इस बैठक को मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन, रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर स्वामीनाथन जे, पूर्व डीएफएस सचिव एवं इरडा के पूर्व प्रमुख देबाशीष पांडा ने भी संबोधित किया।

इन मुद्दों पर भी चर्चा

बैठक में बैंकों की स्वायत्तता बढ़ाने, निदेशक मंडल की भूमिका मजबूत करने, एनपीए अनुपात कम रखने, प्रौद्योगिकी और साइबर सुरक्षा चुनौतियों से निपटने तथा ग्राहक सेवा और शिकायत निवारण को बेहतर बनाने जैसे विषयों पर चर्चा हुई।

बैंकों को मिली ये सलाह

वित्त मंत्रालय ने बैंकों से ‘कासा’ (चालू खाता और बचत खाता) जमा में सुधार लाने और एमएसएमई एवं कृषि क्षेत्र को ऋण देने में वृद्धि करने का आह्वान किया। एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक पिछले एक साल में सरकारी बैंकों का कासा अनुपात लगातार गिर रहा है, जिससे उनके मुनाफे पर दबाव पड़ रहा है।

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