इस सरकारी बैंक ने बचत खाते पर किया बड़ा ऐलान, त्योहारी सीजन के बीच खुशखबरी
इंडियन ओवरसीज बैंक ने त्योहारी सीजन के बीच अपने ग्राहकों को बड़ी राहत दी है। बैंक ने एक बयान में कहा- बचत खाते (बचत खाता-पब्लिक) में न्यूनतम औसत शेष राशि नहीं रखने पर एक अक्टूबर से कोई शुल्क नहीं लगेगा।

सार्वजनिक क्षेत्र के इंडियन ओवरसीज बैंक ने त्योहारी सीजन के बीच अपने ग्राहकों को बड़ी राहत दी है। बैंक ने बचत खाते में न्यूनतम निर्धारित राशि नहीं रखने पर लगने वाले शुल्क को एक अक्टूबर से माफ करने की घोषणा की। इस निर्णय का उद्देश्य ग्राहकों को राहत प्रदान करना और बैंकिंग अनुभव को आसान बनाना है। बैंक ने कहा- बचत खाते (बचत खाता-पब्लिक) में न्यूनतम औसत शेष राशि नहीं रखने पर एक अक्टूबर से कोई शुल्क नहीं लगेगा।
बता दें कि बैंक ने प्रधानमंत्री जनधन योजना, मूल बचत बैंक जमा खाता (बीएसबीडीए), लघु खाते, आईओबी बचत बैंक वेतन पैकेज, आईओबी सिक्सटी प्लस, आईओबी बचत बैंक पेंशनभोगी योजना और आईओबी बचत बैंक सरकारी खाते जैसी योजनाओं के लिए न्यूनतम शेष राशि शुल्क को पहले ही माफ कर दिया है।
क्या कहा बैंक के अधिकारी ने
इंडियन ओवरसीज बैंक के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी अजय कुमार श्रीवास्तव ने कहा, “इस छूट से हमारे खाताधारकों को महत्वपूर्ण राहत मिलेगी। यह निर्णय ग्राहक-केंद्रित और वित्तीय समावेश के लिए हमारी प्रतिबद्धता को दर्शाता है। हमारा लक्ष्य अपने ग्राहकों के लिए बैंकिंग को अधिक सुविधाजनक और परेशानी मुक्त बनाना है।”
हालांकि बैंक की प्रीमियम बचत खाता योजनाओं, एसबी-मैक्स, एसबी-एचएनआई, एसबी प्राइम, एसबी प्रायोरिटी, एसबी प्रिविलेज, एनआरआई एलिवेट, एनआरआई प्रिविलेज और एनआरआई सिग्नेचर के लिए शुल्क में कोई बदलाव नहीं हुआ है।
रिजर्व बैंक ने लगाया जुर्माना
रिजर्व बैंक ने मंगलवार को कहा कि उसने प्राथमिक क्षेत्र ऋण (पीएसएल) लक्ष्य और वर्गीकरण' पर कुछ निर्देशों का पालन न करने के लिए इंडियन ओवरसीज बैंक पर 31.8 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। रिजर्व बैंक के निर्देशों का पालन न करने के पर्यवेक्षी निष्कर्षों और उस संबंध में संबंधित पत्राचार के आधार पर, बैंक को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था।
इंडियन ओवरसीज बैंक ने कुछ पीएसएल खातों में ऋण-संबंधी शुल्क वसूले, जिनमें से प्रत्येक में 25,000 रुपये तक का स्वीकृत ऋण था। हालांकि, रिजर्व बैंक ने कहा कि जुर्माना विनियामक अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी लेनदेन या समझौते की वैधता पर निर्णय देना नहीं है।




