छोटे शहरों में घरों की बिक्री ने पकड़ी तेज रफ्तार, जानें कहां और क्यों बढ़ रही कीमतें
- Property Bazar: कोराना के झटके से उबर चुके संपत्ति निवेशक धीरे-धीरे छोटे शहरों पर दांव लगा रहे हैं। इन शहरों में संपत्ति की बिक्री की मात्रा टियर-1 बाजारों की तुलना में बहुत कम है, परंतु यहां विकास की गति काफी तेज रफ्तार पकड़ चुकी है।

देशभर के टियर-2 शहरों में प्रॉपर्टी बाजार में बिक्री और मूल्य वृद्धि लंबे समय से धीमी रही है, लेकिन बीते साल में आवासों की बिक्री और कीमतों दोनों में अच्छा-खासा बदलाव देखा गया। हालांकि, इन शहरों में संपत्ति की बिक्री की मात्रा टियर-1 बाजारों की तुलना में बहुत कम है, परंतु यहां विकास की गति काफी तेज रफ्तार पकड़ चुकी है। पेश है मिंट द्वारा छोटे शहर के घरों के भविष्य को लेकर की गई पड़ताल के प्रमुख अंश…
छोटे प्रॉपर्टी बाजारों का प्रदर्शन बेहतर
यह बात पूरी तरह से सही है कि बेहतर गुणवत्ता वाले घरों की अधिक मांग के कारण वित्त वर्ष 2024 में टियर-2 शहरों में आवासीय प्रॉपर्टी की बिक्री में अधिक वृद्धि देखी गई। कंसल्टेंसी फर्म लियासेस फोरास के अनुसार, पिछले वित्तीय वर्ष में कम से कम 52 छोटे शहरों की बिक्री में 26% की वृद्धि हुई, जबकि शीर्ष आठ शहरों में 21% की वृद्धि हुई।
आमतौर पर इन बाजारों में संपत्ति की कीमतें भी कम होती हैं। इनमें बिक्री में वृद्धि के साथ, संपत्ति की कीमतों में इजाफा हुआ है। यहां तक कि कई टियर-2 शहरों में कीमतें दोहरे अंक में बढ़ी हैं। तुलनात्मक रूप से, महानगरों में से केवल राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में ही दोहरे अंक में मूल्य वृद्धि देखी गई है। पिछले साल छोटे शहरों में बिना बिके आवास स्टॉक में भी 20% की गिरावट आई है।
उछाल के पीछे खास कारण
वैसे तो आवासों की मांग में तेजी ने महानगरों पर ध्यान केंद्रित किया है, लेकिन इससे छोटे रियल एस्टेट बाजारों को भी मदद मिली है। प्रमुख कारकों में सस्ते आवास, हवाई अड्डों और मेट्रो रेल सहित बेहतर बुनियादी ढांचा, वेयरहाउसिंग, खुदरा निवेश के साथ बुनियादी ढांचे पर बढ़ता सरकारी शर्च शामिल हैं। कोराना के झटके से उबर चुके संपत्ति निवेशक धीरे-धीरे छोटे शहरों पर दांव लगा रहे हैं।
इस वजह से कीमतों में उछाल आया है। संपत्ति सलाहकार सेविल्स इंडिया की एक हालिया रिपोर्ट में कहा गया है कि उच्च नेटवर्थ वाले व्यक्तियों के बढ़ते निवेश के कारण गोवा में किराये से होने वाली आय में वृद्धि कुछ अन्य शीर्ष शहरों की तुलना में अधिक है।
कहां और क्यों बढ़ रही कीमतें
अनिवासी भारतीय (एनआरआई) और उच्च नेटवर्थ वाले निवेशकों दोनों की रुचि के कारण लुधियाना में सबसे तेज वृद्धि देखी गई है। ये दोनों निवेशक कुछ उत्तर भारतीय बाजारों में लौट रहे हैं। कानपुर, लखनऊ, देहरादून और जयपुर में कीमतों में वृद्धि उच्च मांग और अपेक्षाकृत कम आवास आपूर्ति के कारण है। इन शहरों में प्लॉट वाली परियोजनाओं वाले कुछ टियर-1 बिल्डरों के प्रवेश से भी इन क्षेत्रों को मदद मिली है।
इन शहरों में प्रॉपर्टी की कीमतें कम हो सकती हैं
लियासेस फोरास के अनुमान के अनुसार, छोटे शहरों और कस्बों में घरों की बिक्री वित्त वर्ष 2024 की तुलना में वित्त वर्ष 2025 में 25% बढ़ने की उम्मीद है। इन बाजारों में बिक्री में वृद्धि भी आंशिक रूप से टियर-1 बाजारों की तुलना में तेज होगी, क्योंकि यहां पर वृद्धि अपेक्षाकृत छोटे आधार पर होगी। जैसे-जैसे प्रोजेक्ट लॉन्च में वृद्धि होगी, टियर-2 बाजारों में समग्र आवास स्टॉक का भी विस्तार होगा। परिणामस्वरूप, इन शहरों में संपत्ति की कीमतें कम हो सकती हैं। बहुत कुछ इस बात पर भी निर्भर करेगा कि सरकार इन बाजारों के लिए क्या प्रोत्साहन देती है।
केंद्रीय व्यय विकास को गति देगा
'सभी के लिए आवास' मिशन के तहत, तीन करोड़ नए घरों के वादे के साथ, प्रधान मंत्री आवास योजना (पीएमएवाई) का विस्तार किया जाना तय है। इससे आवास आपूर्ति को बढ़ावा देने में मदद मिलेगी और इससे भी अधिक, टियर-2 श्रेणी के शहरों में किफायती आवास बाजार को पुनर्जीवित करने में मदद मिलेगी।
रियल एस्टेट विश्लेषकों का कहना है कि महानगरों से परे संपत्ति बाजारों का विस्तार करने और आवास आवश्यकताओं को पूरा करने में मदद के लिए ऐसे और अधिक प्रोत्साहनों की आवश्यकता है। नई योजनाएं भी स्थापित डेवलपर्स को इन बाजारों में दांव लगाने के लिए प्रेरित कर सकती हैं।
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