Hindi Newsबिज़नेस न्यूज़GDP numbers disappointing but no need for alarm says cea nageswaran

GDP ग्रोथ डेटा ने किया निराश... सितंबर तिमाही के आंकड़ों पर बोले CEA नागेश्वरन

  • आर्थिक समीक्षा में अनुमान जताया गया था कि वित्त वर्ष 2024-25 में देश का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 6.5-7.0 प्रतिशत की दर से बढ़ेगा। यह पिछले वित्त वर्ष में 8.2 प्रतिशत की दर से कम है।

Deepak Kumar भाषाFri, 29 Nov 2024 10:22 PM
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GDP growth: मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) वी अनंत नागेश्वरन ने दूसरी तिमाही में जीडीपी वृद्धि 5.4 प्रतिशत रहने को निराशाजनक बताया। हालांकि उन्होंने कहा कि इसके बावजूद चालू वित्त वर्ष के लिए 6.5 प्रतिशत की आर्थिक वृद्धि का अनुमान खतरे में नहीं है। आर्थिक समीक्षा में अनुमान जताया गया था कि वित्त वर्ष 2024-25 में देश का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 6.5-7.0 प्रतिशत की दर से बढ़ेगा। यह पिछले वित्त वर्ष में 8.2 प्रतिशत की दर से कम है।

आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक मैन्युफैक्चरिंग और माइनिंग सेक्टर के खराब प्रदर्शन के अलावा कमजोर खपत की वजह से जुलाई-सितंबर तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर लगभग दो साल के निचले स्तर 5.4 प्रतिशत पर आ गई। एक साल पहले की समान अवधि में जीडीपी 8.1 प्रतिशत बढ़ी थी। नागेश्वरन ने कहा कि वास्तविक जीडीपी वृद्धि का 5.4 प्रतिशत होना इसके निचले स्तर को दर्शाता है जो कि निराशाजनक है। लेकिन इनमें कुछ चमकदार बिंदु भी हैं।

अच्छा रहा कृषि क्षेत्र का प्रदर्शन

उन्होंने कहा कि कृषि एवं उससे जुड़े क्षेत्र और निर्माण क्षेत्र का प्रदर्शन इस तिमाही में काफी अच्छा रहा है। खरीफ खाद्यान्नों के लिए रिकॉर्ड उत्पादन अनुमान और रबी फसलों की आशाजनक संभावनाएं कृषि आय और ग्रामीण मांग के लिए शुभ संकेत हैं। इसके साथ ही मुख्य आर्थिक सलाहकार ने कहा- दूसरी तिमाही के आंकड़ों के आधार पर यह नहीं कहा जा सकता कि 6.5 प्रतिशत की संख्या खतरे में है, क्योंकि दूसरी तिमाही के निम्न आंकड़े कोई प्रवृत्ति नहीं हैं। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि स्थिर मांग तथा मजबूत विनिर्माण और सेवा क्षेत्र की गतिविधि द्वारा समर्थित अर्थव्यवस्था मजबूती दिखा रही है।

कितना है राजकोषीय घाटा

केंद्र का राजकोषीय घाटा वित्त वर्ष 2024-25 के पहले सात महीनों में पूरे साल के लक्ष्य के 46.5 प्रतिशत तक पहुंच गया। सरकारी आंकड़ों में शुक्रवार को यह जानकारी दी गई। लेखा महानियंत्रक (सीजीए) के आंकड़ों के अनुसार अप्रैल-अक्टूबर की अवधि के दौरान राजकोषीय घाटा 7,50,824 करोड़ रुपये था। सरकार के व्यय और राजस्व के बीच के अंतर को राजकोषीय घाटा कहते हैं। वित्त वर्ष 2023-24 की समान अवधि में घाटा बजट अनुमान का 45 प्रतिशत था।

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