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शेयर बाजार की टेंशन नहीं हो रही है खत्म, FPI ने 15 मार्च तक निकाले 30,000 करोड़ रुपये

  • वैश्विक व्यापार को लेकर तनाव बढ़ने के बीच एफपीआई ने मार्च के पहले पखवाड़े में स्थानीय शेयर बाजारों से 30,000 करोड़ रुपये से अधिक की राशि निकाली है। इससे पहले फरवरी में उन्होंने शेयरों से 34,574 करोड़ रुपये और जनवरी में 78,027 करोड़ रुपये निकाले थे।

Tarun Pratap Singh भाषाSun, 16 March 2025 04:36 PM
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शेयर बाजार की टेंशन नहीं हो रही है खत्म, FPI ने 15 मार्च तक निकाले 30,000 करोड़ रुपये

FPI: विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) की भारतीय शेयर बाजारों से निकासी का सिलसिला जारी है। वैश्विक व्यापार को लेकर तनाव बढ़ने के बीच एफपीआई ने मार्च के पहले पखवाड़े में स्थानीय शेयर बाजारों से 30,000 करोड़ रुपये से अधिक की राशि निकाली है। इससे पहले फरवरी में उन्होंने शेयरों से 34,574 करोड़ रुपये और जनवरी में 78,027 करोड़ रुपये निकाले थे।

डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, इस तरह 2025 में अबतक एफपीआई भारतीय शेयर बाजार से कुल 1.42 लाख करोड़ रुपये (16.5 अरब अमेरिकी डॉलर) निकाल चुके हैं।

लगातार 14वें सप्ताह FPI ने की बिकवाली

आंकड़ों के अनुसार, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने इस महीने (13 मार्च तक) भारतीय शेयर बाजारों से शुद्ध रूप से 30,015 करोड़ रुपये निकाले हैं। यह उनकी शुद्ध निकासी का लगातार 14वां सप्ताह है। कई वैश्विक और घरेलू कारकों से एफपीआई काफी समय से लगातार बिकवाली कर रहे हैं।

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क्या कह रहे हैं एक्सपर्ट्स

मॉर्निंगस्टार इन्वेस्टमेंट के एसोसिएट डायरेक्टर-प्रबंधक शोध हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की अगुवाई में अमेरिका की व्यापार नीतियों को लेकर जो अनिश्चितता चल रही है, उससे वैश्विक स्तर पर जोखिम लेने की क्षमता प्रभावित हुई है। ऐसे में एफपीआई भारत जैसे उभरते बाजारों को लेकर सतर्कता का रुख अपना रहे हैं।’’

एफपीआई की निकासी को बढ़ावा देने वाले अन्य प्रमुख कारक अमेरिकी बॉन्ड प्रतिफल में उछाल और डॉलर की मजबूती है। इसने अमेरिकी परिसंपत्तियों को और अधिक आकर्षक बना दिया है। साथ ही, भारतीय रुपये में गिरावट ने इस प्रवृत्ति को और बढ़ा दिया है, क्योंकि यह विदेशी निवेशकों के लिए रिटर्न को कम करता है।

जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा कि भारत से एफपीआई पैसे निकाल कर चीन के शेयरों में लगा रहे हैं। चीन के शेयर बाजारों का प्रदर्शन अन्य बाजारों से बेहतर है। उन्होंने कहा, ‘‘डॉलर सूचकांक में हालिया गिरावट अमेरिका में कोष के प्रवाह को सीमित करेगी। हालांकि, अमेरिका और अन्य देशों के बीच व्यापार युद्ध से उत्पन्न अनिश्चितता के कारण सोने और डॉलर जैसी सुरक्षित परिसंपत्ति वर्गों में अधिक निवेश जाने की संभावना है।’’

आंकड़ों के अनुसार, एफपीआई ने समीक्षाधीन अवधि में बॉन्ड में सामान्य सीमा के तहत 7,355 करोड़ रुपये का निवेश किया है और स्वैच्छिक प्रतिधारण मार्ग से 325 करोड़ रुपये निकाले हैं।एफपीआई का 2024 में भारतीय बाजार में निवेश काफी कम होकर 427 करोड़ रुपये रहा था। इससे पहले 2023 में उन्होंने भारतीय बाजार में 1.71 लाख करोड़ रुपये डाले थे, जबकि 2022 में वैश्विक केंद्रीय बैंकों द्वारा ब्याज दरों में आक्रामक वृद्धि के बीच 1.21 लाख करोड़ रुपये की निकासी की थी।

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