गेम्सक्राफ्ट के पूर्व CFO का बड़ा खेल, F&O ट्रेडिंग के चक्कर में कंपनी को लगाया चूना
संक्षेप: कंपनी के मुताबिक रमेश प्रभु ने गेम्सक्राफ्ट टेक्नोलॉजीज के अकाउंट्स से कई सौ करोड़ रुपये निकालकर शेयर बाजार में ट्रेडिंग की है। उन्होंने यह ट्रेडिंग फ्यूचर एंड ऑप्शन सेग्मेंट में की है, जिसे हाई रिस्क माना जाता है।
ऑनलाइन गेमिंग कंपनी गेम्सक्राफ्ट टेक्नोलॉजीज लिमिटेड ने अपने पूर्व मुख्य वित्तीय अधिकारी (सीएफओ) रमेश प्रभु पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं। कंपनी के मुताबिक रमेश प्रभु ने गेम्सक्राफ्ट टेक्नोलॉजीज के अकाउंट्स से कई सौ करोड़ रुपये निकालकर शेयर बाजार में ट्रेडिंग की है। उन्होंने यह ट्रेडिंग फ्यूचर एंड ऑप्शन सेग्मेंट में की है, जिसे हाई रिस्क माना जाता है। सेबी के आंकड़े बताते हैं कि इसमें ट्रेडिंग करने वाले 10 में से 9 लोगों को भारी नुकसान होता है। बहरहाल, आइए जानते हैं कि कैसे रमेश प्रभु ने कंपनी के पैसे निकालकर ट्रेडिंग करने की योजना पर काम किया।
रमेश प्रभु कौन है?
47 वर्षीय रमेश प्रभु एक चार्टर्ड अकाउंटेंट हैं, जो 2018 में गेम्सक्राफ्ट में सीएफओ के रूप में शामिल हुए थे। इससे पहले, वह थ्री व्हील्स यूनाइटेड के को-फाउंडर भी रहे। यह कंपनी ऑटोरिक्शा चालकों को फाइनेंशियल मदद करती है। गेम्सक्राफ्ट में उन्हें 2025 की शुरुआत तक कंपनी के फाइनेंस का एक विश्वसनीय संरक्षक माना जाता था। हालांकि, बाद में उनके बारे में कई खुलासे हुए।
कैसे पहुंचाया नुकसान?
आरोप है कि वित्तीय वर्ष 2019-20 और 2024-25 के बीच प्रभु ने कथित तौर पर कंपनी के खातों से लगभग ₹231 करोड़ निकाले और उसे आरबीएल बैंक के अपने निजी अकाउंट में ट्रांसफर कर दिए। उन्होंने इस रकम का उपयोग हाई रिस्क वाले डेरिवेटिव मार्केट, फ्यूचर एंड ऑप्शन (F&O) में ट्रेड करने के लिए किया। मीडिया रिपोर्ट की मानें तो इस हेराफेरी को छिपाने के लिए उन्होंने फर्जी म्यूचुअल फंड स्टेटमेंट तैयार किए और कंपनी के बहीखातों में गलत एंट्री कीं। हालांकि, उनका यह दांव उलटा पड़ गया और कंपनी को ₹250 करोड़ से अधिक का नुकसान हुआ।
खुद किया उजागर
5 मार्च, 2025 को रमेश प्रभु ने गेम्सक्राफ्ट के प्रबंधन को एक स्वैच्छिक स्वीकारोक्ति ईमेल भेजा, जिसमें उन्होंने स्वीकार किया कि उन्होंने कंपनी के फंड का दुरुपयोग किया है। उन्होंने दावा किया कि उन्होंने अकेले ही यह काम किया था और इसमें कोई अन्य कर्मचारी शामिल नहीं था। ईमेल के बाद जांच शुरू हुई, जिसमें पुष्टि हुई कि कंपनी के खातों में हेराफेरी की गई थी। इसके बाद रमेश प्रभु अचानक गायब हो गए।
गेम्सक्राफ्ट का यह एक्शन
गेम्सक्राफ्ट ने बेंगलुरु में पुलिस में शिकायत दर्ज कराई और 9 सितंबर, 2025 को मराठाहल्ली पुलिस स्टेशन में एक प्राथमिकी दर्ज की गई। प्राथमिकी में भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) के तहत कई अपराधों का उल्लेख है, जिनमें चोरी, आपराधिक विश्वासघात, जालसाजी और खातों में हेराफेरी शामिल है।





