ब्लैक फ्राइडे: निफ्टी में 1996 के बाद सबसे लंबी गिरावट; सेंसेक्स 1414 अंक टूटा
- दुनियाभर के बाजारों में आई भारी गिरावट और अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनाल्ड ट्रम्प के चीनी उत्पादों पर 10% अतिरिक्त टैरिफ की घोषणा से शेयर बाजारों में हाहाकर मच गया। सेंसेक्स और निफ्टी करीब 2 प्रतिशत लुढ़क गए।

भारतीय शेयर बाजार में शुक्रवार को जबरदस्त गिरावट दर्ज की गई। दोनों प्रमुख सूचकांकों सेंसेक्स और निफ्ट के लिए शुक्रवार का दिन पांच महीनों में सबसे खराब दिन के रूप में दर्ज हुआ। अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनाल्ड ट्रंप के चीन के उत्पादों पर 10 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ लगाने की घोषणा से शुक्रवार को दुनिया भर के बाजारों में बड़ी गिरावट देखी गई। इसके दबाव में बीएसई का सेंसेक्स 1,414 और एनएसई का निफ्टी 420 अंक टूट गया। निफ्टी 50 ने 1996 के बाद से अपनी सबसे लंबी मासिक गिरावट का सामना किया है।
सेंसेक्स, निफ्टी में 15% तक गिर चुके हैं
बीएसई सेंसेक्स 1,414.33 अंक यानी 1.90 प्रतिशत की गिरावट के साथ 73,198.10 पर बंद हुआ। दिन के दौरान यह 1,471.16 अंक यानी 1.97 प्रतिशत गिरकर 73,141.27 के स्तर तक पहुंच गया। निफ्टी ने लगातार आठवें दिन नुकसान झेला और 420.35 अंक यानी 1.86 प्रतिशत गिरकर 22,124.70 पर बंद हुआ। पिछले साल 27 सितंबर को 85,978.25 के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचे सेंसेक्स में अब तक 12,780.15 अंकों यानी 14.86 प्रतिशत की गिरावट दर्ज हो चुकी है। निफ्टी भी अपने 26,277.35 के रिकॉर्ड उच्चतम स्तर से 4,152.65 अंक यानी 15.80 प्रतिशत गिर चुका है।
मिडकैप, स्मैलकैप में अधिक दबाव
घरेलू बाजार पर अधिक केंद्रित मिडकैप इंडेक्स अब आधिकारिक रूप से बेयर मार्केट में पहुंच गया। यह 24 सितंबर के रिकॉर्ड हाई लेवल से 20% से अधिक गिर गया। खराब कमाई, ऊंची वैल्यूएशन, अमेरिकी टैरिफ चिंताओं और लगातार बिकवाली के कारण दबाव बना रहा। स्मॉल-कैप इंडेक्स पहले ही 14 फरवरी को बेयर मार्केट में प्रवेश कर चुका था। अकेले फरवरी में मिड-कैप और स्मॉल-कैप इंडेक्स में 11% और 13% की गिरावट दर्ज की गई, जो मार्च 2020 में कोविड-19 महामारी के दौरान हुई बिकवाली के बाद की सबसे खराब मासिक गिरावट रही।
अमेरिकी घोषणा से बिकवाली बढ़ी
विश्लेषकों का मानना है कि सूचकांकों पर दबाव निकट भविष्य में बना रह सकता है। आदित्य बिड़ला सन लाइफ एएमसी के मुख्य निवेश अधिकारी महेश पाटिल ने कहा, "निवेशक फिलहाल बाजार से दूर रहेंगे और अगले एक-दो महीनों तक इंतजार करेंगे। जब तक कॉर्पोरेट इनकम और आर्थिक वृद्धि में सुधार नहीं होता, तब तक मजबूत खरीदारी समर्थन नहीं दिखेगा। जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के रिसर्च हेड विनोद नायर ने कहा, "ग्लोबल मार्केट्स में कमजोर संकेतों के कारण घरेलू बाजार में भारी गिरावट देखी गई। कनाडा और मेक्सिको से आयातित उत्पादों पर 25 प्रतिशत और चीन से आयातित उत्पादों पर 10 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ लागू करने की अमेरिकी घोषणा की आशंका बाजार में बेचैनी बढ़ा रही है।'उन्होंने यह भी कहा कि संभावित यूरोपीय संघ पर टैरिफ लगाने की चर्चाओं ने भी अनिश्चितता को बढ़ा दिया है। नायर ने कहा कि अब निवेशकों की नजर घरेलू जीडीपी डेटा पर है, जो आर्थिक सुधार की दिशा में महत्वपूर्ण संकेत दे सकता है और बाजार की चाल तय कर सकता है।
आईटी सेक्टर में सबसे ज्यादा नुकसान
सभी 13 प्रमुख उप-सूचकांक महीनेभर गिरावट में रहे, जिनमें रियल एस्टेट और आईटी स्टॉक्स को सबसे अधिक नुकसान हुआ। आईटी इंडेक्स शुक्रवार को 4.2% लुढ़क गया, जिससे बेंचमार्क इंडेक्स पर सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ा। कमजोर अमेरिकी लेबर मार्केट के डेटा ने दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में संभावित मंदी की आशंकाओं को और बढ़ा दिया। चूंकि आईटी कंपनियों की बड़ी आमदनी अमेरिका से आती है, इसलिए इस सेक्टर को खासा नुकसान हुआ।
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