
पुराने सामान पर नई MRP लिखने की मिली मंजूरी, नए नियम से किसको कितना होगा फायदा
संक्षेप: MRP Revision: अब तक पुरानी पैकिंग वाला सामान पुराने दाम (MRP) पर ही बेचना पड़ता था, भले ही कंपनी को उस पर नुकसान क्यों न हो रहा हो। अब सरकार ने कंपनियों को पुराने उत्पादों के पैक पर नया एमआरपी (अधिकतम खुदरा मूल्य) लिखने की मंजूरी दे दी है।
MRP Revision: क्या आपने कभी सोचा है कि जब किसी चीज के बनाने की लागत बढ़ जाती है, तो कंपनियां नए दाम कैसे लगाती हैं? अब तक पुरानी पैकिंग वाला सामान पुराने दाम (MRP) पर ही बेचना पड़ता था, भले ही कंपनी को उस पर नुकसान क्यों न हो रहा हो। अब सरकार ने कंपनियों को पुराने उत्पादों के पैक पर नया एमआरपी (अधिकतम खुदरा मूल्य) लिखने की अनुमति दे दी है। यह उन उत्पादों के लिए है, जो अभी तक बिके नहीं हैं। इससे कंपनियों को राहत मिलेगी, क्योंकि वे जीएसटी में कमी का फायदा ग्राहकों तक पहुंचा सकेंगी।

पुराना सामान 31 दिसंबर तक बेचना होगा
हालांकि, कंपनियों को अपना पुराना सामान 31 दिसंबर तक बेचना होगा। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने मंगलवार को एक नोटिफिकेशन जारी कर यह अनुमति दी है। उन्होंने कहा कि निर्माता, पैकर या आयातक स्टिकर लगाकर, स्टाम्प लगाकर या ऑनलाइन प्रिंटिंग से नया दाम लिख सकते हैं।
इससे कंपनियों को जीएसटी में हुए बदलाव के बाद सही कीमत दिखाने में मदद मिलेगी। यह नियम 22 सितंबर से लागू होगा। अब कंपनियों को यह इजाजत मिल गई है कि वे अपने पुराने और अनसोल्ड (unsold) प्रोडक्ट्स की पैकिंग पर एक स्टिकर लगाकर नया रिवाइज्ड MRP प्रिंट कर सकती हैं।
खाद्य और उपभोक्ता मामलों के मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि कीमत में कोई भी बदलाव सिर्फ टैक्स में बदलाव के अनुसार ही हो सकता है।
ग्राहकों को सही कीमत पता चल सकेगी
टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के मुताबिक एफएमसीजी वितरकों के संघ ने कहा कि इस कदम से ग्राहकों को सही कीमत पता चल सकेगी और बाजार में भ्रम नहीं फैलेगा। ऑल इंडिया कंज्यूमर प्रोडक्ट्स डिस्ट्रीब्यूटर्स फेडरेशन के अध्यक्ष धैर्यशील पाटिल ने इस कदम की सराहना की। उन्होंने कहा कि इससे पारदर्शिता बढ़ेगी और वितरकों व दुकानदारों का काम आसान होगा। अधिकतर एफएमसीजी उत्पादों की शेल्फ लाइफ कम होती है, लेकिन इससे उन उत्पादों के स्टॉक को मैनेज करने में मदद मिलेगी जिनकी शेल्फ लाइफ ज्यादा है।
क्या थी मुश्किल?
मान लीजिए, एक कंपनी ने साल भर पहले शैम्पू का एक डिब्बा 100 रुपये के MRP के साथ बनाया। अब कच्चे माल के दाम बढ़ गए और नया शैम्पू बनाने में 110 रुपये लगने लगे, लेकिन दुकान पर पड़ा वह पुराना डिब्बा अभी भी सिर्फ 100 रुपये में ही बिक सकता था। इससे कंपनियों को पुराने स्टॉक पर घाटा उठाना पड़ता था, और कई बार दुकानदार भी ऐसे प्रोडक्ट को रखना नहीं चाहते थे।
नए नियम क्या कहते हैं?
स्टिकर लगाने की इजाजत सिर्फ 12 महीने पुराने या उससे कम समय के उत्पादों को ही है। यानी बहुत पुराना सामान इसके दायरे में नहीं आएगा।
नया MRP, पुराने MRP से ज्यादा ही होगा, कम नहीं। यह बढ़ोतरी उत्पादन लागत में हुई बढ़ोतरी को दर्शाएगी।
नया MRP पूरी तरह से साफ और पढ़ने लायक होना चाहिए। पुराना MRP भी नए के नीचे दिखना चाहिए ताकि ग्राहक को पता चल सके कि दाम कितना बढ़ा है।
इससे किसको कितना फायदा
कंपनियों के लिए: उन्हें पुराने स्टॉक पर होने वाले नुकसान से राहत मिलेगी।
दुकानदारों के लिए: उन्हें पुराना सामान रखने में कोई दिक्कत नहीं होगी और वह आसानी से बिक जाएगा।
ग्राहकों के लिए: उन्हें साफ-साफ पता चल जाएगा कि दाम क्यों बढ़ा है और वे पारदर्शिता के साथ खरीदारी कर सकेंगे।





