
8वें वेतन आयोग में खत्म होगी ये सुविधा? केंद्रीय कर्मचारियों के लिए जानना जरूरी
संक्षेप: अनुमान है कि आठवें वेतन आयोग में केंद्रीय कर्मचारियों के सैलरी स्ट्रक्चर पर फैसला फिटमेंट फैक्टर के आधार पर तय होगा। वहीं, केंद्रीय कर्मचारियों की स्वास्थ्य सेवाओं के लिए योजना यानी सीजीएचएस पर भी फैसला हो सकता है।
8th Pay Commission: केंद्रीय कर्मचारियों को जितना इंतजार जुलाई से दिसंबर छमाही के महंगाई भत्ते का है उससे कहीं ज्यादा आठवें वेतन आयोग की सिफारिशों को लेकर है। दरअसल, इस साल के पहले महीने यानी जनवरी में ही केंद्र सरकार ने आठवें वेतन आयोग के गठन का ऐलान कर दिया था लेकिन अब तक इसकी ना तो समिति की घोषणा हुई है और ना ही लागू करने को लेकर नोटिफिकेशन आया है। ऐसे में आठवें वेतन आयोग को लेकर केंद्रीय कर्मचारियों की बेचैनी बढ़ती जा रही है।

मीडिया के अलग-अलग हिस्सों में इस नए वेतन आयोग को लेकर अनुमान भी लगाए जा रहे हैं। अनुमान है कि नए वेतन आयोग में केंद्रीय कर्मचारियों के सैलरी स्ट्रक्चर पर फैसला फिटमेंट फैक्टर के आधार पर तय होगा। वहीं, केंद्रीय कर्मचारियों की स्वास्थ्य सेवाओं की रीढ़ कही जाने वाली केंद्रीय सरकार स्वास्थ्य योजना (CGHS) को लेकर भी कयास लगाए जा रहे हैं।
क्या हो सकता है बदलाव?
केंद्रीय सरकार स्वास्थ्य योजना (CGHS) की जगह एक नई बीमा-आधारित योजना लाने पर जोरदार चर्चा चल रही है। मीडिया रिपोर्ट की मानें तो केंद्र सरकार सीजीएचएस या केंद्रीय सरकार स्वास्थ्य योजना को समाप्त कर सकती है और 8वें वेतन आयोग की सिफारिशों के तहत एक नया स्वास्थ्य कार्यक्रम शुरू कर सकती है। यह पहली बार नहीं है जब सीजीएचएस को बदलने की चर्चा हो रही है। पिछले तीन-5वें, 6वें और 7वें वेतन आयोग ने भी सीजीएचएस को किसी अन्य योजना से बदलने की सिफारिश की थी। इस बार भी बदलाव की उम्मीद की जा रही है ताकि स्वास्थ्य सेवाएं और मॉडर्न बन सकें। बता दें कि अब तक सरकार ने किसी तरह की आधिकारिक घोषणा नहीं की है।
सीजीएचएस में हुए हैं कई बदलाव
सातवें वेतन आयोग के दौर में सीजीएचएस में कई बड़े बदलाव हुए हैं। उदाहरण के लिए सीजीएचएस कार्ड को आयुष्मान भारत स्वास्थ्य खाते (आभा) से जोड़ने के प्रयास शुरू हो गए हैं। जिन कर्मचारियों के वेतन से सीजीएचएस अंशदान के लिए कटौती होती है, उन्हें अब कार्ड स्वतः जारी करने की सुविधा दी गई है।
इसी तरह, सरकारी अस्पतालों में बिना रेफरल के इलाज की सुविधा, निजी अस्पतालों में एक ही रेफरल पर तीन विशेषज्ञ डॉक्टरों से परामर्श और वृद्धावस्था सीमा को घटाकर 70 वर्ष करने जैसे बदलाव किए गए। इन सुधारों से कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुंच काफी आसान हो गई।





