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समग्र बेरोजगारी बीमा योजना शुरू करने की मांग

श्रमिक एवं श्रम संगठनों ने सरकार से चालू वित्त वर्ष के आम बजट में समग्र बेरोजगारी बीमा योजना शुरू करने, सरकारी कंपनियों में रणनीतिक विनिवेश बंद करने, असंगठित क्षेत्र के कामगारों की सामाजिक सुरक्षा के...

समग्र बेरोजगारी बीमा योजना शुरू करने की मांग
एजेंसी,नई दिल्लीSun, 16 Jun 2019 01:52 AM
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श्रमिक एवं श्रम संगठनों ने सरकार से चालू वित्त वर्ष के आम बजट में समग्र बेरोजगारी बीमा योजना शुरू करने, सरकारी कंपनियों में रणनीतिक विनिवेश बंद करने, असंगठित क्षेत्र के कामगारों की सामाजिक सुरक्षा के लिए राष्ट्रीय कोष बनाने और न्यूनतम मजदूरी कानून को कड़ाई से लागू करने की मांग की है। वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर की अध्यक्षता में शनिवार को यहां हुई बजट पूर्व चर्चा में श्रमिक यूनियनों और श्रम संगठनों के प्रतिनिधियों ने अपने सुझाव दिए।

इस दौरान15वें भारतीय श्रम सम्मेलन की सिफारिशों के अनुरूप न्यूनतम वेतनमान निर्धारित करने, मनरेगा के तहत कम से कम 200 दिनों तक रोजगार दिये जाने की व्यवस्था करते हुये इसका सभी ग्रामीण क्षेत्रों में विस्तार करने और शहरी क्षेत्रों में इसको लागू करने की सिफारिश भी की गयी। ग्रामीण युवाओं की आकांक्षाओं के अनुरूप कौशल विकास करने, रोजगार की संभावना बढ़ाने के उद्देश्य से आईटीआई के पाठ्यक्रमों की समीक्षा करने, ठेका कर्मचारियों के लिए सामाजिक सुरक्षा के प्रावधान करने, अधिक पूंजी निवेश वाले उद्योग को बढ़ावा देने, ठेका एवं अनियमित कर्मचारियों कामगारों को औपचारिक रोजगार में बदलने की मांग रखी गई।

श्रमिक संगठनों की मांग: 6000 रुपए मासिक पेंशन और 20 हजार रुपए का न्यूनतम वेतन हो
वहीं दूसरी ओर, श्रमिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने शनिवार को न्यूनतम वेतन को बढ़ाकर 20,000 रुपये करने, ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत साल में कम-से-कम 200 दिन का काम सुनिश्चित करने और कम-से-कम 6,000 रुपये का मासिक पेंशन देने की मांग की है। बजट पूर्व बैठक में यूनियनों ने वेतनधारी एवं पेंशन प्राप्त करने वालों लोगों की 10 लाख रुपये तक की आमदनी को आयकर की सीमा से बाहर रखने की भी मांग की। उन्होंने वरिष्ठ नागरिकों के लिए भी आयकर की सीमा को बढ़ाकर आठ लाख रुपये करने की मांग की।

करीब दर्जन भर केंद्रीय श्रमिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने वित्त एवं कॉरपोरेट मामलों के राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर के साथ बजट पूर्व बैठक की। इस दौरान उन्होंने लाभ कमा रही सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के निजीकरण एवं विनिवेश को लेकर भी अपनी आपत्तियां दर्ज करायीं। उन्होंने साथ ही रोजगार सृजन पर जोर देने की बात भी कही।

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