बजट 2018: बजट के लिए वित्त मंत्री ने लिए राज्यों से सुझाव
केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने गुरूवार को जीएसटी परिषद् की बैठक से पहले आगामी एक फरवरी को आने वाले बजट पर राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से चर्चा की। इसमें उन्होंने राज्यों की सिफारिशों को...
केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने गुरूवार को जीएसटी परिषद् की बैठक से पहले आगामी एक फरवरी को आने वाले बजट पर राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से चर्चा की। इसमें उन्होंने राज्यों की सिफारिशों को वर्ष 2018-19 के बजट को तैयार करने के दौरान ध्यान में रखने का आश्वासन दिया।
दोनों केन्द्रीय वित्त राज्य मंत्रियों के साथ ही हिमाचल प्रदेश और पुड्डुचेरी के मुख्यमंत्री, बिहार, दिल्ली, गुजरात, मणिपुर और तमिलनाडु के उप मुख्यमंत्री और 14 राज्यों के वित्त मंत्री या उनके प्रतिनिधि तथा वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे। राज्य सरकारों के प्रतिनिधियों ने वित्तीय नीति और बजटीय उपायों पर कई सुझाव दिये जिसको बजट में समाहित करने पर केंद्र सरकार विचार कर सकती है। जेटली ने कहा कि राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के सुझावों और सौंपे गये ज्ञापनों का अध्ययन कर सहकारी संघवाद के मूलमंत्र के आधार पर वर्ष 2018-19 के बजट प्रस्तावों में उन्हें शामिल करने पर विचार किया जाएगा।
बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने वित्त वर्ष एक अप्रैल के स्थान पर एक जनवरी से शुरू करने, केंद्र प्रायोजित योजनाओं में केंद्रीय सहायता बढ़ाने, सभी तरह की सामाजिक पेंशन योजना की राशि में 500 रुपये की बढ़ोत्तरी करने, आयकर की सीमा बढ़ाने और आपदा राहत कोष से समेत अन्य सुझाव दिए।
मोदी ने आयकर की सीमा 2.5 लाख से बढ़ा कर 3 लाख करने, 80 सी के तहत आयकर छूट की सीमा 1.5 लाख से बढ़ा कर 2 लाख करने, आयकर से छूट के लिए 10 लाख की ग्रेच्युटी की सीमा को बढ़ा कर 20 लाख करने तथा बिहार में चल रही रेल परियोजनाओं व प्रधानमंत्री पैकेज की योजनाओं को समय से पूरा करने के लिए आगामी बजट में पर्याप्त आवंटन करने का सुझाव दिया। उत्तराखंड के वित्त मंत्री प्रकाश पंत ने आयकर सीमा में बढ़ोत्तरी, केंद्र प्रायोजित योजनाओं में केंद्रीय सहायता बढ़ाने समेत अन्य सिफारिशें की, जबकि दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया की ओर से विभिन्न सुझाव दिए गए।