बजट 2018: सेहत में सुधार के लिए ज्यादा बजट की आस
आम बजट में स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए आवंटन 11 प्रतिशत बढ़कर 52295 करोड़ रुपये होने की उम्मीद है। सरकार मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को लेकर भी गंभीर है। इसके लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के बजट में करीब 25...
आम बजट में स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए आवंटन 11 प्रतिशत बढ़कर 52295 करोड़ रुपये होने की उम्मीद है। सरकार मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को लेकर भी गंभीर है। इसके लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के बजट में करीब 25 फीसदी बढ़ोत्तरी का प्रस्ताव किया गया है। दरअसल, मातृ एवं शिशु मृत्युदर में कमी लाने के लिए सरकार टीकाकरण और महिलाओं की प्रसव के दौरान देखरेख, सुरक्षित प्रसव आदि योजनाओं पर काम चल रहा है। सरकार चाहती है कि सौ फीसदी प्रसव प्रशिक्षित स्वास्थ्य कार्यकर्ता की देखरेख में अस्पताल में हो। सांस्थानिक प्रसव बढ़े हैं। लेकिन इस बजट में भी इस पर जोर रहेगा।
बता दें कि हाल के वर्षो में तेजी से मातृ एवं शिशु दर सुधर भी रही है। भारत सतत विकास लक्ष्यों को हासिल करने की तरफ बढ़ रहा है।दूसरे, बड़ा फोकस गैर संचारी रोगों की जांच और उपचार पर रहेगा। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के बजट में करीब 25 फीसदी बढ़ोत्तरी की योजना है। अभी यह 21 हजार करोड़ रुपये है।
चिकित्सा शिक्षा पर फोकस: अस्पतालों को अपग्रेड कर मेडिकल कालेज बनाने की योजना के लिए आवंटन बढ़ सकता है। स्वास्थ्य मंत्रलय के सूत्रों के अनुसार मिशन इंद्रधनुष के जरिये टीकाकरण का दायरा 90 फीसदी बच्चों तक पहुंचाने के लक्ष्य तय किया जाएगा। अभी टीकाकरण का दायरा 62 फीसदी बच्चों तक है। पिछले सालों में मिशन इंद्रधनुष के जरिये टीकाकरण का दायरा दस फीसद तक बढ़ा है। इसे और बढ़ाने की तैयारी है।
ये योजनाएं पूरी नहीं : पिछले बजट में केंद्र सरकार ने कई घोषणाएं की थी जिनमें से कई पूरी हुई लेकिन कई पूरी नहीं हो पाई। मसलन, एमसीआई के स्थान पर नया नियामक लाने की बात कही थी। इस पर सरकार एनएमसी बिल ले आई है। मेडिकल में पांच हजार पीजी सीटें बढ़ाने का लक्ष्य भी सरकार ने हासिल कर लिया है। लेकिन बुजुर्गो के लिए स्मार्ट कार्ड बनाने का ऐलान किया था।