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मरीज के गुर्दे के सम्पूर्ण पथरियों को सफलता पूर्वक बिना किसी त्रुटि के एक ही बार में निकालने में सक्षम रहे डॉक्टर्स

यूरोलॉजी विभाग में मरीज का ऑपरेशन नवीनतम विधि सुपाईन पी.सी.एन.एल. से किया गया और गुर्दे के सम्पूर्ण पथरियों को सफलता पूर्वक बिना किसी त्रुटि के एक ही बार में निकाल दिया गया।.........

मरीज के गुर्दे के सम्पूर्ण पथरियों को सफलता पूर्वक बिना किसी त्रुटि के एक ही बार में निकालने में सक्षम रहे डॉक्टर्स
HpandeyBrand PostMon, 27 Jun 2022 01:00 PM
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मरीज का नवीनतम विधि सुपाईन पी.सी.एन.एल पद्धति से किया गया इलाज

 

यूरोलॉजी विभाग में मरीज का ऑपरेशन नवीनतम विधि सुपाईन पी.सी.एन.एल. से किया गया और गुर्दे के सम्पूर्ण पथरियों को सफलता पूर्वक बिना किसी त्रुटि के एक ही बार में निकाल दिया गया। मरीज को ऑपरेशन के अगले दिन ही स्वास्थ्य लाभ मिल गया। जिस कारण दूसरे दिन मरीज को अस्पताल से घर जाने की अनुमति दे दी गई। 

मरीज इलाज से पूरी तरह संतुष्ट

 

मरीज का कहना है कि वह छः महीने से गुर्दे की पथरी के कारण दर्द से परेशान थे। इसके इलाज के लिए उन्होंने अहमदाबाद और लखनऊ के कई उच्च अस्पतालों में संपर्क भी किया परंतु उनके शरीर के आकार एवं पथरी बड़ी होने के कारण ऑपरेशन संभव नहीं हो पाया। अन्ततः उन्होंने टेन्डर पॉम अस्पताल के यूरोलॉजी विभाग में डॉ॰ राहुल यादव एवं डॉ॰ विश्रुत भारती जी से परामर्श लिया और यहां बिना किसी तकलीफ के आधुनिक विधि (सुपाईन पी.सी.एन.एल.) से उनका ऑपरेशन किया गया। अब वह पूर्णतः स्वस्थ हैं और अस्पताल में मिली सुविधाओं से पूरी तरह संतुष्ट भी हैं।

 

पी.सी.एन.एल. विधि 

पी.सी.एन.एल. (परक्यूटेनियस नेफ्रोलिथोटॉमी) गुर्दे की पथरी निकालने की एक मानक विधि है। जिसमें कमर पे 5 एम.एम. से 1 सेमी॰ के छोटे छेद बनाकर गुर्दे में दूरबीन द्वारा पथरी तक पहुंचा जाता है और पथरी को तोड़ कर निकाल दिया जाता है। इस ऑपरेशन की एक कमी यह है कि सर्जरी के दौरान मरीज को पेट के बल लिटाया जाता है, जिसके कारण छाती और पेट पर दबाव बढ़ जाता है तथा बेहोशी देने के बाद मरीज को संभालना कठिन हो जाता है।  

सुपाईन पी.सी.एन.एल./इ.सी.आई.आर.एस. विधि पी.सी.एन.एल. विधि का एक आधुनिक रूप 

यह विधि पी.सी.एन.एल. का एक आधुनिक रूप है जिसमें मरीज को पेट के बजाय पीठ के बल लिटाकर ऑपरेशन पूर्ण किया जाता है। इसके अनेक फायदे मरीज और चिकित्सक दोनों को ही मिलते हैं। मरीज की सुपाईन अवस्था के कारण पीठ के छिद्र के साथ- साथ पेशाब के रास्ते से एक दूसरी दूरबीन डालना संभव हो पाता है। इस दोहरी दूरबीन विधि को इ.सी.आई.आर.एस. (इन्डोस्किोपिक कम्बाइन्ड इन्ट्रारीनल सर्जरी) नाम दिया गया है। इस विधि की मदद से बड़ी से बड़ी पथरी कम समय और किडनी पर कम से कम दबाव डालते हुए निकाली जा सकती है। 

 

सुपाईन पी.सी.एन.एल. के लाभ 

इस विधि के लाभ मुख्यतः मरीज के शारीरिक मुद्रा के कारण होते हैं। मरीज की छाती और पेट पर दबाव कम पड़ता है, जिससे ऑपरेशन के दौरान श्वांस लेने में आसानी होती है। इस मुद्रा में मरीज को सासान्य पी.सी.एन.एल. की तुलना में बाहरी चोट लगने की संभावना कम होती है। इसमें अंदरूनी अंग जैसे कि आंतों को क्षति पहुंचने की संभावना भी कम हो जाती है। ऑपरेशन के दौरान किडनी पर दबाव कम रहता है, जिससे आगे चलकर संक्रमण भी कम होता है। कुछ खास मरीज जो अत्याधिक मोटापे एवं छाती रोग की बीमारी से ग्रसित हैं उनके लिए यह खास कर लाभकारी होती है।

किन मरीजों को इस विधि से होता है खास फायदा

गुर्दे की किसी भी प्रकार की पथरी को इस विधि से निकाला जा सकता है। 

वो मरीज जो अत्याधिक मोटापे एवं छाती के रोग से ग्रसित हैं और ऑपरेशन के दौरान जिन मरीजों को पेट के बल लेटना हानिकारक हो सकता है उनके लिए यह विधि किसी वरदान से कम नहीं।

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