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दूरदृष्टि, दृढ़ निश्चय, लगन और मेहनत से बनाया सुपरकॉन : पर्यावरण मित्र विजय कुमार जैन

  पर्यावरण संरक्षण आज के भौतिकवादी समय में एक गम्भीर चिंतन का विषय है। हम ज्यों-ज्यों विकास की एक-एक सीढ़ी चढ़ते हैं उसी अनुपात में पर्यावरण प्रदूषण की ओर भी बढ़ते हैं। पर्यावरण संरक्षक या...

Brand PostWed, 2 March 2022 06:40 PM
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दूरदृष्टि, दृढ़ निश्चय, लगन और मेहनत से बनाया सुपरकॉन  : पर्यावरण मित्र विजय कुमार जैन

 

पर्यावरण संरक्षण आज के भौतिकवादी समय में एक गम्भीर चिंतन का विषय है। हम ज्यों-ज्यों विकास की एक-एक सीढ़ी चढ़ते हैं उसी अनुपात में पर्यावरण प्रदूषण की ओर भी बढ़ते हैं। पर्यावरण संरक्षक या पर्यावरण मित्र का नाम लेते ही हमारी आंखों के सामने उनकी ही आकृतियां सामने आती हैं, जो लोग बहुत ऊंचे स्तर पर जन सहयोग द्वारा जल बर्बादी को रोकने या जलधारा को बांधने तथा जंगलों/ पेड़ों की कटाई जैसे कार्यों के विरोध में धरना/ प्रदर्शन/ अनशन आदि करते हैं तथा अपने इस कार्य से जनता तथा मीडिया में प्रमुखता पाते रहे हैं। परन्तु दैनिक कार्यों तथा अपने व्यापार उद्योग के माध्यम से भी पर्यावरण संरक्षण किया जा सकता है, इसका उदाहरण जैन एजेन्सीज, मलदहिया वाराणसी के अधिष्ठाता श्री विजय कुमार जैन ने हमारे सामने रखा है।

पर्यावरण की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं विजय कुमार जैन

 

जैन एजेन्सीज, मलदहिया के अधिष्ठाता श्री विजय कुमार जैन पर्यावरण सुरक्षा के प्रति पूरी जिम्मेदारी से कार्य कर रहे हैं।

पर्यावरण सुरक्षा की बात आज वैश्विक स्तर पर हो रही है। इस संदर्भ में श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा प्रधानमंत्री पद शपथ ग्रहण के बाद लाल किले से पहला सम्बोधन महत्वपूर्ण है, जिसमें उन्होंने जल अपव्यय को रोकने के लिए कहा था कि हमें अपनी आदतों में सुधार लाना चाहिए, यह आवश्यक नहीं कि हम जब तक ब्रश करते रहें तब तक टोंटी चालू रहे और जल बर्बाद होता रहे।ऐसे में पर्यावरण मित्र श्री विजय कुमार जैन जैसे लोगों का आगे आना बेहद अहम है।

 

विजय कुमार जैन की पर्यावरण व जल संरक्षण की मुहिम

 

पर्यावरण मित्र विजय कुमार जैन बताते हैं कि वे जल संरक्षण व पर्यावरण सुरक्षा की दिशा में बहुत सतर्क रहे हैं और व्यापार का चयन भी इस महत्वपूर्ण बात को ध्यान में रखते हुए किया। इतना ही नहीं वह अन्य लोगों/ व्यापारियों को जागरूक एवं प्रेरित भी करते रहे हैं।

 एजेंसी से PTMT प्लास्टिक की सभी प्रकार की टोंटियां 1986 से बेचते हैं, जिनसे सालों-साल प्रयोग करने के बाद भी एक बूंद पानी की टपकन नहीं होती है। तथा PTMT अन्य उत्पाद भी उत्त्म गुणवत्ता के साथ वर्षों तक खराब नही होते हैं|

 

सुपरकॉन : गुणवत्ता का प्रतीक, जल संरक्षण की दिशा में हुआ मानक कार्य

 

सुपरकॉन आज पूर्वी एवं मध्य उत्तर प्रदेश, बिहार व मध्य प्रदेश में जाना- पहचाना नाम है। सन् 1990 में सुपरकॉन पानी की टंकी का निर्माण शुरू किया गया। धीरे- धीरे पानी की गोल टंकी के अलावा लाफ्ट टैंक का निर्माण भी शुरू किया गया।

 

इन टंकियों में फूड ग्रेड रेजिन का इस्तेमाल किया जाता है जिससे इस में रखा जल पीने योग्य सुरक्षित रहता है।

उत्तम गुणवत्ता की टंकियां होने के कारण सुपरकॉन की पहचान बढ़ती चली गयी। सुपरकॉन टंकियां आईएसआई मार्का के साथ भी उपलब्ध हैं, जो उत्तम गुणवत्ता की प्रतीक हैं एवं सभी सरकारी विभागों में पिछले 10 वर्षों से लग रही हैं।

सुपरकॉन: प्लास्टिक के बिना जोड़ के सैप्टिक टैंक का निर्माण

 

सन् 2018 से सेप्टिक टैंक बनाने की शुरुआत हुई । यह सेप्टिक टैंक बिना जोड़ के वनपीस बनते हैं और पचास वर्ष बिना रुकावट के चलते हैं। वजन में हल्के होने से इसे ले जाना तथा निर्माण स्थल पर स्थापित करना आसान है। इस टैंक के लगवाने से ठोस मल पानी के रूप में बदल जायेगा तथा सरकारी सीवर में या नाली में केवल जल जाएगा | दक्षिण भारत के शहरों का उदाहरण देते हुए वी.के. जैन कहते हैं कि वहां के नगर निगम बिना सेप्टिक टैंक मकान का नक्शा नहीं पास करते हैं।

गाँव में इसे लगाने से इससे निकला जल खेतों को उपजाऊ बनाता है। इस दिशा में उत्तर प्रदेश में भी जागरूकता होनी चाहिये। यह पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक ठोस कदम है।

 

पर्यावरण संरक्षण हेतु प्लास्टिक चौखट का किया निर्माण

इसी क्रम में उत्तर प्रदेश, बिहार व मध्य प्रदेश के पूरे इलाके में पहली बार प्लास्टिक की चौखट का निर्माण शुरू किया गया। जिसके पीछे पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण की सोच रही। प्लास्टिक की चौखट लकड़ी के विकल्प के रूप में लगायी जा रही है। इस प्रकार हजारों वृक्षों की कटाई रुकेगी और पर्यावरण का प्रदूषण कम होगा। प्लास्टिक की चौखट के विशिष्ट गुणों के कारण ये चौखटें न टेढ़ी होंगी न ही घुन लगेगा व न ही दीमक का कोई असर होगा। पानी से लकड़ी खराब हो जाती है जिसके कारण प्लास्टिक के चौखट की उम्र 50 वर्ष से ज्यादा मानी जायेगी।

 

 

शिक्षा व प्रारंभिक जीवन : विजय कुमार जैन

 

विजय जैन की प्रारंभिक शिक्षा डालमियानगर (बिहार) के हायर सेकेन्डरी विद्यालय से हिन्दी मीडियम में हुई। तत्पश्चात काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से स्नातक (B.Sc.) तथा पटना विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर (M.Sc ) किया | फिर लखनऊ में नौकरी शुरू किया. 1981  में बनारस ट्रांस्फर हो गया तथा 1981 से बनारस में 1984 तक नौकरी किया |1984 में रोहतास इन्डस्ट्रीज लि. डालमियानगर के बंद होने के पश्चाप्त वाराणसी में ही सूक्ष्म स्तर पर व्यापार शुरू किया। 1972 मे शादी के उपरांत पत्नी सरिता जैन के सहयोग एवं परामर्श से आज हम इस मुकाम पर पहुंचे हैं तथा बनारस में जन्में अतिशयकारी बाबा पार्श्वनाथ जी का आशीर्वाद भी कामयाबी को बढ़ाता रहा है|

व्यापार में मेरा बेटा आदिश जैन भी 2000 से साथ मे कार्यरत है| व्यापार की उन्नती मे विशेष कारण यह रहा है कि सभी से मृदु व्यवहार रखा जाता है और झूठ बोल कर व्यापार नहीं किया जाता है |

लघु उद्योग के अर्न्तगत सुपरकॉन पानी की टंकियों, सेप्टिक टैंक, प्लास्टिक चौखट का इस्तेमाल आम जनता द्वारा तो किया जा रहा है परन्तु सरकारी विभागों में भी प्लास्टिक के सेप्टिक टैंक तथा चौखट के इस्तेमाल को बढ़ावा देना चाहिये | सरकारी निर्माण में इन उत्पादों को इस्तेमाल हेतु आवश्यक कार्यवाही करनी चाहिए|

 

अंत में पर्यावरण मित्र विजय कुमार जैन ने पेट्रोल/ डीजल से चलने वाली कार बेच कर इलेक्ट्रिक कार इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है जो पर्यावरण सुरक्षा में अहम सीढी है। अपनी फैक्ट्री में भी सौर ऊर्जा का 10kw का उत्पादन मोड्यूल 4 वर्ष पूर्व से लगा कर ऊर्जा  प्राप्त की जा रही है|

 

(इस लेख में किए गए दावों की सत्यता की पूरी जिम्मेदारी संबंधित व्यक्ति/संस्थान की है।) 

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