टेंडर पाम हॉस्पिटल के मनोरोग विभाग ने ओसीडी मरीज का किया सफल इलाज
ओसीडी मरीज को महज 45 दिन में किया दुरुस्त।
बार-बार गंदगी का ख्याल आना, जिसकी वजह से बार-बार सफाई करना, बार-बार हाथ धोना, शरीर सही से साफ़ नहीं हुआ, इस ख्याल से परेशान होकर घंटों तक नहाना, बंद दरवाजा खुला रहने की आशंका पर कई बार चेक करना, धार्मिक स्थलों को लेकर बुरे विचार आना विगत 10 वर्षों से कुछ ऐसी आदतों से लखनऊ की सुनीता देवी (बदला हुआ नाम) परेशान हो चुकी थीं। चाहकर भी ऐसे विचारों से आज़ाद नहीं हो पा रही थीं। पिछले चार वर्षों में स्थितियां इतनी बदल गयी थीं कि सुनीता देवी की सेहत पर बेहद बुरा असर पड़ने लगा था। अपनी समस्या से तनावग्रस्त हो चुकी सुनीता ने एक बार खुद को नुकसान करने की भी कोशिश की थी। उनके परिवार को भी कुछ समझ नहीं आ रहा था, क्योंकि सुनीता की ऐसी आदतें बढ़ती जा रही थीं। आखिरकार परेशान परिवार को टेंडर पाम हॉस्पिटल के बारे में जानकारी मिली, जहां मनोरोग विभाग के विशेषज्ञ डॉ. अंकित सिन्हा और साइकोलॉजिस्ट प्रज्ञा पुष्कर्णा ने सुनीता देवी को वापस सामान्य जीवन में लाने का बीड़ा उठाया।
ओसीडी यानि ऑब्सेसिव कम्पल्सिव डिसऑर्डर का केस
न्यूरोसाइकियाट्रिस्ट डॉ. अंकित सिन्हा ने बताया कि यह ओसीडी यानि मनोग्रसित-बाध्यता विकार (ऑब्सेसिव कम्पल्सिव डिसऑर्डर) का केस था। ओसीडी एक मानिसक स्वास्थ्य स्थिति है, जिसमें आपको बार-बार अवांछित विचार आते हैं, जिसके कारण आप एक ही तरह का व्यवहार बार-बार दोहराते हैं। ओसीडी अपेक्षाकृत आम मानसिक समस्या है, जो हर 100 में 3 लोगों को हो सकती है।
डॉ. अंकित सिन्हा ने बताया कि ओसीडी की जानकारी और मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता की कमी होने के कारण इसका समुचित इलाज मिलना भी मुश्किल होता है। मानसिक रोगों के प्रति बने सामाजिक कलंक की वजह से लोग इसका इलाज करवाने से कतराते हैं।
महज 45 दिनों में उपचार
डॉ. अंकित सिन्हा कहते हैं, 'सुनीता देवी को दवाओं से ज्यादा थेरेपी और काउंसलिंग की जरूरत थी। टेंडर पाम हॉस्पिटल में उन्हें एक्सपोजर रेस्पोंस प्रिवेंशन (ईआरपी) थेरेपी और काउंसलिंग दी गयी। इसी वजह से महज 45 दिनों में सुनीता देवी के व्यवहार में 60 से 70 फीसदी तक बदलाव आया।' खुद सुनीता देवी ने बताया कि बार-बार हाथ धोने, घंटों सफाई करने की उनकी आदतें खत्म हो चुकी हैं। मानसिक रूप से अब वो पहले से ज्यादा बेहतर महसूस कर रही हैं।
100 से अधिक मरीजों को ईआरपी थेरेपी दे चुके हैं डॉ. अंकित सिन्हा
डॉ. अंकित सिन्हा 100 से अधिक मरीजों को एक्सपोजर रेस्पोंस प्रिवेंशन (ईआरपी) थेरेपी दे चुके हैं। उन्होंने बताया कि ईआरपी एक ऐसी थेरेपी है, जिसमें मरीज को धीरे-धीरे उन सारी चीजों का सामना कराया जाता है, जो उनमें निरंतर अवांछित विचार पैदा करते हैं। लखनऊ में सिर्फ टेंडर पाम हॉस्पिटल में ही ईआरपी थेरेपी की सुविधा है।
अस्वीकरण : इस लेख में किए गए दावों की सत्यता की पूरी जिम्मेदारी संबंधित व्यक्ति/ संस्थान की है।