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Hindi News ब्रांड स्टोरीज़मिलिए बायोमेंटर्स के संस्थापक डॉ. गीतेंद्र सिंह से; वो शख्स जिसने शिक्षा व्यवस्था में लाया बड़ा बदलाव

मिलिए बायोमेंटर्स के संस्थापक डॉ. गीतेंद्र सिंह से; वो शख्स जिसने शिक्षा व्यवस्था में लाया बड़ा बदलाव

मध्यम वर्गीय परिवार से आने वाले डॉ गीतेंद्र सिंह के उतार चढ़ाव भरे सफर से आपको बहुत कुछ सीखने को मिलेगा तू गिरकर उठते रहना कुछ भी हो बस चलते रहना। ठोकरें कब तक रास्ता रोक पाएगी अगर कोशिशों में जान हो.

मिलिए बायोमेंटर्स के संस्थापक डॉ. गीतेंद्र सिंह से; वो शख्स जिसने शिक्षा व्यवस्था में लाया बड़ा बदलाव
HpandeyBrand PostMon, 03 Oct 2022 06:34 PM
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"तू गिरकर उठते रहना, कुछ भी हो बस चलते रहना। ठोकरें कब तक रास्ता रोक पाएगी, अगर कोशिशों में जान है तो किस्मत भी पलट जाएगी" जी हाँ, अगर आपकी कोशिशों में दम है, आप में कुछ करने का जूनून है तो आपको सफलता ज़रूर मिलेगी। NEET परीक्षा की तैयारी के लिए मशहूर बायोमेंटर्स के संस्थापक डॉ. गीतेंद्र सिंह की कहानी कुछ ऐसी ही हैं। मध्यम वर्गीय परिवार से आने वाले डॉ. गीतेंद्र सिंह के उतार-चढ़ाव भरे सफर से आपको बहुत कुछ सीखने को मिलेगा।

भोपाल के रहने वाले गीतेंद्र सिंह के पिता चाहते थे कि वे एक डॉक्टर बने, लेकिन वह एक आईएएस अधिकारी बनना चाहते थे। 2001 में उन्होंने गांधी मेडिकल कॉलेज भोपाल से अपनी एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी की। अपने एमबीबीएस दिनों के दौरान ही उन्होंने NEET परीक्षा की तैयारी के लिए छात्रों को वीकेंड पर पढ़ाना शुरू कर दिया और पढ़ाई के साथ-साथ अच्छा पैसा और नाम दोनों कमाने लगे। अपने शुरुवाती दिनों में ही गीतेंद्र सिंह एक कक्षा में 700 छात्रों को और एक दिन में लगभग 2100 छात्रों को पढ़ाया करते थे। इसके साथ-साथ उन्होंने अपने पहले इंट्रस्ट यानि आईएएस के बारें में भी सोचा और उन्होंने यूपीएससी परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी। हालांकि अपने व्यस्त कामों और बहुत सारी प्रतिबद्धताओं के कारण, वह अपना 100% नहीं दे पाए और परीक्षा पास करने में असफल रहे।

वो कहते है न अक्सर आपको जो पसंद होता है वो न मिले तो समझ जाना ऊपरवाले ने आपके लिए उससे भी और बेहतर कुछ सोचा होगा। गीतेंद्र सिंह ने 2008 में भोपाल में एक ऑफलाइन संस्थान के रूप में बायोमेंटर्स की कक्षाएं शुरू कीं और कुछ ही समय में उनका ये इंस्टिट्यूट छात्रों के बीच बेहद मशहूर हो गया। लेकिन कुछ निजी कारणों से उन्होंने 2012 में पढ़ाना बंद कर दिया। कोचिंग बंद करने के बाद उन्होंने फिरसे मेडिकल पढ़ाई की ओर रुख किया और सीएमसी वेल्लोर से फैमिली मेडिसिन में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। उसके बाद जॉन हॉपकिंस मेडिकल यूनिवर्सिटी, यूएसए से डायबिटीज में पीजी किया।

2015 में डॉ. गीतेंद्र सिंह अपने परिवार के साथ मुंबई शिफ्ट हो गए और वहाँ पर ही एक मधुमेह रोग विशेषज्ञ के रूप में अपना एक क्लिनिक खोला। लेकिन इन सब कामों साथ उन्होंने बायोमेंटर्स को वापस जीवित किया।

क्लिनिक चलाने के साथ-साथ फरवरी, 2017 में उन्होंने यूट्यूब के ज़रिये बायोमेंटर्स ऑनलाइन चैनल शुरू किया। कुछ महीनों में उनके चैनल में ग्रोथ नज़र आने लगी फिर 2018 में उन्होंने बायोमेंटर्स ऑनलाइन के लिए मोबाइल ऐप लॉन्च किया।

बायोमेंटर्स को ऑनलाइन स्थापित करने के अपने सफर के बारें में डॉ. गीतेंद्र सिंह कहते है "मेरा शुरुआती निवेश केवल 17000 रुपये का था और मैंने इस वेंचर को ज़ीरो से शुरू किया था। आज ऑनलाइन बायोमेंटर्स क्लासेस का टर्नओवर करोड़ों में है। यह सफर एक व्यक्ति के साथ शुरू हुआ जो मैं हूं। आज हम 143 सदस्यों की एक टीम हैं। हमने अपने मुनाफे को सामाजिक उद्यमिता में निवेश किया। हमने स्कॉलरशिप, बुनियादी ढांचे और रोजगार सृजन में निवेश किया है। आज भारत में ऑनलाइन शिक्षा में बायोमेंटर्स एक विश्वसनीय नाम है।"

"शुरुआती विस्तार आसान नहीं था। कमाई कम थी क्योंकि हम बहुत कम शुल्क पर छात्रों को पढ़ाते हैं। हमारे खर्चे बढ़ रहे थे इसलिए हमें वर्किंग कैपिटल और एक ऑफिस के लिए पैसों की आवश्यकता थी । इन्हीं कारणों से मैंने इस वेंचर के लिए अपनी एक संपत्ति बेच दी। हमने लगातार काम किया और अंत में बायोमेंटर्स आत्मनिर्भर और लाभदायक बन गया। हमें फंडिंग और निवेश के लिए बहुत सारे ऑफर मिले लेकिन हमने ठुकरा दिया। मुख्य कारण यह है कि हम अपने काम और सिस्टम में कोई समझौता नहीं चाहते हैं। हम अभी भी अच्छी विकास दर के साथ लाभदायक और बूटस्ट्रैप्ड कंपनी हैं। हम सस्टेनेबल ऑर्गनिक ग्रोथ में विश्वास करते हैं।" काम में आयी रुकावटों को फेस करने का अपना अनुभव साझा करते हुए बायोमेंटर्स के सीईओ और संस्थापक डॉ. गीतेंद्र सिंह।

भावी आंत्रेप्रेन्योर्स को गीतेंद्र सिंह ने सलाह देते हुए कहा "कभी भी आपको शुरुआती मुनाफे पर ध्यान केंद्रित नहीं करना चाहिए बल्कि इसके बजाये अपने लक्ष्य पर ध्यान दो। काम में कंसिस्टेंट रहना सबसे ज्यादा ज़रूरी है, बदलाव के लिए समय चाहिए इसलिए धैर्य रखें। शुरुआती दौर में फंडिंग की तलाश न करें; पहले स्टार्टअप को बनाये फिर बूट स्ट्रैप्ड तरीके से उसे साबित करे और लगातार विकास पर ध्यान दें। बाद में जरूरत पड़ने पर ही फंडिंग लें।"

बायोमेंटर्स ऑनलाइन NEET उम्मीदवारों के लिए बेस्ट प्लेटफॉर्म है, यहाँ पर छात्रों को मुश्किल चीज़े भी बड़े ही आसान तरीके से समझाई जाती है। पिछले पांच वर्षों में इस इंस्टिट्यूट ने 14500 से अधिक छात्रों का सरकारी मेडिकल कॉलेजों में MBBS करने का सपना साकार किया है।

 

(अस्वीकरण : इस लेख में किए गए दावों की सत्यता की पूरी जिम्मेदारी संबंधित व्यक्ति/ संस्थान की है)

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