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जलवायु की चिंता

    मशहूर लेखक मार्क ट्वेन ने कहा था, हर कोई मौसम के बारे में शिकायत करता है, लेकिन इसके लिए कोई कुछ नहीं करता। हालांकि यह बात खुशनुमा दिनों में तो शायद सही कही जा सकती थी, लेकिन अब...

जलवायु की चिंता
द वाशिंगटन टाइम्स, अमेरिकाMon, 20 May 2019 11:56 PM
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मशहूर लेखक मार्क ट्वेन ने कहा था, हर कोई मौसम के बारे में शिकायत करता है, लेकिन इसके लिए कोई कुछ नहीं करता। हालांकि यह बात खुशनुमा दिनों में तो शायद सही कही जा सकती थी, लेकिन अब नहीं, जब हम सोचते हैं कि इंसान किसी भी चीज को बदल सकता है। आज दुनिया के लिए जलवायु परिवर्तन अनिवार्य विषय सूची में शामिल है। इस विषय पर जो भी किया जाता है, वह काफी महत्व रखता है, क्योंकि अगर सुधार न हुआ, तो पूरे ग्रह को मौसम बदलने की भारी कीमत चुकानी पड़ेगी। जब तक अनिश्चितताओं का समाधान नहीं हो जाता, तब तक समकालीन अध्ययन में मौसम कला कम और विज्ञान ज्यादा है। अमेरिका युद्ध स्तर पर मौसम की जांच करे। इस जांच के लिए वह न कला से प्रभावित हो, न विज्ञान से, वह केवल डर से संचालित हो। इन दिनों संयुक्त राष्ट्र का एक पैनल जलवायु जांच विधियों में व्याप्त अशुद्धियां घटाने के प्रयास में लगा है। संयुक्त राष्ट्र के विशेष कार्यबल ने जापान के क्योटो में 49वीं वार्षिक बैठक की है, जिसका उद्देश्य ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन आकलन की विधियों को दुरुस्त करना था। अभी तमाम देशों के बीच उत्सर्जन का सही आकलन बहुत मुश्किल है। आकलन विधि में कोई गलती रह जाए, तो पूरी दुनिया में गलत आकलन का सिलसिला चल पड़ता है। ग्रीन हाउस गैस का बढ़ना और उच्च तापमाान के बीच संबंध सीधा नहीं है, इससे दुनिया में संदेह उत्पन्न होता है। हो सकता है, चूंकि हम औद्योगिक गतिविधि चक्र को वापस पलटने में विफल हैं, इसलिए जलवायु जनित प्रलय की भविष्यवाणी जरूरत से ज्यादा की जाती है। एक नए अध्ययन ने इस पर संदेह बढ़ा दिया है कि कार्बन डाइऑक्साइड और वैश्विक तापमान सामंजस्य के साथ घटते या बढ़ते हैं। ग्रीन हाउस गैस के स्तर को मापने के बाद सहजता से कोई जलवायु अनुमान लगाना स्पष्ट रूप से ज्यादा जटिल है। जब तक हम जलवायु को प्रभावित करने वाले तमाम कारकों को ध्यान में नहीं रखेंगे, तब तक तापमान आकलन के प्रयासों में दोष रहेगा और अविश्वसनीय आकलन जारी रहेंगे। 

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