गोपनीयता किसी की भी महत्वपूर्ण है
जर्मन इतिहास की अब तक की सबसे बड़ी डाटा लीक की घटना में सैकड़ों जर्मन राजनेताओं, कलाकारों और सिलिब्रिटीज की संवेदनशील जानकारी जिस तरह लीक होने की बात सामने आई है, उससे सभी का चिंतित होना स्वाभाविक है।...
जर्मन इतिहास की अब तक की सबसे बड़ी डाटा लीक की घटना में सैकड़ों जर्मन राजनेताओं, कलाकारों और सिलिब्रिटीज की संवेदनशील जानकारी जिस तरह लीक होने की बात सामने आई है, उससे सभी का चिंतित होना स्वाभाविक है। घटना ऐसे तो दिसंबर की है, लेकिन इसका खुलासा अब जाकर बीते गुरुवार को हुआ। इसमें इन लोगों के फोन नंबर, पते, पार्टी के आंतरिक दस्तावेज, क्रेडिट कार्डों और निजी वार्तालाप तक की जानकारी शामिल है। एंजला मर्केल के प्रवक्ता ने इस साइबर हमले को बहुत गंभीर मामला तो बताया है, लेकिन इसे इससे भी कहीं ज्यादा आगे जाकर गंभीरता से लेने की जरूरत है। इस अत्यंत सूक्ष्म, लेकिन व्यापक स्तर पर की गई साजिश को लोकतंत्र पर अप्रत्यक्ष हमला कहना भी गलत नहीं होगा। घटना इसलिए भी चिंता में डालने वाली है कि इसे बहुत ही योजनाबद्ध तरीके से अंजाम दिया गया और इसे करने वाला कोई नादान या शौकिया खिलाड़ी नहीं, बल्कि कोई अत्यंत अराजक ताकत है, जिसके आगामी कदमों पर सतर्क नजर रखनी होगी। इस लीक को किसी मीडिया मंच से न जोड़कर, सारा ब्योरा एक फर्जी ट्विटर अकाउंट पर पूरे दिसंबर माह जारी किया जाता रहा, लेकिन इस पर किसी का ध्यान नहीं गया। इस खाते को फॉलो करने वाले भी 20 हजार से कम ही थे और उन्होंने भी इसे शायद ही गंभीरता से देखा हो, पढ़ना तो बहुत दूर की बात है। मामला खुलता भी नहीं, अगर एक अन्य अपेक्षाकृत ज्यादा चर्चित ट्विटर अकाउंट हैक कर सब कुछ उस पर न डाल दिया गया होता। ठीक ही है कि समाज अक्सर निजता पर सरकारी नियंत्रण या उसके असर को लेकर चिंतित दिखता है। हम भी सरकार, उद्योग और राजनेताओं के खिलाफ होने वाले साइबर हमलों पर उतने ही चिंतित हैं। लेकिन समझना होगा कि हर अपराध हमेशा गंभीर नहीं होता और हर छोटा दिखने वाला अपराध पीड़ित के लिए हानिरहित ही हो, जरूरी नहीं। सच तो यह है कि निजता पर हमला कई बार बड़ी से बड़ी भौतिक चोरी से भी ज्यादा घातक असर वाला हुआ करता है, और इस मामले में भी ऐसा ही हुआ है।