मुद्दों से भटकी सरकार
जब कुछ न समझ आए, तो पूंछ पकड़ लो। नेपाल सरकार कुछ इसी राह पर दिखाई दे रही है। उसे बलात्कार की बढ़ती घटनाओं के पीछे पोर्नोग्राफी और शराब नजर आते हैं, और इसीलिए वह अजीबोगरीब फैसले करती दिखाई देती है।...
जब कुछ न समझ आए, तो पूंछ पकड़ लो। नेपाल सरकार कुछ इसी राह पर दिखाई दे रही है। उसे बलात्कार की बढ़ती घटनाओं के पीछे पोर्नोग्राफी और शराब नजर आते हैं, और इसीलिए वह अजीबोगरीब फैसले करती दिखाई देती है। उसकी ताजा समझदारी कहती है कि बलात्कार और अपराध रोकने के लिए शराबबंदी कर देनी चाहिए। पोर्नोग्राफी पर तो पहले ही प्रतिबंध लग चुका है, जो उचित ही है। अब वह शराब उत्पादन और बिक्री को नियंत्रित करने जा रही है, जिसके लिए नई लाइसेंसिंग नीति लाई जाएगी। अपराधों की रोकथाम के और भी तमाम तरीके मौजूद हैं, और जो बेहतर भी हैं और कारगर भी। एक यह कि ताजा फैसला मुक्त बाजार के मौलिक नियम के खिलाफ है। नए नियमन में वैसे भी कई खामियां हैं। इसमें पूर्ण प्रतिबंध की बजाय दुकानों की संख्या सीमित कर दी गई है, जो एक नई तरह की अराजकता को जन्म देने वाला है। इससे खपत क्या कम होगी, भ्रष्टाचार और कालाबाजारी के नए रास्ते जरूर खुल जाएंगे।
दो साल पहले सरकार ने अल्कोहल विनियमन और नियंत्रण कानून 2017 लागू कर हर बोतल के 75 फीसदी हिस्से पर उसके खतरे बताती चेतावनी लिखना जरूरी किया था और 21 साल से कम उम्र वालों व गर्भवती महिलाओं के लिए शराब प्रतिबंधित कर दी गई थी। ताजा नीति बाजार को कुछ हाथों में गिरवी रखने वाली है। सरकार और राजनेताओं से उम्मीद की जाती है कि वे बिना पूर्वाग्रह के निष्पक्ष और पूरे समाज के हित में फैसले लेंगे। मौजूदा सरकार हर मंच और मोर्चे पर ‘भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस’ की बात भले दोहराती हो, लेकिन इसकी मौजूदा नीतियां और नियामक सच का कोई और ही चेहरा दिखा रहे हैं। अगर सरकार वाकई भ्रष्टाचार को रोकने के प्रति गंभीर है, तो उसे मुक्त बाजार को बढ़ावा देने वाली आर्थिक नीतियां बनानी चाहिए, न कि ऐसे अतार्किक कदमों से कुछ लोगों के हाथ मजबूत कर उन्हें खिलवाड़ करने का मौका देना चाहिए। उसे समझना चाहिए कि बलात्कार और अपराध सख्त कानून और उसके क्रियान्वयन से रुकते हैं, न कि ऐसे अफलातूनी कदमों से।