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सत्ता की आड़ में पनपते संत

इसे नादानी ही तो कहेंगे कि हम किसी को भी संत-महात्मा मानकर उन्हें सिर पर बिठा लेते हैं और बाद में वही व्यक्ति तमाम चारित्रिक दोषों वाला घटिया इंसान साबित होता है। ऐसा बार-बार हुआ है, लेकिन न आम आदमी...

सत्ता की आड़ में पनपते संत
काठमांडू पोस्ट, नेपालTue, 01 Jan 2019 11:16 PM
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इसे नादानी ही तो कहेंगे कि हम किसी को भी संत-महात्मा मानकर उन्हें सिर पर बिठा लेते हैं और बाद में वही व्यक्ति तमाम चारित्रिक दोषों वाला घटिया इंसान साबित होता है। ऐसा बार-बार हुआ है, लेकिन न आम आदमी संभलता है, और न सत्ता व प्रशासन में बैठे लोग कुछ करते हैं। राम बहादुर बोमजन भी ऐसा ही नाम है, जिसे 2005 में ‘बुद्ध का अवतार’ बनाकर प्रस्तुत किया गया था। मीडिया भी पेड़ के नीचे महीनों तपस्या के किस्से बता-बताकर उसे महान बनाने पर उतारू था। वही शख्स अब फिर से अपने कुकर्मों के कारण सुर्खियों में है।

उस पर अपहरण और यौन-उत्पीड़न के कई मामले दर्ज हुए हैं। दो महिलाओं को बंधक बनाकर उन्हें यातना देने का मामला कुछ साल पहले भी सामने आया था। आश्रम में रह चुकी कई महिलाएं भी उस पर यौन-उत्पीड़न के आरोप लगाती रही हैं। तीन माह पहले तो एक महिला अनुयायी ने बाकायदा मीडिया के सामने इस स्वयंभू बाबा पर बलात्कार के आरोप लगाए थे, लेकिन कुछ नहीं हुआ। अब जबकि कई मामलों की जांच में उसके कारनामों का सच सामने आ चुका है, तो यह माना जाना चाहिए कि उस पर कोई बड़ी कार्रवाई होगी। बोमजन का मामला उदाहरण है कि धर्म को लेकर हम किस तरह अंधे हो जाते हैं और धोखा खाते हैं। सच तो यह है कि प्रशासन और पुलिस सक्रिय हों, तो ऐसे तत्व पनप ही न सकें।

चिंता की बात है कि तमाम गंभीर शिकायतों के बावजूद उसके कई आश्रम चल ही नहीं रहे, बल्कि एक को तो सरकारी अनुदान तक प्राप्त है। जंगलों की कई जमीनों पर भी आश्रम के नाम पर उसका कब्जा है। यही नहीं, न जाने कितने नेता उसके अनुयायी हैं और उसे बचाने के प्रयास में दिन-रात जुटे हैं। यानी यह बताता है कि बोमजन अगर इस हद तक पहुंचा है, तो इसके पीछे राजनीति और ब्यूरोक्रेसी का संरक्षण ही मुख्य कारण है। अब जब उसके खिलाफ जांच में भी तमाम गड़बड़ियां प्रमाणित हो चुकी हैं, तब जाहिर तौर पर कुछ ऐसी कार्रवाई सामने आनी ही चाहिए, ताकि लोगों का भरोसा कायम रह सके।

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