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सरकार की प्राथमिकताएं

राजशाही के दौरान लांचौर में स्थापित समाज कल्याण परिषद आज अपने सौ से ज्यादा कर्मचारियों के साथ अनेक राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय गैर सरकारी संगठनों की जिम्मेदारी उठा रहा है। हालांकि पिछले दिनों कैबिनेट ने...

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काठमांडू पोस्ट, नेपालThu, 15 Nov 2018 01:40 AM
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राजशाही के दौरान लांचौर में स्थापित समाज कल्याण परिषद आज अपने सौ से ज्यादा कर्मचारियों के साथ अनेक राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय गैर सरकारी संगठनों की जिम्मेदारी उठा रहा है। हालांकि पिछले दिनों कैबिनेट ने इस प्राचीन भवन को उपराष्ट्रपति नंद बहादुर पुन के निवास और कार्यालय में तब्दील करने का फैसला किया, जिसके पीछे कारण बताया गया कि मौजूदा ‘बहादुर भवन’ उस पद की गरिमा को देखते हुए बहुत छोटा है। सच है कि पिछले भूकंप ने इस भवन को कुछ नुकसान पहुंचाया था और ऐसे में उपराष्ट्रपति के लिए उपयुक्त भवन की तलाश एक जरूरी चिंता है। राष्ट्रपति-उपराष्ट्रपति के निवास व कार्यालय के लिए भवन होना ही चाहिए। हालांकि ये दोनों पद महज औपचारिक हैं, न कि कार्यकारी। ऐसे में, मौजूदा भवनों को इनके लिए अपर्याप्त बताने वाले कैबिनेट के फैसले पर तार्किक तरीके से पुनर्विचार की जरूरत है। महज औपचारिक पदों, जिनके पास सिर्फ राज्याध्यक्षों के स्वागत-सत्कार का काम हो, उन्हें किसी अन्य निवास या विस्तार की भला क्या जरूरत? फिर भी अगर उपराष्ट्रपति का भवन बदला ही जाना है, तो उसके लिए समाज कल्याण परिषद का ही परिसर क्यों? सार्वजनिक संपत्ति का इस्तेमाल सार्वजनिक स्वामित्व वालों को ही करना चाहिए। समाज कल्याण परिषद जैसी बहुआयामी संस्था को अपने कार्यकलाप के सुगम संचालन के लिए बड़े सेटअप की दरकार है, ऐसे में इसे उपराष्ट्रपति के हितों के लिए बंद नहीं किया जा सकता। ऐसी ही नजर अन्य कई सरकारी विभागों पर भी लगी हुई है, जिनके पास अपनी विशिष्टताओं के साथ अपना परिसर है। सार्वजनिक पदों पर बैठे लोगों को देश के औपचारिक प्रमुखों के निवासों के विस्तार की तलाश में समय और संसाधन गंवाने से ज्यादा जनता के हितों की चिंता करनी चाहिए। जरूरी नीतियां और कानून तैयार करने में वक्त व संसाधन लगाने चाहिए, जिनकी देश को वाकई जरूरत है। वह सब भी होना चाहिए, लेकिन सार्वजनिक संस्थानों के कामकाज की कीमत पर नहीं। उम्मीद है, सरकार समय रहते इस पर ध्यान देगी।
    

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