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मीडिया की राह आसान हुई

श्रीलंका की मीडिया ने उतार-चढ़ाव के तमाम दौर देखे, लेकिन 2005 से 14 का दौर खासा दुर्भाग्यपूर्ण रहा। संडे लीडर के एडिटर की हत्या से लेकर चर्चित कार्टूनिस्ट प्रगीथ एकनेलिंगोडा को गायब कर दिए जाने के साथ...

मीडिया की राह आसान हुई
द डेली न्यूज, श्रीलंकाWed, 11 Jul 2018 11:59 PM
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श्रीलंका की मीडिया ने उतार-चढ़ाव के तमाम दौर देखे, लेकिन 2005 से 14 का दौर खासा दुर्भाग्यपूर्ण रहा। संडे लीडर के एडिटर की हत्या से लेकर चर्चित कार्टूनिस्ट प्रगीथ एकनेलिंगोडा को गायब कर दिए जाने के साथ ही पत्रकारों पर हमले की तमाम घटनाएं हुईं। महीन्द्रा राजपक्षे का कार्यकाल तो मीडिया के लिए सबसे दुभाग्यपूर्ण रहा जब भ्रष्टाचार, सत्ता का दुरुपयोग या ऐसा कोई भी मामला उठाने वाले को शिकार बनाया गया। कई पत्रकार तो देश छोड़ गए। मौजूदा सिरिसीना सरकार ने यह अराजकता खत्म करने का वादा किया था और सच है कि इसी एक वादे ने उनकी सत्ता की राह आसान कर दी। हालात बदले और आज पत्रकार ही नहीं, सोशल मीडिया पर भी हर किसी को राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मंत्रियों और सरकारी योजनाओं की खुली आलोचना करने की आजादी हासिल है। सरकार की उपलब्धियों के खाते में यह अकेली उपलब्धि ही पर्याप्त है। सरकार ने सूचना का अधिकार कानून बनाकर सरकारी विभागों पर नकेल तो डाली ही, उन्हें मीडिया और जनता के प्रति जवाबदेह भी बनाकर मीडिया का काम आसान कर दिया। प्रेसिडेंसियल मीडिया अवार्ड सरकार का बड़ा कदम है,जिसके तहत पहली बार इसी दिसंबर में पुरस्कार दिए जाएंगे। सिनेमा, साहित्य, रंगमंच सहित तमाम विधाओं में तो यह पुरस्कार पहले से था, लेकिन मीडिया को अब इसमें शामिल किया गया है जो स्वागत योग्य है। इसे मीडिया को स्वतंत्र और बड़ा स्पेस देने की कोशिश के तौर पर भी देखा जा सकता है। देश में मीडिया ने जिस तरह विभिन्न माध्यमों के जरिए विस्तार लिया है, उसने चीजों को बहुत बदल कर रख दिया है। हालांकि इस विस्तार व सोशल मीडिया की सक्रियता के इस दौर में खबरों का फर्जीवाड़ा भी बढ़ा है। खबरें पहले परोसने के चक्कर में गड़बड़ियां हो रही हैं। हालांकि अनुभव बताते हैं कि इलेक्ट्रॉनिक व सोशल मीडिया भले ही कुछ भी परोसकर निकल जाएं, पारंपरिक प्रिंट मीडिया पर जनता का भरोसा अब भी कायम है। प्रिंट मीडिया के लिए यह सुखद सूचना भी है, भरोसे पर खरा बने रहने की चुनौती भी। 
 

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