यह कैसा चुनाव
जब आम चुनाव बिल्कुल करीब हों, तब चुनाव संबंधी आजादी काफी अहम हो जाती है। यही वह वक्त होता है, जब सियासी पार्र्टियां वोटरों से रूबरू होती हैं। अपने बारे में लोगों को ज्यादा से ज्यादा जानकारियां देने...
जब आम चुनाव बिल्कुल करीब हों, तब चुनाव संबंधी आजादी काफी अहम हो जाती है। यही वह वक्त होता है, जब सियासी पार्र्टियां वोटरों से रूबरू होती हैं। अपने बारे में लोगों को ज्यादा से ज्यादा जानकारियां देने के लिए वे नुक्कड़ सभाओं, सियासी जलसों, बैनर-परचों की मदद लेती हैं।
किन ऐसे अनेक ब्योरे पढ़ने-सुनने को मिल रहे है कि कई सियासी जमातों की चुनावी आजादी छीनी जा रही है। मुस्लीम लीग नवाज (पीएमएलएन) से लेकर अवामी वर्कर्स पार्टी तक इस अनुचित रोक-टोक का विरोध कर रही हैं। पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की पाकिस्तान वापसी को देखते हुए पिछले हफ्ते पीएमएलएन के कई कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया गया। ऐसी खबरें हैं कि मौजूदा कार्यवाहक सरकार नवाज की पार्टी के अहम लीडरों व कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार करने के आदेश जारी कर रही है। पार्टी के समर्थकों व पुलिस के बीच देर रात की झड़प की सूचनाओं से ट्विटर अकाउंट अटे पड़े हैं। यह सब देखकर लोग हैरान हैं, क्योंकि कार्यवाहक सरकार के गठन के पीछे वादा यह था कि वह एक तटस्थ भूमिका में रहेगी, पर आरोप तो कुछ और ही कहानी बयां कर रहे हैं।
अवामी वर्कर्स पार्टी के नेता अम्मार राशिद ने भी यह ध्यान दिलाया है कि किस तरह सुरक्षा का हवाला देकर उन्हें चुनावी सामग्री के साथ इस्लामाबाद में दाखिल होने से रोका गया, जबकि उनके मुताबिक, इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ के बैनर पूरे इस्लामाबाद में लटके हुए हैं। जाहिर है, इन सबसे इस आरोप को बल मिलता है कि पाकिस्तान का आम चुनाव पूर्व नियोजित है और आज जिस मोड़ पर पाकिस्तान खड़ा है, वह ऐसे आरोप अफोर्ड नहीं कर सकता। कई उम्मीदवारों ने तो नेशनल टीवी पर कहा है कि सुरक्षा एजेंसियां उन पर दबाव बना रही हैं कि वे अपनी पार्टी से नाता तोड़ आजाद उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ें। यह कार्यवाहक हुकूमत की जवाबदेही बनती है कि वह इन सार्वजनिक दावों और आरोपों की जांच कराए। चुनाव संबंधी आजादी आईन का वादा है और चाहे जो कोई भी इसमें दखल दे, उसके खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए।