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संयुक्त राष्ट्र में जंगबाज

संयुक्त राष्ट्र कोई ऐसा मंच नहीं, जहां पर किसी से जंग की धमकी की अपेक्षा की जाए। लेकिन संयुक्त राष्ट्र महासभा के अपने पहले संबोधन में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यही किया। ट्रंप के इस कृत्य ने...

 संयुक्त राष्ट्र में जंगबाज
द न्यूयॉर्क टाइम्स, अमेरिकाWed, 20 Sep 2017 10:04 PM
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संयुक्त राष्ट्र कोई ऐसा मंच नहीं, जहां पर किसी से जंग की धमकी की अपेक्षा की जाए। लेकिन संयुक्त राष्ट्र महासभा के अपने पहले संबोधन में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यही किया। ट्रंप के इस कृत्य ने राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश के 2002 के उस कुख्यात ‘एक्सिस ऑफ ईवल’ संबोधन की याद दिला दी, जिसमें उन्होंने ईरान, नॉर्थ कोरिया और इराक को दानव बताया था। इस बार इराक को बख्श दिया गया है। ट्रंप के दुश्मनों की सूची में उसका नाम नहीं था। अलबत्ता, उनके संबोधन में ईरान एक ‘लापरवाह’ दैत्य के रूप में आया, जिस पर अब भी एतबार नहीं किया जा सकता, इसके बावजूद कि ओबामा युग में ईरान ने अपने परमाणु कार्यक्रम को रोकने का समझौता किया। नॉर्थ कोरिया पर राष्ट्रपति ट्रंप ने सीधा निशाना साधा। उन्होंने यह चेतावनी दी कि अमेरिका व इसके साथियों की रक्षा के लिए वह ‘नॉर्थ कोरिया को पूरी तरह बर्बाद करने से भी गुरेज नहीं करेंगे।’ नॉर्थ कोरियाई नेता किम जोंग-उन को ‘रॉकेट मैन’ कहकर उन्होंने उनकी खिल्ली भी उड़ाई। ट्रंप ने कहा कि किम-उन ‘अपनी व अपने शासन की खुदकुशी के अभियान पर हैं।’

विडंबना यह है कि जिस विश्व संस्था का मुख्य लक्ष्य विवादों का शांतिपूर्ण समाधान तलाशना है, वहां इन तमाम पागलपन के बीच एक भी ऐसा संकेत नहीं मिला, जो समझौते की ओर जाता दिखता हो या जिसमें किसी लेन-देन की संभावना नजर आती हो। यह राष्ट्रपति बराक ओबामा के नजरिये के ठीक उलट है। 2009 में वह आज जैसी समस्या से ही जूझ रहे थे। तब उन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासभा को आगाह किया था कि ‘नॉर्थ कोरिया व ईरान ने हमें इस खतरनाक मोड़ तक पहुंचाया है।’ और ‘यदि ये देश अपने परमाणु हथियारों के जरिए क्षेत्रीय अस्थिरता पैदा करने की कोशिश करते हैं, तो इन्हें बख्शा नहीं जाना चाहिए।’ लेकिन इसके साथ ही ओबामा ने यह भी कहा था कि ‘संयुक्त राष्ट्र के सदस्य के तौर पर हम उनके अधिकारों का सम्मान करते हैं।’ इन दोनों देशों के लिए ‘कूटनीति के जरिए शांति व समृद्धि का रास्ता भी खुला हुआ है, अगर ये अपने वादे के प्रति ईमानदार रहते हैं।’ ट्रंप अपने पूर्ववर्ती से उलट रास्ता अपना रहे हैं।  

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