फोटो गैलरी

Hindi News ओपिनियन विदेशी मीडियाट्रंप की कोरियाई कूटनीति

ट्रंप की कोरियाई कूटनीति

राष्ट्रपति ट्रंप के हालिया क्रिया-कलाप अमेरिकी राष्ट्रपतियों की उस परंपरा के विपरीत हैं, जहां समझौता परस्ती के लिए कोई जगह नहीं। उसकी पहचान ऐसी ताकत के तौर पर है, जहां रियायत कमजोरी मानी जाती है।...

ट्रंप की कोरियाई कूटनीति
द गार्जियन, अमेरिकाFri, 20 Apr 2018 01:25 AM
ऐप पर पढ़ें

राष्ट्रपति ट्रंप के हालिया क्रिया-कलाप अमेरिकी राष्ट्रपतियों की उस परंपरा के विपरीत हैं, जहां समझौता परस्ती के लिए कोई जगह नहीं। उसकी पहचान ऐसी ताकत के तौर पर है, जहां रियायत कमजोरी मानी जाती है। लेकिन उत्तर कोरिया से संबंधों के मामले में ट्रंप ने तानाशाह शासक किम जोंग उन को बातचीत का एक ऐसा उपहार दे दिया, जिसके बदले में कुछ हासिल नहीं होने वाला। इस ‘शिखर वार्ता’ के प्रति व्हाइट हाउस की गंभीरता का एहसास तब हुआ, जब उसने सीआईए के वर्तमान निदेशक और विदेश सचिव के लिए ट्रंप की पहली पसंद माइक पोम्पो के ईस्टर पर किम के साथ हुई गुप्त मुलाकात की पुष्टि कर दी। बिल क्लिंटन की विदेश सचिव मेडलीन अलब्राइट की सन 2000 में प्योंगयांग यात्रा के बाद यह पहली ऐसी द्विपक्षीय मुलाकात है। पोम्पो की यात्रा को 27 अप्रैल को प्रस्तावित उत्तर व दक्षिण कोरिया के बहुप्रचारित शिखर सम्मेलन की उम्मीदों से जोड़कर देखा जा रहा है। पूरा ताना-बाना ऐसा बुना गया है, जैसे इसके बाद औपचारिक रूप से शांति की घोषणा ही हो जाएगी।

दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति मून जेइ-इन ने इस मुलाकात के पीछे ट्रंप के उस अहंकारी रवैये को जिम्मेदार ठहराया है, जो उन्हें ऐसे निर्णय लेने को उकसाता है। सच है कि हाल की कुछ घटनाओं ने अमेरिकी राष्ट्रपति के प्रति कुछ गलत संदेश दिए, लेकिन इसका मतलब यह तो नहीं कि परिपाटी को ही खारिज करने वाले काम किए जाएं। उत्तर कोरिया तो लंबे समय से अमेरिका का दोस्त बनने को उतारू है, पर किम को तो इस तरह एक कदम आगे बढ़ाए बिना ऐसा तोहफा देना चौंकाता है। किम अपनी परमाणु क्षमता को अमेरिकी हस्तक्षेप के खिलाफ सुरक्षा कवच मानते हैं और ट्रंप का ताजा रुख इसी की पुष्टि करता है। युद्ध की अपेक्षा दो पक्षों का शांति केलिए बात करना निश्चित तौर पर अच्छी बात है, पर यह समझना बड़ी चूक होगी कि इस वार्ता के नतीजे अच्छे ही होंगे। किम-पोम्पो मुलाकात का खुलासा बताता है कि बहुत कुछ बदल रहा है, पर इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं कि ट्रंप सही तरीके से काम कर रहे हैं। 
 

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें