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ईवीएम पर हड़बड़ी क्यों

नेशनल इकोनॉमिक कौंसिल की एग्जीक्यूटिव कमिटी ने हजारों ईवीएम यानी इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन की खरीदारी के लिए जिस जल्दबाजी में अरबों टका की रकम मंजूर की है, वह हमें हैरान करती है, क्योंकि इन...

ईवीएम पर हड़बड़ी क्यों
द डेली स्टार, बांग्लादेशSun, 23 Sep 2018 11:38 PM
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नेशनल इकोनॉमिक कौंसिल की एग्जीक्यूटिव कमिटी ने हजारों ईवीएम यानी इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन की खरीदारी के लिए जिस जल्दबाजी में अरबों टका की रकम मंजूर की है, वह हमें हैरान करती है, क्योंकि इन इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों का इस्तेमाल 2024 के इंतिखाब में होना है। इस जल्दबाजी का कोई मतलब नहीं दिखता, क्योंकि अगले चुनाव पांच साल बाद होने वाले हैं। ईवीएम से जुड़े़ तमाम पक्षों में इसको लेकर कई तरह की आशंकाएं हैं, और वे बेवजह भी नहीं ठहराई जा सकतीं। मुल्क की तमाम विरोधी पार्टियों ने पहले ही यह साफ कर दिया था कि वे इस बार के इंतिखाब में ईवीएम के इस्तेमाल के विरुद्ध हैं। वास्तव में, खुद चुनाव आयोग के भीतर ईवीएम को लेकर एक राय नहीं है। यहां तक कि प्रधानमंत्री शेख हसीना ने भी यह राय जाहिर की है कि इस मामले में कोई हड़बड़ी नहीं की जानी चाहिए। दुनिया भर में बहुत थोडे़ से देश ही इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन का इस्तेमाल करते हैं। फिर, उन मुल्कों में भी इन मशीनों की सुरक्षा और विश्वसनीयता को लेकर बहस जारी है।

अभी यह भी तय नहीं है कि 2024 के चुनाव में ईवीएम का इस्तेमाल होगा ही। चुनाव आयोग की प्राथमिकता तो सामने खडे़ चुनाव को निष्पक्षता से संपन्न कराने की होनी चाहिए, ताकि सभी पार्टियां इसमें शिरकत कर सकें। इसलिए चुनाव आयोग के लिए सलाह यही है कि वह इस बार के चुनावों पर अपना ध्यान केंद्रित करे, बजाय इसके कि ईवीएम खरीद की कवायद में उलझे। वैसे भी, बहुत मुमकिन है कि ईवीएम खरीद में करदाताओं के पैसे बेकार हो जाएं।

इसलिए चुनाव आयोग को इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन के बारे में और ज्यादा गंभीर अध्ययन करने की जरूरत है। उसे इन मशीनों का परीक्षण करना चाहिए और इस बाबत विशेषज्ञों से सलाह-मशविरा करना चाहिए। अगर इसके बाद वह मुत्मईन होता है कि ये मशीनें भरोसेमंद हैं, तो उसे इस बारे में तमाम सियासी पार्टियों को यकीन दिलाना चाहिए। अगर राजनीतिक पार्टियां सहमत होती हैं, तो इसके बाद ही ईवीएम खरीद की प्रक्रिया शुरू की जानी चाहिए।

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