फोटो गैलरी

Hindi News ओपिनियन विदेशी मीडियाजेहाद यूनिवर्सिटी के लिए फंड

जेहाद यूनिवर्सिटी के लिए फंड

पाकिस्तान तहरीक ए इंसाफ (पीटीआई) पार्टी अंधी हो गई है या इसकी सियासी महत्वाकांक्षाओं ने सोचने-समझने की शक्ति को इतना कुंद कर दिया है कि उसे कुछ दिखाई ही नहीं दे रहा। ऐसे वक्त में, जब पाकिस्तान को...

जेहाद यूनिवर्सिटी के लिए फंड
द डॉन, पाकिस्तानMon, 26 Feb 2018 09:56 PM
ऐप पर पढ़ें

पाकिस्तान तहरीक ए इंसाफ (पीटीआई) पार्टी अंधी हो गई है या इसकी सियासी महत्वाकांक्षाओं ने सोचने-समझने की शक्ति को इतना कुंद कर दिया है कि उसे कुछ दिखाई ही नहीं दे रहा। ऐसे वक्त में, जब पाकिस्तान को आतंकवाद पर काबू पाने के मामले में संदेह से देखा जा रहा हो, खैबर पख्तूनख्वा की पीटीआई सरकार ‘जेहाद यूनिवर्सिटी’ के नाम से चर्चित मौलाना समीउल हक, दारूल अलूम हक्कानिया के लिए 2,770 लाख रुपये का अनुदान देने जा रही है। खैबर पख्तूनख्वा स्थित यह सेमिनरी तमाम कारणों से चर्चा में रही है। हजारों कट्टरपंथी यहां से निकले हैं। अफगान तालिबान के न जाने कितने आतंकी और जमीयत-उलेमा-ए-इस्लाम के मुखिया, जिसे ‘फादर ऑफ द तालिबान’ भी कहा जाता है, यहीं से निकले हैं। संदेह के लिए इतना ही पर्याप्त है और पीटीआई इसे हल्के में लेकर खारिज नहीं कर सकती। नहीं भूलना चाहिए कि इसे दूसरी बार इतनी बड़ी इमदाद मिलने जा रही है। 2016-17 में तो इसके लिए इससे भी बड़ी राशि राज्य बजट में आबंटित की गई थी। तब कहा गया था कि यह दारूल अलूम हक्कानिया को शैक्षिक मुख्य धारा में लाने वाले सुधार कार्यक्रमों के लिए दिया गया है। संदेह नहीं कि विश्वविद्यालय में कट्टरपंथी विचारधारा को रोकने के लिए इसका पाठ्यक्रम बदलने की जरूरत है। अब ये तो पता नहीं कि पिछली इमदाद से अब तक इसके कार्यकलापों में क्या सुधार आया और यह मुख्याधारा की शिक्षा के कितना करीब पहुंचा, लेकिन यह सभी जानते हैं कि कुछ वक्त पहले तक इसके मुख्य मौलवी ओसामा बिन लादेन के लिए और प्रतिबंधित तहरीके तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) के लिए कसीदे पढ़ते दिखाई देते थे। हालांकि एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में आगामी चुनाव के मद्देनजर जमीयत उलेमा-ए-इस्लाम के खिलाफ जेयूआई-एस व पीटीआई संयुक्त रणनीति की बात कर रहे हैं। अब चुनावों के चलते मौजूदा सरकार भले ही ऐसा कुछ करती दिखाई दे, लेकिन कुल मिलाकर पीटीआई का यह इमदाद वाला कदम दुर्भाग्यपूर्ण है, जिसके नतीजों के बारे में सोचकर ही चिंता होती है।
 

हिन्दुस्तान का वॉट्सऐप चैनल फॉलो करें