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पुलिस के हाथों कत्ल

कराची की एक दर्दनाक मौत ने हमारी राजसत्ता के एक स्याह पहलू को जेरे-बहस ला खड़ा किया है। ‘एनकाउंटर’ और ‘गैर-अदालती कत्ल’ जैसे नरम लफ्ज उस कत्ल के हौलनाक दहशत को ढक देते हैं, जो...

पुलिस के हाथों कत्ल
द डॉन, पाकिस्तानTue, 23 Jan 2018 10:39 PM
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कराची की एक दर्दनाक मौत ने हमारी राजसत्ता के एक स्याह पहलू को जेरे-बहस ला खड़ा किया है। ‘एनकाउंटर’ और ‘गैर-अदालती कत्ल’ जैसे नरम लफ्ज उस कत्ल के हौलनाक दहशत को ढक देते हैं, जो वरदी पहना शख्स करता है, जबकि वही वरदी उसे अवाम की हिफाजत के लिए बख्शी जाती है। नकीबुल्लाह महसूद को कराची में पुलिस ने हिरासत में लिया था, और यह लगभग तय बात है कि पुलिस वालों ने ही उसका कत्ल किया...। यह उम्मीद की जाती है नकीबुल्लाह के कातिलों की शिनाख्त की जाएगी और उन्हें आईन के मुताबिक सजा भी मिलेगी। साथ ही ऐसी करतूतों को नजरअंदाज करने वालों को पुलिस महकमे और इंतजामिया के जिम्मेदार ओहदों से न सिर्फ हटाया जाएगा, बल्कि उनको दंडित भी किया जाएगा। आजादी के सात दशक का सफर तय करने के बाद और 21वीं सदी में ऐसी बर्बर हत्याओं के लिए कोई जगह नहीं है। वक्त का तकाजा है कि पूरे पाकिस्तान में ऐसी वारदातों का लेखा-जोखा तैयार किया जाए। कराची में पुलिस के कामकाज पर गहरी नजर रखने की जरूरत है, लेकिन परेशानी यह है कि समूचे मुल्क की पुलिस का यही रवैया है। सच तो यह है कि पिछले कई दशकों में पुलिस वालों ने इन गैर-कानूनी करतूतों से अपनी एक उद्दंड व निर्मम इंंसान की छवि हासिल की है। आलम यह है कि पूरे देश में अवाम पुलिस की इज्जत करने की बजाय उससे खौफ खाती है। इसके बरअक्स एक हकीकत यह भी है कि पुलिस वाले खुद सियासी दखलंदाजी, संसाधनों की कमी और लचर ट्रेनिंग के कारण हतोत्साहित रहते हैं। इसके बावजूद देश भर में ईमानदार, काबिल और संजीदा पुलिस वाले भी हैं। लेकिन ऐसा लगता है कि आतंकवाद विरोधी मुहिम की आड़ में उनमें एक नए तरह की बेपरवाही बढ़ती जा रही है। आतंकी हमले के खतरे और अवाम के वाजिब डर ने नई पीढ़ी के पुलिस वालों के लिए खुद को संपन्न बनाने और लोगों को डराने का मौका दे दिया है। नकीबुल्लाह की त्रासद मौत को एक ऐसा मोड़ साबित किया जा सकता है, जहां से पूरे सिस्टम में प्रभावकारी बदलाव की शुरुआत की जाए। 

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