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नवाज पर दरवाजा बंद

नवाज शरीफ आखिरकार सियासत की दुनिया से बाहर हो गए। अब वापसी का कोई रास्ता उनके पास नहीं बचा, कम से कम निकट भविष्य में तो नहीं ही। जुमे को मुल्क की आला अदालत ने न सिर्फ उनकी पुनर्विचार याचिका खारिज कर...

नवाज पर दरवाजा बंद
द नेशन, पाकिस्तानTue, 19 Sep 2017 10:14 PM
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नवाज शरीफ आखिरकार सियासत की दुनिया से बाहर हो गए। अब वापसी का कोई रास्ता उनके पास नहीं बचा, कम से कम निकट भविष्य में तो नहीं ही। जुमे को मुल्क की आला अदालत ने न सिर्फ उनकी पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी, बल्कि उनके बच्चों और पूर्व वजीर-ए-खजाना इशाक डार की अर्जी भी ठुकरा दी। आने वाले वक्त में नवाज अदालत के चक्कर तो लगाएंगे, मगर इनमें से कोई भी दौरा सुकून का नहीं होगा। यहां से उनका सफर ढलान की ओर ही जाता है। इस फैसले ने पाकिस्तान मुस्लिम लीग-नवाज (पीएमएल-एन) की सियासत में एक नए दौर का आगाज किया है। पीएमएल-एन और इसकी विचारधारा का चेहरा नवाज शरीफ हैं। उनका नाम पार्टी के नाम के साथ चस्पां है, उनकी यह मौजूदगी पॉलिटिकल सिस्टम में पार्टी के वजूद को कानूनी तौर पर जायज बनाती है। अब पीएमएल-एन को एक ऐसे शख्स की दरकार है, जो मियां नवाज की गैर-मौजूदगी में कमान संभाल सके। हालांकि, यह एक बड़ी जवाबदेही दिखती है, मगर हकीकत में बहुत मुश्किल है नहीं, क्योंकि मियां साहब के प्रधानमंत्री पद के अयोग्य करार दिए जाने के बाद से पार्टी ने यह जिम्मेदारी संभाला ही है।

शाहिद खाकान प्रधानमंत्री की जिम्मेदारी निभा रहे हैं। मगर अहम सवाल यह है कि क्या नवाज शरीफ पार्टी में अपनी कमतर भूमिका को बर्दाश्त करेंगे? क्या वह पीछे की सीट से हुकूमत कर संतुष्ट होंगे या फिर खोई हुई कुरसी पाने के लिए सुप्रीम कोर्ट के खिलाफ निरर्थक लड़ाई जारी रखेंगे? ऐसा लगता है कि धीरज धरने के अलावा अब उनके पास कोई चारा नहीं बचा है। उन्हें नाकाबिल करार दिया जा चुका है; अब उनके पास सिर्फ एक कानूनी रास्ता शेष है, और वह है अयोग्य ठहराए जाने की अवधि को अदालत में चुनौती देना, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट को इस मामले में अभी फैसला करना बाकी है। पर अगर इस मामले में फैसला नवाज के हक में आता भी है, तब भी अगले कार्यकाल तक तो वह अयोग्य रहेंगे ही। जो भी हो, पार्टी ऊहापोह में लंबे वक्त तक नहीं रह सकती। इसलिए शायद वक्त आ गया है कि नवाज बैटन अपने भाई या अपनी बेटी को सौंप दें।
 

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