इस सम्मान को ऐसे देखें
पाकिस्तानी महिलाएं कला, साहित्य, खेल, विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में जिस तरह देश-दुनिया में नाम रोशन कर रही हैं, हमें इस पर गर्व होना चाहिए। लेखिका कमिला शम्सी को उनके सातवें उपन्यास होम फायर...
पाकिस्तानी महिलाएं कला, साहित्य, खेल, विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में जिस तरह देश-दुनिया में नाम रोशन कर रही हैं, हमें इस पर गर्व होना चाहिए। लेखिका कमिला शम्सी को उनके सातवें उपन्यास होम फायर के लिए लंदन का प्रतिष्ठित पुरस्कार मिलना हमारा मान बढ़ाने वाला है। इसके कथ्य और रूप की तारीफ करते हुए चयन समिति के निर्णायकों ने इसे ‘हमारे दौर की सच्ची कहानी’ बताया, जिसका ताना-बाना एक ब्रिटिश मुस्लिम परिवार के इस्लामी आतंकी समूह के साथ रिश्तों के इर्द-गिर्द बुना गया है। शम्सी का यह महत्वाकांक्षी उपन्यास पहचान, विवादित वफादारी, राजनीति और प्यार जैसे मुद्दे पर बात करते हुए एक महत्वपूर्ण समकालीन हकीकत का बहुत संजीदगी से बयान करता है। शम्सी लंदन में बस चुकी पाकिस्तानी लेखिका हैं और विषय की गंभीरता से वाकिफ होने के साथ यह भी समझती हैं कि ब्रिटिशों के लिए इसका क्या महत्व है। खासतौर से तब, जब समूचे यूरोपीय राजनीतिक परिदृश्य में पहचान और बहु-सांस्कृतिकवाद पर गंभीर बहस छिड़ी हो। उपन्यास के पुरस्कृत होने की एक वजह इसका समकालीन चिंताओं को सहानुभूति और इंसानियत के साथ प्रस्तुत करने का कौशल भी रहा होगा। यह उपलब्धि एक तरफ हमें फूले नहीं समाने का अवसर दे रही है, तो हमारे उस पितृसत्तात्मक सोच की याद भी दिला रही है, जो महिलाओं की प्रगति में बाधक है। यह हमारी उस सोच के प्रति आगाह कर रही है, जो अपने अहंकार में महिलाओं की सफलता को देखना ही नहीं चाहती। नहीं भूलना चाहिए कि दुनिया में हमारा नाम रोशन करने वाली ऑस्कर विजेता फिल्म निर्माता ओबैद-चिनॉय और नोबेल शांति पुरस्कार विजेता मलाला यूसुफजई किस तरह देश के कठमुल्लों के निशाने पर रही हैं। समझना होगा कि संस्कृति व शिक्षा के क्षेत्र की इनकी उपलब्धियों पर हमारा जश्न मनाना और हमारे समय के समकालीन सच को कहानियों के रूप में समाज के सामने लाने के लिए उनकी सराहना करना कितना जरूरी है, क्योंकि यही उपलब्धियां हमारी आने वाली पीढ़ियों को कुछ नया करने, उनके सपनों को पंख लगाने का काम करेंगी।